प्राइवेट स्कूलों को कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए सीटें आरक्षित करने से दी छूट, हाई कोर्ट से CBI जांच की मांग
पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया है। यह नोटिस एक याचिका पर है जिसमे निजी स्कूलों को कमजोर वर्ग के छात्रों के लिए सीटें आरक्षित करने से छूट देने वाले नियम की सीबीआई जांच की मांग की गई है। याचिका में आरटीई अधिनियम के उल्लंघन और राज्य को राजस्व के नुकसान का आरोप लगाया गया है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब सरकार को उस याचिका पर नोटिस जारी किया है जिसमें एक ऐसे नियम को शामिल करने की सीबीआई जांच की मांग की गई है, जिसके तहत कथित तौर पर निजी स्कूलों को कमजोर वर्गों के छात्रों के लिए सीटें आरक्षित करने से छूट दी गई है।
पंजाब सरकार ने पंजाब शिक्षा का अधिकार नियम, 2011 को लागू किया था, जिसके कारण पंजाब के कमजोर वर्गों और वंचित समूहों के बच्चों को आरटीई अधिनियम 2009 के अनुसार निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों में प्रवेश नहीं मिल पा रहा है।
हालांकि, समाज के कमजोर वर्ग के लिए 25 प्रतिशत सीटें आरक्षित करने के हाईकोर्ट के निर्देश के बाद मार्च में इसे निरस्त कर दिया गया था। चीफ जस्टिस शील नागू और जस्टिस संजीव बेरी की खंडपीठ ने पंजाब सरकार को नोटिस जारी किया और मामले की सुनवाई 22 सितंबर के लिए सूचीबद्ध कर दी।
केएस राजू लीगल ट्रस्ट द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि पंजाब आरटीई नियम, 2011 के तहत आरटीई अधिनियम, 2009 की धारा 12 (1) (सी) के तहत प्रवेश देना एक आवश्यक शर्त है।
यह आरोप लगाया गया कि 15 वर्षों तक पंजाब में निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों ने इस आवश्यक शर्त का उल्लंघन किया और फिर भी वे मान्यता रद्द होने से बच गए तथा साथ ही आरटीई अधिनियम की धारा 18 के तहत जुर्माना अदा करने से भी बच गए, क्योंकि प्रतिवादी द्वारा नियम 7 (4) के रूप में उन्हें कानूनी संरक्षण दिया गया था।
इसमें कहा गया है कि सरकार ने पंजाब में निजी गैर-सहायता प्राप्त स्कूलों को जानबूझकर छोड़ दिया है, तथा 15 वर्षों तक पंजाब आरटीई नियम, 2011 के साथ आरटीई अधिनियम की धारा 18 के तहत अनिवार्य जुर्माना न लगाकर और न ही वसूल कर राज्य को राजस्व का भारी नुकसान पहुंचाया है।
याचिका में पंजाब सरकार को यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि वह आरटीई अधिनियम 2009 की धारा 12 (एल) (सी) के तहत मौजूदा शैक्षणिक वर्ष (2025-26) में गैर-अल्पसंख्यक गैर-सहायता प्राप्त निजी स्कूलों में 7-13 वर्ष के बीच के कमजोर वर्ग के बच्चों को उनकी आयु के अनुरूप कक्षाओं में प्रवेश दे, क्योंकि वे पिछले वर्षों में आरटीई नियम, 2011 के गैरकानूनी नियम 7 (4) के कारण प्रवेश स्तर पर मौका चूक गए थे।
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