मिग-21 ने भरी अंतिम उड़ान, वायुसेना प्रमुख एपी सिंह ने की सुरक्षित लैंडिंग, चंडीगढ़ से वायुसेना के इतिहास में जुड़ा नया अध्याय
मिग-21 को शुक्रवार को चंडीगढ़ एयरफोर्स स्टेशन से विदाई दी गई। एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने मिग-21 की अंतिम उड़ान पूरी कर इतिहास में एक और सुनहरा अध्याय जोड़ दिया। इस मौके पर पूरा वायुसेना परिवार गर्व और भावनाओं से भरा नजर आया जिसके गवाह केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व तीनों सेना प्रमुख बने।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। अनुशासन, शौर्य-साहस के समन्यय के प्रतीक और चार जंगों में दुश्मनों के ठिकानों को ध्वस्त करने वाले मिग-21 को शुक्रवार को विदाई दी। एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने देश के सबसे ऐतिहासिक लड़ाकू विमानों में से एक मिग-21 की अंतिम उड़ान पूरी कर भारतीय वायुसेना के इतिहास में एक और सुनहरा अध्याय जोड़ दिया। उन्होंने मिग-21 के टेल नंबर 2777 के साथ एयरबेस पर सुरक्षित लैंडिंग की। इस मौके पर पूरा वायुसेना परिवार गर्व और भावनाओं से भरा नजर आया।
विदाई समारोह में सूर्य किरण एरोबेटिक टीम ने अपनी प्रस्तुति शुरू की। मिग-21 की अलविदा उड़ान को देखकर इन्हें उड़ाने वाले पूर्व वायु सैनिक भावुक हो गए। चंडीगढ़ एयरफोर्स स्टेशन पर आयोजित विदाई समारोह के केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत तीनों सेनाओं के प्रमुख गवाह बने। ठीक उसी तरह जब 62 वर्ष पहले भारत में मिग लाने में उस वक्त के रक्षा मंत्री वीके कृष्ण मेनन का बड़ा रोल था।
अनुशासन, समन्वय और साहस का प्रतीक
उड़ान पूरी करने के बाद एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा कि मिग-21 सिर्फ एक विमान नहीं, बल्कि भारतीय वायुसेना के अनुशासन, समन्वय और साहस की जीवंत पहचान है। यह विमान दशकों से हमारे वीर पायलटों का साथी रहा है और हर कठिन परिस्थिति में उसने अपनी विश्वसनीयता साबित की है।
मिग-21 का गौरवशाली इतिहास
सोवियत संघ से मिले इस विमान ने 1960 के दशक में भारतीय वायुसेना में प्रवेश किया था। 1965 और 1971 के युद्ध से लेकर कारगिल संघर्ष तक, मिग-21 ने कई अहम अभियानों में अपनी ताकत दिखाई। इसे “टाइप-77” के नाम से भी जाना जाता है।
लंबे समय तक भारतीय आसमान की सुरक्षा का प्रहरी बने रहने के बाद अब मिग-21 को चरणबद्ध तरीके से सेवा से बाहर किया जा रहा है। इसके स्थान पर अत्याधुनिक तेजस एलसीए, सुखोई-30 और राफेल जैसे आधुनिक विमान वायुसेना की ताकत बन चुके हैं।
अंतिम उड़ान का भावनात्मक क्षण
एयर चीफ मार्शल एपी सिंह के लिए यह उड़ान केवल तकनीकी रूप से नहीं बल्कि भावनात्मक रूप से भी बेहद खास रही। मिग-21 से उनका करियर गहराई से जुड़ा रहा है और इस अंतिम उड़ान ने उन्हें वायुसेना के गौरवशाली इतिहास की यादों से जोड़ दिया। एयरबेस पर मौजूद अधिकारियों और जवानों ने तालियों और सलामी के साथ इस ऐतिहासिक क्षण का गवाह बने।
मिग-21 का महत्व और विदाई
मिग-21 को अक्सर ‘टाइम-टेस्टेड वॉर मशीन’ कहा गया है। हालांकि बीते वर्षों में तकनीकी सीमाओं और दुर्घटनाओं के चलते इसे धीरे-धीरे सेवा से हटाया जा रहा है। फिर भी, यह विमान भारतीय वायुसेना की शौर्य गाथा का अभिन्न हिस्सा हमेशा बना रहेगा।
मिग-21 की कमी खलेगी
थल सेना अध्यक्ष उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि मिग-21 बहुत ताकतवर था। यह पल भावुक करने वाला है। पूर्व वायुसेना अध्यक्ष बीएस धनोआ ने कहा कि मिग की ताकत का लोहा दुश्मन भी मानता था और आज तक घबराता था। मिग-21 की कमी जरूर खलेगी, लेकिन अब नए जंगी जहाज ताकत बढ़ाएंगे।
वीरता की अब तक की यात्रा में मिग-21 का बहुत बड़ा योगदान
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा-आज मैं सबसे पहले भारतीय वायुसेना के वीरों को नमन करता हूं। आजादी से लेकर अब तक भारत की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए शौर्य पराक्रम का परिचय दिया है। वीरता की अब तक की यात्रा में मिग-21 का बहुत बड़ा योगदान रहा है। आज मिग-21 की ऑपरेशनल जर्नी से विदाई हो रही है तो यह अध्याय भारतीय वायुसेना के इतिहास के साथ-साथ हमारी सैन्य टीम की जर्नी में गोल्डन लेटर से लिखा जाएगा।
मिग-21 की एक बहुत लंबी कहानी : राजीव बत्तीश
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की उपस्थिति में मिग-21 लड़ाकू विमान बेड़े को सेवामुक्त करने से पहले सेवानिवृत्त विंग कमांडर राजीव बत्तीश ने कहा कि मिग-21 की एक बहुत लंबी कहानी है और यहां इतने सारे लोगों का इकट्ठा होना इस बात का प्रमाण है कि हम सभी इस विमान से जुड़े हुए हैं। उन्होंने कहा कि भारत की ओर से उड़ाए गए लड़ाकू विमानों में सबसे अधिकतम संख्या मिग-21 की है।
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