Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Ranjit Singh Death Anniversary: महाराजा रणजीत सिंह के साथ कोहिनूर और कश्मीर का क्या है संबंध, कैसे मिला उन्हें बेशकीमती हीरा?

    Updated: Thu, 27 Jun 2024 11:01 AM (IST)

    Ranjeet Singh Death Anniversary महाराजा रणजीत सिंह का जन्म गुजरांवाला में हुआ था। यह इलाका अब पाकिस्तान में चला गया। महाराजा रणजीत सिंह ने पंजाब पर कई सालों तक राज किया। उनकी दहाड़ से दुश्मन थर्रा जाते थे। बहुत ही कम उम्र में उन्होंने अपने हाथ में तलवार थाम लिया था। उन्होंने अपनी जीते-जी कभी पंजाब के आसपास दुश्मनों को भटकने तक नहीं दिया।

    Hero Image
    Ranjeet Singh Death Anniversary: महाराज रणजीत सिंह को कैसे मिला कोहिनूर।

    डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। Maharaja Ranjeet Singh Death Anniversary, Maharaja Ranjit Singh: शेर-ए-पंजाब महाराजा रणजीत सिंह की आज पुण्यतिथि है। उनकी पुण्यतिथि पर लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की है। रणजीत सिंह की शख्सियत काफी बड़ी थी। वे खालसा साम्राज्य के पहले महाराजा थे। उन्होंने पंजाब को एकजुट करने का काम किया। साथ ही जीते-जी अंग्रेजों को कभी अपने साम्राज्य के पास भटकने नहीं दिया।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    महाराजा रणजीत सिंह से जुड़े कई किस्से हैं। लेकिन कश्मीर और कोहिनूर का किस्सा बहुत दिलचस्प है। साथ ही लोगों को ये जानने की जिज्ञासा होती है कि उन्हें बहुमूल्य कोहिनूर हीरा कैसे मिला?

    कश्मीर-कोहिनूर कनेक्शन

    सन 1812 में महाराजा रणजीत सिंह कश्मीर को मुक्त कराना चाहते थे। उन्होंने इसके लिए कश्मीर के सूबेदार अतामोहम्मद को चुनौती दी। इसके लिए उन्होंने ऑपरेशन शुरू कर दिया था। रणजीत सिंह के कहर से अतामोहम्मद भयभीत होकर कश्मीर छोड़कर भाग गया। उन्होंने कश्मीर को आजाद करा लिया। वहीं, बेशकीमती हीरा कोहिनूर का किस्सा भी कश्मीर से जुड़ा है।

    क्या था वफा बेगम का प्रस्ताव

    वहीं, दूसरी तरफ अतामोहम्मद ने महमूद शाह द्वारा पराजित शाहशुजा को शेरगढ़ के किले में कैद कर रखा था। अपने शौहर को आजाद कराने के लिए वफा बेगम ने लाहौर आकर महाराजा रणजीत सिंह से विनती की और वादा किया कि अगर आप मेरे शौहर को कैदखाने से आजाद करा देते हैं तो इसके बदले मैं आपको बेशकीमती कोहिनूर हीरा भेंट करूंगी।

    यह भी पढ़ें- जेल में बंद Amritpal Singh का ये साथी भी लड़ेगा चुनाव, पंजाब की इस सीट से आजमाएगा किस्मत; जानें कौन है भगवंत सिंह?

    वादे से मुकर गई वफा बेगम

    महाराजा रणजीत सिंह ने वफा वेगम का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया। महाराजा के आदेशानुसार उनके दीवान मोहकम चंद कोछड़ ने शेरगढ़ के किले को चारों तरफ घेर लिया। इसके बाद वफा बेगम के शौहर शाहशुजा को रिहा करा दिया। उसे उनके बेगम के पास पहुंचा दिया। लेकिन, वफा बेगम अपने वादे से मुकर गई। कोहिनूर हीरा देने में लगातार देर करती रही और बहाने बनाने लगी। महाराजा ने खुद शाहशुजा से कोहिनूर हीरे के बारे में पूछा तो वह और उसकी बेगम दोनों ही वादे से मुकर गई।

    पगड़ी में छिपा रखा हीरा

    रणजीत सिंह के कहर को देख वफा बेगम नकली हीरा महाराजा को भेंट किया। लेकिन, जब जौहरियों ने इसकी जांच की तो यह नकली निकल गया। रणजीत सिंह आग-बबूला हो उठे। उन्होंने बिना देर किए मुबारक हवेली पूरी तरह से घेर ली। दो दिनों तक वहां के लोगों को खाना नहीं दिया गया। महाराजा खुद शाहशुजा के पास आए और कोहिनूर देने को कहा। बताया जाता है कि शाहशुजा ने कोहिनूर हीरे को अपनी पगड़ी में छिपा रखा था।

    ऐसे प्राप्त किया हीरा

    लेकिन इसकी भनक महाराजा को लग गई थी। उन्होंने शाहशुजा को काबुल की राजगद्दी दिलाने के लिए "गुरुग्रंथ साहब" पर हाथ रखकर प्रतिज्ञा की। फिर उसे "पगड़ी-बदल भाई" बनाने के लिए उससे पगड़ी बदल कर कोहिनूर प्राप्त कर लिया। कोहिनूर हीरा इस प्रकार महाराजा रणजीत सिंह के पास पहुंचा।

    यह भी पढ़ें- Goldy Brar: NIA ने गोल्डी बराड़ और उसके साथी पर रखा 10-10 लाख का इनाम, व्यवसायी के घर जबरन वसूली और गोलीबारी का मामला