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    Chandigarh News: वकील के आचरण की निगरानी करेगी बार काउंसिल, हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ किया था आपत्तिजनक पोस्ट, जानिए पूरा मामला

    Chandigarh News पंजाब-हरियाणा बार काउंसिल एक वकील के आचरण की निगरानी करेगी। वकील ने हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ आपत्तिजनक पोस्ट किया था। इसके आरोप में उसके खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। हाई कोर्ट ने उसे 50 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया था। इसे बार काउंसिल के खाते में जमा करवाने का आदेश दिया था। जानिए क्या है पूरा मामला...

    By Jagran News Edited By: Sushil Kumar Updated: Thu, 13 Jun 2024 01:26 PM (IST)
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    Chandigarh News: वकील के आचरण की निगरानी करेगी बार काउंसिल।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल को एक वकील के आचरण की निगरानी करने का निर्देश दिया है। वकील पर 2019 में एक व्हाट्सएप ग्रुप पर हिंदू देवी-देवताओं के खिलाफ कथित तौर पर आपत्तिजनक संदेश पोस्ट डालने के आरोप में मामला दर्ज किया था।

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    जस्टिस कुलदीप तिवारी ने वकील प्रितपालजीत सिंह संघा के खिलाफ दर्ज एफआइआर को रद करने के बाद यह आदेश पारित किया, क्योंकि शिकायतकर्ता ने आरोपित के साथ मामले में समझौता कर लिया था। हाई कोर्ट ने प्रितपालजीत को 50 हजार रुपये जुर्माना भी किया है। जुर्माने की राशि बार काउंसिल के खाते में जमा करवाने का भी आदेश दिया है।

    हाई कोर्ट ने क्या कहा

    कोर्ट ने साफ कर दिया कि अगर यह राशि जमा नहीं करवाई जाती है तो एफआईआर रद करने का आदेश खारिज माना जाएगा। हाई कोर्ट ने इस आदेश की एक प्रति पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल के चेयरमैन को भी भेजने का आदेश दिया है।

    साथ ही इसे आरोपित की व्यक्तिगत फाइल में रखने को भी कहा है। पंजाब एवं हरियाणा बार काउंसिल के चेयरमैन को भी याचिकाकर्ता वकील के कृत्य एवं आचरण पर नजर रखने को कहा है।

    यह भी कहा है कि यदि याचिकाकर्ता द्वारा भविष्य में कोई ऐसा अपराध किया जाता है तो उसके खिलाफ उचित अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। याचिकाकर्ता वकील संघा के खिलाफ पंजाब पुलिस ने अशोक सरीन नामक व्यक्ति की शिकायत पर मामला दर्ज किया था।

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    किया था अपमानजक पोस्ट 

    सरीन ने आरोप लगाया था कि संघा ने हिंदू समुदाय की धार्मिक मान्यताओं को ठेस पहुंचाने के लिए वकीलों के एक ग्रुप डीबीए होशियारपुर में अपमानजनक संदेश पोस्ट किया था। आरोपित ने 2019 में ही एफआइआर को रद करने के लिए आवेदन किया था।

    हाई कोर्ट को बताया गया कि शिकायतकर्ता एवं आरोपित ने मामले में समझौता करने का निर्णय लिया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा समझौते के वास्तविक एवं स्वैच्छिक होने के बारे में संतुष्टि दर्ज करने के बाद हाई कोर्ट ने संघा के खिलाफ एफआइआर को रद कर दिया।

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