लॉरेंस बिश्नोई इंटरव्यू केस: सस्पेंड पुलिसकर्मियों ने पॉलीग्राफ टेस्ट को HC में दी चुनौती, पंजाब सरकार से जवाब-तलब
गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के जेल से इंटरव्यू मामले में सस्पेंड किए गए पांच पुलिसकर्मियों ने पॉलीग्राफ टेस्ट के आदेश को हाई कोर्ट में चुनौती दी है। मोहाल ...और पढ़ें

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के जेल से दिए गए इंटरव्यू के वायरल मामले में सस्पेंड किए गए पांच पुलिसकर्मियों ने अब पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की शरण ली है। इन पुलिसकर्मियों ने मोहाली की ट्रायल कोर्ट द्वारा पॉलीग्राफ टेस्ट कराने के दिए गए आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। शनिवार को मामले की सुनवाई के दौरान हाई कोर्ट के जस्टिस एनएस शेखावत ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है और नौ मई तक जवाब दाखिल करने के निर्देश दिए हैं।
इन्होंने दायर की है याचिका
याचिका दायर करने वालों में कांस्टेबल सिमरनजीत सिंह, हरप्रीत सिंह, बलविंदर सिंह, सतनाम सिंह और अमृतपाल सिंह शामिल हैं। इन सभी पर आरोप है कि उन्होंने जेल में लॉरेंस बिश्नोई को इंटरव्यू देने में कथित रूप से सहयोग किया था, जिसके बाद इन्हें निलंबित कर जांच के दायरे में लाया गया। याचिका में यह तर्क दिया है कि उन्होंने पॉलीग्राफ टेस्ट की सहमति दबाव में दी थी और अब वे इसे स्वेच्छा से दी गई सहमति नहीं मानते।
ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दिया था याचिका
इससे पहले, मोहाली की ट्रायल कोर्ट ने इन पांचों पुलिसकर्मियों की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उन्होंने पॉलीग्राफ टेस्ट पर रोक की मांग की थी। अदालत ने 29 अप्रैल को दिए आदेश में कहा था कि इन पुलिसकर्मियों की पहले दी गई सहमति के आधार पर टेस्ट किया जा सकता है।
इससे पहले, कोर्ट ने अस्थायी रूप से टेस्ट पर रोक लगा रखी थी। स्वैच्छिक सहमति से ही किया जा सकता है पालिग्राफ टेस्ट भारतीय कानून के तहत पॉलीग्राफ टेस्ट किसी व्यक्ति की स्वैच्छिक सहमति से ही किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले में स्पष्ट किया है कि बिना सहमति के कोई भी नार्को, ब्रेन मैपिंग या पालीग्राफ टेस्ट नहीं किया जा सकता, क्योंकि यह व्यक्ति के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है।
मामला क्या है
मार्च 2024 में गैंग्सटर लारेंस बिश्नोई का एक वीडियो इंटरव्यू इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुआ था, जिसमें वह पंजाब की एक जेल से बोलता दिखाई दिया था। इस इंटरव्यू ने जेल प्रशासन और पुलिस विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए थे। पंजाब सरकार ने मामले की उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए थे, जिसके तहत पांच पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया और जांच के लिए पॉलीग्राफ टेस्ट की अनुशंसा की गई।

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