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    Lohri History: सिर्फ मूंगफली-गजक तक सीमित नहीं, कई पौराणिक कथाओं से जुड़ा है नाता; जानिए क्यों मनाई जाती है लोहड़ी?

    Updated: Fri, 12 Jan 2024 03:38 PM (IST)

    Lohri Katha देश भर में 13 जनवरी यानी कल लोहड़ी पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा। यह त्योहार उत्तर भारत के राज्यों में खासतौर से पंजाब हरियाणा समेत हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं यह त्योहार क्यों मनाया जाता है। इस लेख में हम इसी विषय की चर्चा करेंगे...

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    लोहड़ी त्योहार फसल पकने और अच्छी खेती के प्रतीक के रूप में जाना जाता है

    डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़ (History of Lohri, Lohri Stories)। देश भर में 13 जनवरी यानी कल लोहड़ी पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाएगा। यह त्योहार उत्तर भारत के राज्यों में, खासतौर से पंजाब, हरियाणा समेत हिमाचल प्रदेश के कुछ हिस्सों में बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है। आज कल दिल्ली और मुंबई जैसे बड़े शहरों में भी लोहड़ी मनाई जाती है। इस दिन सभी लोग एकजुट होते हैं और नाच-गानों के साथ यह पर्व मनाते हैं। यह पर्व केवल मूंगफली, गजक-रेवड़ी के बीच तक सीमित नहीं है, बल्कि इस पर्व को मनाने के पीछे एक खास वजह है

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    आइए, इसी क्रम में हम लोहड़ी के मनाए जाने के पीछे की पौराणिक कथा को जानते हैं:

    फसल से जुड़ा है लोहड़ी का नाता

    दरअसल, लोहड़ी त्योहार फसल पकने और अच्छी खेती के प्रतीक के रूप में जाना जाता है। सूर्य के प्रकाश व अन्य प्राकृतिक तत्वों से तैयार हुई फसल के उल्लास में लोग एकजुट होकर यह पर्व मनाते हैं। इस दिन सभी लोग इकट्ठा होकर सूर्य भगवान एवं अग्नि देव का पूजन कर उनका आभार प्रकट करते हैं। यह पर्व समाज में आपसी सद्भाव और प्रेम को भी दर्शाता है। लोहड़ी के समय फसल पक जाती है और उसे काटने का वक्त आ चुका होता है। इस अवसर पर लोग अग्नि देव को रेवड़ी और मूंगफली अर्पित करते हैं तथा आपस में वितरित करते हैं। इसलिए यह त्योहार आपसी सरोकार और प्रेम को भी दर्शाता है।

    क्या है पौराणिक मान्यता?

    लोहड़ी का उल्लेख हमें पौराणिक कथा में भी मिलता है। ऐसी मान्यता है कि माता सती के पिता राजा दक्ष ने महायज्ञ किया था। इसमें भगवान शिव और माता सती को आमंत्रित नहीं किया गया। निमंत्रण न मिलने से सती माता राजा दक्ष से नाराज हो गईं और उन्होंने स्वयं को अग्नि में समर्पित कर दिया। ऐसा माना जाता है यह पर्व माता सती को ही समर्पित है। इस दिन लोग दुल्ला भट्टी से जुड़े गीत भी गाते हैं।

    कौन था 'दुल्ला भट्टी'

    दुल्ली भट्टी से जुड़ी एक लोक कथा भी पर्व से जुड़ी हुई नजर आती है। मुगल काल में अकबर के शासन काल के दौरान दुल्ला भट्टी नाम का एक व्यक्ति था। वह पंजाब में रहता था। ऐसा माना जाता है कि दुल्ला भट्टी ने अपना साहस दिखाकर कई लड़कियों को अमीर सौदागरों से बचाया था। दरअसल, उस समय कई लड़कियों को अमीर घरानों में बेचा जाता था। दुल्ला भट्टी ने इसके खिलाफ आवाज बुलंद की और उन लड़कियों का विवाह सम्पन्न करवाया। इस कारण दुल्ला भट्टी पंजाब में खूब प्रसिद्ध हुआ। उसे नायक की उपाधि दी गई। यही कारण है कि लोहड़ी वाले दिन इस नायक को याद किया जाता है।

    बाजारों में दिख रही रौनक

    पंजाब में इन दिनों लोहड़ी पर्व को लेकर खासा उत्साह नजर आ रहा है। बाजारों में लोहड़ी के पर्व पर बिकने वाले सामान से दुकानें सजाई हुई हैं। शहर में कई स्थानों पर लोहड़ी पर सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित होंगे। बाजारों में ब्रांडेड कंपनियों की गजक और मूंगफली की खूब भरमार है। वहीं पतंग का भी बाजार खूब गर्म है। लोग बेसब्री से लोहड़ी का इंतजार करते नजर आ रहे हैं।

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