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    अब कम दृष्टि दोष से पीड़ित लोग भी सामान्य तरीके से देख सकेंगे, चंडीगढ़ में CSIO ने तैयार किए गजब के चश्मे

    By SUMESH KUMARIEdited By: Nitish Kumar Kushwaha
    Updated: Mon, 29 Dec 2025 08:32 PM (IST)

    सीएसआईआर-सीएसआईओ चंडीगढ़ ने कम दृष्टि दोष से पीड़ित लोगों के लिए एस्फेरिक लेंस आधारित नए चश्मे विकसित किए हैं। ये चश्मे +26 डायोप्टर तक की दृष्टि वाले ...और पढ़ें

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    कम दृष्टि दोष से पीड़ित लोगों के लिए सीएसआईओ चंडीगढ़ ने बनाए नए चश्मे

    सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़। कम दृष्टि दोष से पीड़ित लोगों के लिए एक नई उम्मीद जगी है। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के चंडीगढ़ स्थित केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआईओ) ने लो-विजन एड् (एलवीए) चश्मे विकसित किए हैं। एस्फेरिक लैंस आधारित इन चश्मों से +26 डायोप्टर पावर विजन तक रखने वाले लोग सामान्य रूप से देख सकने में सक्षम होंगे। एस्फेरिक एक खास तरह का

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    ऑप्टिकल लेंस होता है और यह पारंपरिक लेंसों की तुलना में प्रकाश को ज्यादा सटीक रूप से फोकस करता है। दरअसल, कम दृष्टि दोष एक स्थायी दृष्टि हानि है जिसमें चश्मे, कान्टैक्ट लेंस या सर्जरी से राहत नहीं मिलती है। विशेषज्ञों के अनुसार, जिन लोगों की विजुअल एक्यूटी यानी दृष्टि की स्पष्टता 18 के बजाए छह मीटर रह जाती है, उन्हें इन उच्च-क्षमता वाले चश्मों की जरूरत पड़ती है।

    team make the lance

    सीएसआईओ के सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. मुकेश कुमार व अन्य विज्ञानियों डॉ. नेहा खत्री, डॉ. नीलेश कुमार और डॉ. नीलम कुमारी ने तकनीक को किया तैयार (जागरण)

    चंडीगढ़ के सेक्टर 30 स्थित सीएसआईओ के सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. मुकेश कुमार व अन्य विज्ञानियों डॉ. नेहा खत्री, डॉ. नीलेश कुमार और डॉ. नीलम कुमारी ने इस नई तकनीक को तैयार किया है। इसे तीन दिसंबर 2024 को अंतरराष्ट्रीय दिव्यांग दिवस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु और सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्री डॉ. वीरेंद्र कुमार ने नई दिल्ली में लांच किया था।

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    अभी इसकी तकनीकी हस्तानांतरण की प्रक्रिया चल रही है। इन चश्मों का वितरण जून और अगस्त 2025 में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने वाराणसी और देहारादून में अलग-अलग जनसभाओं में किया है।

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    राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु सीएसआईओ की तरफ से तैयार लो-विजन एड् चश्मे को दिव्यांग दिवस पर बच्चे को पहनाकर लांच करते हुए (फाइल फोटो)

    यह चश्मा कम दृष्टि वाले बच्चों को कक्षा की गतिविधियों में भाग लेने, किताबें पढ़ने, कंप्यूटर का उपयोग करने और मनोरंजक गतिविधियों में शामिल होने में सहायता देगा। इसी तरह वरिष्ठ नागरिकों को आत्मनिर्भर बनाए रखने और दैनिक कार्यों को करने में मदद करेगा।‬ इन चश्मों को कम कीमत मे जरूरतमंदों तक पहुंचाने का लक्ष्य है। यह पहल कानपुर स्थित कृत्रिम अंग भारत के विनिर्माण निगम (एल्मिको) के सहयोग से सीएसआईओ कर रहा है।

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    चंडीगढ़ में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सीएसआईओ की तरफ से तैयार लो-विजन एड् चश्मे को पहनाते हुए (फाइल फोटो)

    तकनीक का परीक्षण एल्मिको और देहरादून के राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तीकरण संस्थान (एनआइईपीवीडी) की तरफ से किया गया है। सीएसआईओ ने इस तकनीक की जांच सेक्टर-26 स्थित इंस्टीट्यूट फार ब्लाइंड के विद्यार्थियों पर भी की है। डॉ. नेहा और डॉ. नीलम ने बताया कि इंस्टीट्यूट में कम-दृष्टि वाले बच्चों को नई तकनीक से तैयार चश्मे लगाने से लाभ मिला है।

    डिजाइन में सुधार और वजन 60 प्रतिशत कम

    इस तकनीक पर लगातार शोध चल रहा है। इसे इंजेक्शन मोल्डिंग प्रक्रिया के जरिये इसे एक तरह की प्लास्टिक पाली मिथाइल मेथैक्रिलेट (एक्रिलिक) से तैयार किया जा रहा है। इस प्रक्रिया में प्लास्टिक के दानों को गर्म करके पिघलाया जाता है और फिर उच्च दबाव के साथ एक धातु के सांचे में इंजेक्ट किया जाता है, जहां यह ठंडा होकर वांछित आकार में ठोस हो जाता है।

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    +26 डायोप्टर दृष्टिदोष वाले लोगों को सामान्य रूप से देखने के लिए तैयार किए गए लो-विजन एड् चश्मे। जागरण

    इससे डिजाइन में सुधार के साथ इन चश्मों का वजन कांच के चश्मे की तुलना में 60 प्रतिशत तक कम होता है। सीएसआईओ निदेशक के प्रो. शांतनु भट्टाचार्य के अनुसार, एस्फेरिक लेंस बेहद कम दृष्टि वाले लोगों के लिए मैग्निफाइंग ग्लास की तरह काम करता है। अधिक पावर वाले पारंपरिक लेंस आमतौर पर बहुत बड़े और भारी हो जाते हैं, जबकि लो-विजन एड् चश्मे भार कम होने के कारण अधिक सुविधाजनक हैं।

    क्या है लो-विजन एड्

    ये ऐसे उपकरण हैं, जो कम दृष्टि वाले लोगों को उनकी बची हुई दृष्टि का बेहतर उपयोग करने और रोजमर्रा के काम (जैसे पढ़ना, देखना) में मदद करते हैं। सीएसआईओ निदेशक ने बताया कि देश के लगभग 1.4 करोड़ लोग कम दृष्टि से प्रभावित हैं।