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    हाईकोर्ट ने खारिज की ED-CBI अधिकारियों की जमानत याचिका, हिमाचल छात्रवृत्ति घोटाले में रिश्वत मांगने का आरोप

    Updated: Thu, 31 Jul 2025 09:54 PM (IST)

    पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश छात्रवृत्ति घोटाले में ईडी के सहायक निदेशक विशाल दीप और सीबीआई के डीएसपी बलबीर सिंह की जमानत याचिका खारिज कर दी। उन पर रिश्वत मांगने और भ्रष्टाचार में शामिल होने का आरोप है। कोर्ट ने कहा कि उनके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और जमानत देने से जांच प्रभावित हो सकती है।

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    हाईकोर्ट ने ईडी और सीबीआई अधिकारियों की जमानत याचिका की खारिज। फाइल फोटो

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने हिमाचल प्रदेश छात्रवृत्ति घोटाले से जुड़े भ्रष्टाचार के मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के सहायक निदेशक विशाल दीप और सीबीआइ के डीएसपी बलबीर सिंह की नियमित जमानत याचिकाओं को खारिज कर दिया है।

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    जस्टिस मंजरी नेहरू कौल की एकल पीठ ने यह आदेश सुनाया। विशाल दीप और बलबीर सिंह पर आरोप है कि उन्होंने एक वित्तीय धोखाधड़ी मामले में आरोपित व्यक्तियों से रिश्वत की मांग की। विशाल दीप पर आरोप है कि उन्होंने ‘रहीम’ नाम से पहचान छिपाकर 55 लाख रुपये और 60 लाख रुपये की अवैध मांग की।

    बलबीर सिंह पर संपर्क साधने और मुलाकातें तय करने में सहयोग देने का आरोप है। सीबीआइ के विशेष लोक अभियोजक ने अदालत को बताया कि दोनों आरोपित उच्च पदों पर रहते हुए अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर रहे थे। मामले में एन्क्रिप्टेड मैसेजिंग ऐप ‘जांगी’ का इस्तेमाल, फर्जी नाम, और करोड़ों की रिश्वत की वसूली यह सब एक सुनियोजित साजिश की ओर इशारा करता है।

    1.25 करोड़ रुपये की राशि भी सह-आरोपित और विशाल दीप के भाई विकास दीप से बरामद की गई। विशाल दीप के वकील ने कहा कि उन्हें झूठा फंसाया गया है और उनके खिलाफ कोई प्रत्यक्ष बरामदगी नहीं हुई है।

    बलबीर सिंह के वकीलों ने उनकी गंभीर स्वास्थ्य स्थिति का हवाला देते हुए राहत की मांग की और बताया कि वह पहले भी मेडिकल आधार पर अंतरिम जमानत पर थे और उन्होंने कभी नियमों का उल्लंघन नहीं किया।

    कोर्ट ने कहा कि आरोपितों की भूमिका महज संदेह या परिस्थितिजन्य नहीं है, बल्कि उनके खिलाफ इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य, काल डिटेल रिकार्ड, सीसीटीवी फुटेज और फीनोल्फ्थेलीन पाजिटिव कार जैसे साक्ष्य मौजूद हैं। अदालत ने यह भी कहा कि सार्वजनिक पदों पर रहते हुए किए गए इस प्रकार के भ्रष्टाचार को गंभीरता से लिया जाना चाहिए।

    बलबीर सिंह की चिकित्सा रिपोर्ट के अनुसार, उनकी हृदय और गुर्दे की स्थिति स्थिर है और जेल में उनका इलाज संभव है। अदालत ने जेल प्रशासन को उचित चिकित्सा देखभाल सुनिश्चित करने के निर्देश भी दिए हैं।

    हाईकोर्ट ने यह मानते हुए कि इन वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा की गई कथित साजिश संस्थागत विश्वसनीयता पर हमला है, उन्हें जमानत का लाभ देने से इंकार कर दिया और कहा कि इससे जांच या गवाहों को प्रभावित करने की आशंका बनी रह सकती है।