हरिप्रिया को नहीं मिली जमानत, पीजीआई में एमडी-एमएस प्रवेश परीक्षा में नकल से जुड़ा है मामला
चंडीगढ़ सीबीआई अदालत ने पीजीआई एमडी-एमएस प्रवेश परीक्षा घोटाले में आरोपी वाई. हरिप्रिया की जमानत याचिका खारिज कर दी है। छह साल से फरार हरिप्रिया को सीबीआई ने आंध्र प्रदेश से गिरफ्तार किया था। अदालत ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी क्योंकि उसे पहले भगोड़ा घोषित किया गया था और उसके भागने का खतरा था। उस पर 2012 की पीजीआई प्रवेश परीक्षा में धोखाधड़ी का आरोप है।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। पीजीआई में एमडी-एमएस प्रवेश परीक्षा में नकल से जुड़े 13 साल पुराने घोटाले में आरोपित वाई. हरिप्रिया की जमानत अर्जी सीबीआई कोर्ट ने खारिज कर दी। हरिप्रिया के वकील ने जमानत अर्जी में कहा कि कोर्ट के समन के बारे में जानकारी नहीं थी। उसने कहा कि उसका चार साल का बेटा है, जिसकी देखभाल की जिम्मेदारी उसी की है। सीबीआई ने कहा कि अगर हरिप्रिया को जमानत दी गई तो वह फिर से फरार हो जाएगी और अदालत में पेश नहीं होगी। ऐसे में सीबीआई जज ने कहा कि अगर जमानत दी गई तो समाज में गलत संदेश जाएगा।
केस के मुताबिक वर्ष 2012 में पीजीआई में एमडी-एमएस कोर्सेस के लिए प्रवेश परीक्षा थी। चंडीगढ़ में हुई इस परीक्षा के दौरान कई छात्रों को इलेक्ट्राॅनिक्स गैजेक्ट्स जैसे मोबाइन फोन, बटन कैमरा और ब्लूटूथ डिवाइसेज के साथ पकड़ लिया था। कुछ परीक्षार्थी तो ऐसे भी थे जो किसी दूसरे की जगह परीक्षा देने आए थे। सीबीआई को इस पूरी साजिश के बारे में जानकारी मिल गई थी।
ऐसे में सीबीआई ने परीक्षा केंद्र पर छापा मारकर आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया था। सीबीआई ने 32 लोगों के खिलाफ अदालत में चार्जशीट दाखिल की थी। इसके बाद हरिप्रिया के खिलाफ भी अदालत में सप्लीमेंट्री चालान पेश कर दिया गया था। हालांकि वह काफी समय तक अदालत में पेश नहीं हो रही थी। इसलिए उसे भगोड़ा घोषित कर दिया गया था। हरिप्रिया को चंडीगढ़ सीबीआई ने पिछले महीने आंध्र प्रदेश के कडापा जिले से गिरफ्तार किया था। वह पिछले करीब छह साल से फरार थी।
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