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    MiG-21 रिटायर, पढ़ें अब कौन-सा लड़ाकू विमान लेगा इसकी जगह और क्या है खासियत

    Updated: Fri, 26 Sep 2025 02:55 PM (IST)

    भारतीय वायुसेना ने अपने सबसे प्रतिष्ठित लड़ाकू विमान मिग-21 को औपचारिक रूप से सेवानिवृत्त कर दिया है जो लगभग छह दशकों तक सेवा में रहा। इस दौरान इसने 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्धों और कारगिल युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। पायलटों के लिए यह विमान तेज और चुनौतीपूर्ण था। अब मिग-21 का स्थान तेजस एलसीए मार्क 1ए लेगा।

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    अब तेजस हल्का लड़ाकू विमान (एलसीए) मार्क 1ए लेगा मिग 21 की जगह (एजेंसी फोटो)

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। भारतीय वायुसेना ने शुक्रवार को अपने सबसे प्रतिष्ठित और ऐतिहासिक लड़ाकू विमान मिग-21 को औपचारिक रूप से सेवानिवृत्त कर दिया। इस अवसर पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी उपस्थित रहे। यह विमान 1960 में सेवा में शामिल हुआ था और लगभग छह दशकों तक भारतीय वायुसेना की शक्ति और बहादुरी का प्रतीक बना रहा।

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    इतिहास और युद्ध में योगदान

    मिग-21 ने भारतीय वायुसेना की शक्ति को कई युद्धों में साबित किया। 1965 और 1971 के युद्ध में मिग-21 ने दोनों भारत-पाक युद्धों में अहम भूमिका निभाई। विशेष रूप से 1971 में ढाका में गवर्नर के निवास पर हमला कर पाकिस्तान की हार और बांग्लादेश की मुक्ति में योगदान दिया।

    कारगिल युद्ध 1999 में इस विमान ने पाकिस्तानी नियंत्रण केंद्रों को निशाना बनाया और कारगिल में हवाई श्रेष्ठता सुनिश्चित की। आपरेशन बालाकोट 2019 में ग्रुप कप्तान अभिनंदन वर्धमान ने मिग-21 के जरिए पाकिस्तानी एफ-16 विमान को मार गिराया। आपरेशन सिंदूर में मिग-21 को तैनात किया गया और इसने मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

    पायलटों की भावनाएं और अनुभव

    सेवानिवृत्त स्क्वाड्रन लीडर एसएस त्यागी ने कहा मिग-21 पायलटों को तेज, चपल और बहादुर बनाता था। मैंने अपने अधिकांश उड़ान घंटे इसी विमान पर पूरे किए। ग्रुप कप्तान मलिक ने कहा यह विमान मेरे जीवन का हिस्सा रहा।

    इसे अलविदा कहना भावनात्मक पल है। विंग कमांडर जैदीप सिंह ने कहा कि मिग-21 का संचालन चुनौतीपूर्ण था, इसलिए इसे उड़ता हुआ ताबूत भी कहा जाता था, लेकिन इसके तेज और अचल व्यवहार ने हर पायलट को उत्कृष्ट बनाने में मदद की।

    तकनीकी उन्नयन और क्षमताएं

    मिग-21 ने समय-समय पर कई उन्नयन देखे। अंतिम संस्करण मिग-21 बायसन में आधुनिक राडार, एवियोनिक्स और उच्च-प्रभाव वाली विम्पेल आर-73 मिसाइलें शामिल थीं। यह विमान आज भी नजदीकी लड़ाई में सक्षम था। इसके दौरान मिग-21 ने कई आधुनिक विमानों को हरा कर भारतीय वायुसेना की श्रेष्ठता साबित की।

    उत्तराधिकारी और भविष्य

    मिग-21 का स्थान अब तेजस हल्का लड़ाकू विमान (एलसीए) मार्क 1ए लेगा। यह विमान आधुनिक युद्ध की जरूरतों के अनुसार तैयार किया गया है और मिग-21 की विरासत को आगे बढ़ाएगा।

    खासियत: एलसीए मार्क 1ए विमान में वायु सेना को आपूर्ति किए जा रहे शुरुआती 40 एलसीए विमानों की तुलना में अधिक उन्नत एवियोनिक्स और रडार हैं। नए एलसीए मार्क 1ए में स्वदेशी सामग्री 65 प्रतिशत से अधिक होगी।

    विशेष पल और भावनात्मक विदाई

    मुख्य वायुसेना प्रमुख वायु अमर प्रीत सिंह ने मिग-21 की विरासत को सम्मान देने के लिए हाल ही में अंतिम उड़ान भरी। 28 स्क्वाड्रन, जिसे पहले सुपरसोनिक्स कहा जाता है, ने अपने पहले मिशन से लेकर आखिरी दिन तक मिग-21 के साथ सेवा पूरी की।

    मिग-21 न केवल भारतीय वायुसेना के युद्धों में योगदान देने वाला विमान रहा, बल्कि यह पायलटों के प्रशिक्षण और साहस का प्रतीक भी रहा।

    छह दशकों तक सेवा देने के बाद, यह विमान अब इतिहास का हिस्सा बन गया। तेजस एलसीए मार्क 1ए इसके उत्तराधिकारी के रूप में भारतीय वायुसेना की शक्ति को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा

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