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    हरियाणा में नकली समन मामले में हाईकोर्ट सख्त, आरोपी की याचिका खारिज करते हुए की तल्ख टिप्पणी

    Updated: Tue, 30 Sep 2025 03:41 PM (IST)

    पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि न्यायिक समन की जालसाजी जैसे गंभीर अपराधों में समझौता आरोपी को सजा से नहीं बचा सकता क्योंकि यह न्याय व्यवस्था पर सीधा प्रहार है। जस्टिस सुमित गोयल ने रिंकू शर्मा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी जिस पर फर्जी समन प्रसारित करने का आरोप है। अदालत ने कहा कि ऐसे अपराधियों को संरक्षण देना गलत संदेश देगा।

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    नकली समन मामले में हाईकोर्ट सख्त: समझौते से नहीं बचेगा आरोपित।

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया है कि न्यायिक समन की जालसाजी जैसे गंभीर अपराधों में निजी पक्षों के बीच हुआ समझौता आरोपित को सजा से नहीं बचा सकता। अदालत ने कहा कि यह अपराध केवल आपसी विवाद का विषय नहीं है, बल्कि न्याय व्यवस्था की पवित्रता और जनता के विश्वास पर सीधा प्रहार है।

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    जस्टिस सुमित गोयल ने यह आदेश रिंकू शर्मा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज करते हुए दिए। शर्मा पर आरोप है कि उसने वॉट्सऐप के जरिए फर्जी न्यायिक समन प्रसारित किए। इस मामले में 9 जून को साइबर क्राइम थाना, हिसार में एफआईआर दर्ज की गई थी।

    इसमें भारतीय न्याय संहिता, 2023 की विभिन्न धाराओं और आईटी एक्ट की धारा 66-डी के तहत मामला दर्ज हुआ। शिकायतकर्ता सुनील कुमार को कथित तौर पर अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, हिसार के नाम से फर्जी समन भेजे गए थे, जिनमें नकली मुहरें और काल्पनिक यूआईडी नंबर शामिल थे। समन में ग्रीष्मावकाश के दौरान पेशी की तारीख दी गई और 10 लाख रुपये 'मेन्टेनेंस' के नाम पर मांगे गए थे।

    आरोपित ने गिरफ्तारी से बचने के लिए अग्रिम जमानत की अर्जी लगाई और दावा किया कि दोनों पक्षों के बीच समझौता हो गया है। लेकिन अदालत ने इस दलील को सिरे से खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा, इस तरह का अपराध न केवल व्यक्तिगत स्तर पर असर डालता है, बल्कि समाज में असुरक्षा की भावना भी पैदा करता है।

    ऐसे अपराधियों को जांच के चरण में संरक्षण देना गलत संदेश देगा और अन्य लोगों को भी ऐसे गैरकानूनी कार्यों के लिए प्रोत्साहित करेगा। हाईकोर्ट ने दो टूक कहा कि न्यायिक संस्थाओं को कमजोर करने वाले अपराधों में समझौते को बचाव का आधार नहीं बनाया जा सकता।