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    Lok Sabha Election 2024: शादी के कार्ड पर चुनाव चिह्न छपवाया तो हो सकती है जेल, पढ़िए क्या कहते हैं नियम

    Lok Sabha Election 2024 देश में आज आम चुनाव का शंखनाद हो चुका है। ऐसे में चुनाव आयोग पार्टियों पर नजर गढ़ाए हुआ है। इसी के साथ आम आदमी पर भी आयोग की नजर है। ऐसे में आम आदमी के लिए भी कुछ नियम हैं। आइए जानते हैं कि इस चुनावी माहौल में आम नागरिको को किन चीजों को करने से बचना चाहिए

    By Jagran News Edited By: Prince Sharma Updated: Fri, 19 Apr 2024 10:45 AM (IST)
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    Lok Sabha Election 2024: शादी के कार्ड पर चुनाव चिह्न छपवाया तो हो सकती है जेल,

    चंडीगढ़, रोहित कुमार। Lok Sabha Election 2024: लोगों में यह धारणा होती है कि आचार संहिता सिर्फ राजनीतिक दलों व नेताओं पर लागू होती है। अगर आप भी ऐसा सोचते हैं तो सावधान हो जाएं। आम लोग भी अगर आचार संहिता का उल्लंघन करते हैं तो उन्हें भी जेल हो सकती है।

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    अगर कोई व्यक्ति किसी राजनीतिक पार्टी या उम्मीदवार के प्रचार अभियान से जुड़ा है तो उसे नियमों को लेकर जागरूक रहना होगा।

    कार्ड पर चुनाव चिन्ह छपवाया तो देना होगा जवाब

    सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अगर आपने किसी शादी या कोई अन्य कार्यक्रम के लिए कार्ड छपवाया है और उस पर किसी पार्टी का चुनाव चिह्न लगाया है तो चुनाव आयोग आपसे जवाब मांग सकता है। इसके लिए आपको जुर्माना भी भुगतना पड़ सकता है।

    आप जेल भी जा सकते हैं। यह खर्च पार्टी प्रत्याशी या फिर पार्टी के खर्च में भी जोड़ा जा सकता है। इसी तरह गली-मोहल्लों में होने वाले कार्यक्रमों में किसी भी आम लोग पार्टी के लिए चुनाव प्रचार नहीं कर सकते।

    अगर कोई नेता नियमों के खिलाफ काम करने के लिए कहता है और आप वैसा कर देते हैं तो आचार संहिता की जानकारी न होने की बात कहकर बच नहीं सकते।

    आम लोगों पर भी चुनाव आचार संहिता होती है लागू

    चुनाव के दौरान इंटरनेट मीडिया पर पोस्ट करते समय आम लोग भी सावधानी बरतें। हेट स्पीच से लेकर फेक न्यूज फैलाने वालों पर आयोग नजर रख रहा है।

    ऐसे में आप के खिलाफ आइटी एक्ट के तहत केस दर्ज हो सकता है, जिसमें आप को छह माह की कैद और जुर्माना भी हो सकता है।

    धर्म को लेकर नहीं कर सकते टिप्पणी 

    अपने क्षेत्र में सार्वजनिक उद्घाटन और शिलान्यास किसी भी नेता या पार्टी कार्यकर्ता से नहीं करवा सकते। कोई भी व्यक्ति सरकार की उपलब्धियों वाले विज्ञापन प्रिंट, इलेक्ट्रानिक और दूसरे मीडिया में नहीं दे सकता। धर्म को लेकर टिप्पणी नहीं कर सकता है।

    धार्मिक स्थानों का चुनाव प्रचार के मंच के रूप में प्रयोग नहीं कर सकता। जाति या सांप्रदायिक भावनाओं के आधार पर कोई अपील नहीं की जा सकती। अगर समाज सेवी संस्थाएं और मंदिर कमेटियां ऐसा करती हैं तो उन पर कार्रवाई हो सकती है। उन पर केस दर्ज किया जा सकता है।

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