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    पंजाब में प्रशांत किशोर फार्मूला आ रहा पार्टियों को रास, 'वन मैन शो' पर केंद्रित विधानसभा चुनाव प्रचार

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Sun, 12 Dec 2021 08:55 AM (IST)

    पंजाब में अकाली दल अपने गठबंधन सहयोगी बसपा को उपमुख्यमंत्री पद देगा। पार्टी इस बात पर विचार कर रही है कि यदि गठबंधन सत्ता में आया तो दो डिप्टी सीएम बनाए जाएंगे जिनमें एक बसपा से होगा ।

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    प्रमुख दलों के चुनाव चिन्ह। सांकेतिक फोटो

    इन्द्रप्रीत सिंह, चंडीगढ़।  वर्ष 2017 के पंजाब विधानसभा के चुनावों को पार्टी के बजाये पर्सनेल्टी आधारित बनाने का प्रशांत किशोर का फार्मूला अब सभी पार्टियों को रास आने लगा है। यहां तक कि पार्टी के प्रधान अब खुद की छवि ही इतनी बड़ी बनाए रखना चाहते हैं कि और कोई भी पार्टी का नेता उनके बराबर न फटक सके। यदि भारतीय जनता पार्टी को छोड़ दिया जाए तो सभी पार्टियां पंजाब में लगभग इसी फार्मूले पर चल रही हैं। चूंकि भाजपा के पास अभी कोई मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं है और न ही पार्टी ने घोषित किया है इसलिए पार्टी ने अभी यह लाइन नहीं पकड़ी है।

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    शिरोमणि अकाली दल ने पूरी तरह से सुखबीर बादल को ही चेहरे के रूप में आगे किया हुआ है। हालांकि पार्टी का बहुजन समाज पार्टी के साथ समझौता भी है, इसके बावजूद सब जगह सुखबीर बादल को ही आगे किया जा रहा है। बसपा की तो कहीं कोई बात दिखाई नहीं दे रही है। पार्टी प्रधान सुखबीर बादल ने बसपा को एक उपमुख्यमंत्री पद देने की घोषणा जरूर की है, लेकिन प्रचार में उनके नेता कहीं दिखाई नहीं पड़ रहे हैं।

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    यही हाल कांग्रेस का है। चूंकि कांग्रेस की इस समय सरकार है, इसलिए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के ही पोस्टर और नारे नजर आ रहे हैं। कांग्रेस का प्रचार मुख्मयंत्री चन्नी को ही चेहरा बनाकर आगे बढ़ रहा है। कांग्रेस ने नारों और पोस्टरों में चन्नी को ही प्रमुखता दी गई है। घर-घर विच चली गल्ल, चन्नी करदा मसले हल या पंजाब सरकार द्वारा हाल ही में लिए गए फैसलों के पोस्टर ही ज्यादा दिखाई पड़ रहे हैं।

    वहीं, आम आदमी पार्टी अभी मुख्यमंत्री के लिए चेहरा नहीं दे पाई है। पंजाब में लगे पोस्टरों में अरविंद केजरीवाल ही छाए हैं। 'एक मौका केजरीवाल को' जैसे नारों के साथ प्रचार आगे बढ़ रहा है। हालांकि प्रदेश में पार्टी की कमान भगवंत मान के हाथ में है और हरपाल चीमा प्रदेश में विपक्ष के नेता हैं, लेकिन न तो उनका नाम कहीं पोस्टरों पर आ रहा है और न ही बड़े कार्यक्रमों में।

    प्रचार को यदि छोड़ भी दें तो यही हाल प्रेस कांफ्रेंस का है। यदि सरकार ने या पार्टी ने कोई बड़ी घोषणा करनी हो तो की जाने वाली प्रेस कान्फ्रेंस का चेहरा ही बदल गया है। अब केवल एक ही कुर्सी लगाई जाती है और सारा फोकस उसी पर रखा जा रहा है। पिछले दिनों जब सुखबीर बादल ने अपने 13 सूत्रीय कार्यक्रम को लांच करने के लिए प्रेस कान्फ्रेंस की तो केवल उन्हीं की कुर्सी लगाई गई। पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की प्रेस कान्फ्रेंस के दौरान भी केवल उन्हीं पर फोकस रखा गया। मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने अपने दो महीने के कार्यकाल के दौरान जिन 60 फैसलों को लिया और उसे पूरा करने के लिए जो कार्यवाही की गई, उसकी जानकारी देने के लिए जब प्रेस कांफ्रेंस की गई तो केवल वही कुर्सी पर बैठे। हालांकि पंडाल में उपमुख्यमंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा व अन्य कई मंत्री भी मौजूद थे।