हाईकोर्ट ने दिए आशुतोष महाराज के शरीर को संरक्षित करने के आदेश
नूरमहल स्थित दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के मुखिया आशुतोष महाराज के मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट की खंडपीठ ने सिंगल बेंच के आदेश को खारिज कर दिया है।
जेएनएन, चंडीगढ़। दिव्य ज्योति जागृति संस्थान के संस्थापक आशुतोष महाराज मामले में जस्टिस महेश ग्रोवर की खंडपीठ ने अहम फैसला सुनाते हुए सिंगल बेंच के आदेशों को खारिज करते हुए आशुतोष महाराज के शरीर को संरक्षित करने के आदेश दिए हैं। अपने आदेशों में हाईकोर्ट ने यह स्पष्ट कर दिया कि आशुतोष महाराज के शरीर को किसी भी प्रकार का नुकसान न हो इसके लिए लगातार डीएमसी की मेडिकल टीम उनके शरीर की जांच के लिए जाती रहेंगी और इसके लिए डेरे को भुगतान करना होगा। इस भुगतान के लिए हाईकोर्ट ने 50 लाख के तौर पर एफडी के रूप में जमा रखने के आदेश दिए हैं।
इसके साथ ही आशुतोष महाराज की कथित पुत्र दिलीप कुमार झा की डीएनए टेस्ट को लेकर दाखिल की गई याचिका हाईकोर्ट ने खारिज कर दी। डीएनए टेस्ट की मांग पर हाईकोर्ट ने दिलीप कुमार झा को कहा कि वो चाहे तो इसके लिए सिविल सूट दाखिल कर सकते हैं और सिविल सूट दाखिल करने की स्थिति में यदि आशुतोष महाराज के डीएनए के सैंपल लेने की आवश्यकता पड़ी तो डेरे को निर्देश दिए गए हैं कि सैंपल लेने में किसी भी तरह के रोक टोक न की जाए।
बता दें, 1 दिसंबर 2014 को हाईकोर्ट के जस्टिस एमएमएस बेदी की सिंगल बेंच ने अपना फैसला सुनाते हुए महाराज के शरीर का 15 दिनों के भीतर अंतिम संस्कार किए जाने के आदेश दिए थे। अंतिम संस्कार के लिए हाईकोर्ट ने पंजाब के मुख्य सचिव और डीजीपी की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन कर इसी कमेटी की निगरानी में अंतिम संस्कार करवाए जाने के आदेश दिए थे।
सिंगल बेंच के इस फैसले को डबल बेंच में चुनौती देते हुए अपील की गई थी। डबल बेंच ने अपील पर सुनवाई करते हुए सिंगल बेंच के इस फैसले पर रोक लगा दी थी। तब से लेकर पिछले ढाई वर्षों से हाईकोर्ट में हुई 30 से अधिक सुनवाई में हाईकोर्ट ने सभी पक्षों की दलीलें सुन मई में फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सरकार का रुख
पंजाब सरकार ने यह साफ कर दिया था कि महाराज समाधि में हैं या मृत, यह तय करना सरकार का काम नहीं है। इस विषय पर सरकार बिल्कुल तटस्थ है। यह आस्था और विश्वास का विषय है और सरकार का काम सभी की धार्मिक भावनाओं की सुरक्षा करना है। पंजाब के एडवोकेट जनरल अतुल नंदा ने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा था कि सिंगल जज ने महाराज के शरीर के अंतिम संस्कार के लिए एक कमेटी गठित करने का फैसला सुनाया था, जबकि ऐसी कोई मांग ही हाईकोर्ट से नहीं की गई थी। सरकार का काम सिर्फ कानून व्यवस्था बनाए रखने का है।
संस्थान की अपील
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान ने सिंगल बेंच के फैसले के खिलाफ अपील में कहा था कि महाराज समाधि में हैं। ऐसे में उन्हें मृत नहीं माना जा सकता। यह धार्मिक विषय है, जो महाराज के लाखों अनुयायियों की भावनाओं से जुड़ा है। वहीं महाराज के कथित पुत्र का दावा था कि वह महाराज का पुत्र है और महाराज के शरीर पर उसका अधिकार है। इसके लिए उसने डीएनए टेस्ट करवाए जाने की भी मांग की थी। अब बुधवार को हाईकोर्ट इस मामले में अपना फैसला सुना देगा।
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