पीयू में नया इतिहास, एसएफएस की महिला उम्मीदवार कनुप्रिया ने जीता अध्यक्ष पद
पीयू छात्र राजनीति में इस चुनाव में नया इतिहास रचा गया। छात्र संघ चुनाव में पहली बार किसी छात्रा ने प्रेसिडेंट पद पर जीत हासिल कर रिकार्ड बनाया है।
चंडीगढ़ [डॉ. सुमित सिंह श्योराण]। पंजाब यूनिवर्सिटी (पीयू) छात्र राजनीति में इस चुनाव में नया इतिहास रचा गया। छात्र संघ चुनाव में पहली बार किसी छात्रा ने प्रेसिडेंट पद पर जीत हासिल कर रिकार्ड बनाया है। स्टूडेंट फॉर सोसाइटी (एसएफएस) की उम्मीदवार जूलॉजी विभाग की स्टूडेंट कनुप्रिया ने प्रेसिडेंट पद पर सोई-इनसो-आइएसए-हिमासू पैनल के उम्मीदवार इकबाल प्रीत सिंह को हराकर यह जीत हासिल की है। एसएफएस ने छात्र काउंसिल चुनाव में अकेले दम पर यह जीत हासिल की है। साथ ही तीन अन्य पदों पर एसएफएस ने कोर्ई उम्मीदवार खड़ा नहीं किया। पिछले सालों में एसएफएस ने एनएसयूआइ और सोई उम्मीदवार को कांटे की टक्कर दी है।
एसएफएस के लंबे संघर्ष का मिला ईनाम
पंजाब यूनिवर्सिटी में करीब चार साल पहले एसएफएस छात्र संगठन का गठन किया गया। एसएफएस ने छात्र हितों के लिए कई बड़े आंदोलन पंजाब यूनिवर्सिटी में किए हैैं। फीस बढ़ोतरी के मुद्दे पर एसएफएस की स्टूडेंट्स की लंबी भूख हड़ताल हो या फिर स्टूडेंट राइट्स का मुद्दा। एसएफएस ने हर मुद्दे पर पंजाब यूनिवर्सिटी प्रशासन को हमेशा कड़ी चुनौती दी। एसएफएस के कई छात्र नेताओं पर पुलिस में मामले भी दर्ज हुए। लेकिन कई सालों की कड़ी मेहनत के बाद आखिर एसएफएस ने पंजाब यूनिवर्सिटी में 2018 छात्र संघ चुनाव में जीत का स्वाद चख ही लिया।
इनसो की दीपिका ठाकुर ने बनाया था रिकार्ड
पंजाब यूनिवर्सिटी छात्र संघ में प्रेसिडेंट और जनरल सेक्रेटरी के पदों को ही सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है। पीयू में पहला रिकार्ड 2008-9 में साइंस संकाय से ही इनसो की छात्र नेता दीपिका ठाकुर ने जनरल सेक्रेटरी पद पर जीत हासिल कर इतिहास रचा था, लेकिन कनुप्रिया की यह जीत ने नया इतिहास रच दिया है। कनुप्रिया पीयू स्टूडेंट सेंटर पर बने स्टूडेंट काउंसिल ऑफिस में प्रेसिडेंट की सीट पर बैठने वाली पहली लडक़ी होगी।
पीयू में अब मुद्दों की राजनीति का दौर
पंजाब यूनिवर्सिटी में अभी तक कांग्रेस की एनएसयूआइ, बीजेपी की एबीवीपी और अकाली दल की सोई और हरियाणा के लोकदल की इनसो पार्टियों का ही दबदबा रहा है, लेकिन एसएफएस की जीत ने अब राष्ट्रीय और उसकी स्टूडेंट विंग को हराकर पीयू कैंपस में नए राजनीतिक दौर की शुरुआत की है।
पंजाब यूनिवर्सिटी में इस बार अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद(एबीवीपी) ने पहली बार जीत के लिए पूरा जोर लगा दिया। यहां तक कि पीयू कुलपति और अन्य प्रशासनिक अमले पर एबीवीपी की जीत के लिए अप्रत्यक्ष रुप से लाभ देने के आरोप लगते रहे। पीयू छात्र चुनाव में एबीवीपी की हार से बड़ा झटका लगा है।
एबीवीपी,एनएसयूआइ फ्लॅाप, इनसो को राहत
पीयू छात्र काउंसिल चुनाव में एबीवीपी और एनएसयूआइ की जीत को लेकर ही कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन दोनों ही छात्र संगठनों का गणित पूरी तरह से गड़बड़ा गया। एनएसयूआइ और एबीवीपी की हार से कई छात्र नेताओं के लिए रास्ते बंद हो सकते हैैं। लेकिन, वाइस प्रेसिडेंट पद पर सोई-इनसो के दलेर सिंह जीत ने हरियाणा की इनेलो नेताओं को कुछ राहत दी है। पंजाब यूनिवर्सिटी छात्र काउंसिल चुनाव में पिछले करीब दस सालों से इनेसो को किंगमेकर के तौर पर जाना जाता है। जिस भी बड़े छात्र संगठन के साथ इनसो का गठजोड़ होता रहा उसे जीत मिलना तय माना जाता रहा है।
यह स्टूडेंट्स की जीत
कनुप्रिया का कहना है कि यह मेरी नहीं स्टूडेंट्स की जीत है। एसएफएस लंबे समय से स्टूडेंट्स के राइट्स के लिए लड़ता रहा है। आखिर युवाओं ने काम को ही वोट दिया है। मैैं प्रेसिडेंट के तौर पर हर स्टूडेंट की आवाज बनकर पंजाब यूनिवर्सिटी प्रशासन के सामने उठाऊंगा। पीयू में हर स्टूडेंट को पढ़ाई का अधिकार दिलाना मेरा पहला मकसद होगा।