चंडीगढ़ नगर निगम में आउटसोर्स इंप्लाइज को सब इंस्पेक्टर और इंस्पेक्टर तक की जिम्मेदारी, भ्रष्टाचार के लग रहे आरोप
चंडीगढ़ नगर निगम में आउटसोर्स कर्मचारियों को महत्वपूर्ण पद सौंपे जाने पर भ्रष्टाचार के आरोप लग रहे हैं। एक कर्मचारी ने वसूली का वीडियो जारी किया जिससे जांच की मांग उठी है। पिछले छह वर्षों में आउटसोर्स कर्मचारियों की संख्या दोगुनी हो गई है जिससे वेतन खर्च भी बढ़ गया है। निगम पर सालाना 250 करोड़ रुपये से अधिक वेतन का खर्च है।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। नगर निगम में सब इंस्पेक्टर और इंस्पेक्टर जैसे अहम पदों की जिम्मेदारी भी आउटसोर्स इंप्लाइज के पास है। वह भी पब्लिक डीलिंग से जुड़े एंफोर्समेंट, मेडिकल आफिसर आफ हेल्थ विंग (एमओएच) और बीएंडआर जैसे अहम विभाग देख रहे हैं। इन अधिकारियों पर लगातार भ्रष्टाचार के आरोप लगते रहे हैं। खुलेआम रोजाना की वसूली किए जाने के आरोप लगाए जा रहे हैं।
नगर निगम भले ही पाई पाई को मोहताज है लेकिन इन इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर की संपत्ति कई गुणा बढ़ी है। निगम के ही एक कर्मचारी विकास ने इंस्पेक्टरों पर प्रतिमाह छह लाख वसूले जाने के आरोप वीडियो जारी कर लगाए हैं। इन आरोपों के बाद कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
आखिर इस तरह की जिम्मेदारी ऐसे आउटसोर्स स्टाफ को क्यों दी जा रही है जो किसी तरह से जवाबदेह ही नहीं हैं। नियमित कर्मी को अपनी सेलरी, भत्ते, पेंशन रुकने का डर रहता है। आउटसोर्स कर्मी को बर्खास्त करने के अलावा निगम कुछ नहीं कर पाता। पहले कई इंस्पेक्टर पर ऐसी कार्रवाई हुई भी है।
पीछे भी भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने और अतिक्रमण पर कार्रवाई नहीं करने के शिकायतों के बाद सभी सब इंस्पेक्टर के एरिया बदल दिए गए थे। हालांकि इसके बाद भी अब निगम कर्मी के वसूली के आरोप से जुड़ी वीडियो आने के बाद फिर से जांच की मांग उठ रही है।
निगम अधिकारियों ने वीडियो जारी करने वाले बेलदार विकास सहित 70 बेलदारों के तो ट्रांसफर कर दिए लेकिन जिन पर आरोप लग रहे हैं उन इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। इस पूरे मामले की जांच गहनता से करने की मांग भी हो रही है। सीनियर डिप्टी मेयर जसबीर सिंह बंटी, डिप्टी मेयर तरुणा मेहता सहित कई पार्षद और नेता इसकी मांग कर रहे हैं।
छह वर्ष में दोगुने हुए आउटसोर्स कर्मी
वर्ष 2019-20 में 3072 आउटसोर्स कर्मी निगम में कार्यरत थे। 2024-25 में यह बढ़कर 6965 हो गए। छह वर्ष में ही यह बढ़कर दोगुने से भी अधिक हो गए। वर्ष 2024-25 में ही 13.52 प्रतिशत कर्मचारी बढ़े। हालांकि पिछले छह महीने में कुछ कर्मचारियों की छंटनी भी हुई है।
सालाना 250 करोड़ वेतन पर ही खर्च
नगर निगम का सबसे बड़ा खर्च स्टाफ के वेतन पर होता है। सालाना 250 करोड़ रुपये से अधिक वेतन देने पर खर्च हो रहा है। अगर भत्ते, पेंशन, ईंधन और बिजली के बिलों जैसे जरूरी खर्च को मिला लें तो मासिक खर्च करीब 75 करोड़ रुपये तक पहुंच जाता है। इनमें भी नियमित से ज्यादा वेतन आउटसोर्स कर्मियों को जा रहा है।
छह वर्ष में बढ़े निगम के कर्मचारी
कैटेगरी 2019-20 20-21 21-22 22-23 23-24 24-25
रेगुलर 3407 2995 2542 2446 2425 2362
डेलीवेजिज 645 432 652 523 553 353
वर्क चार्जड 589 53 47 08 08 0
कांट्रैक्ट 73 73 70 76 74 68
आउटसोर्स 3072 4311 4762 5272 5527 6965
कुल 7786 7864 8073 8325 8587 9748
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