गरीबों की मदद करने से मिलती है खुशी
भगवान हर किसी मनुष्य का जीवन उसके कर्मो के अनुसार बनाता है।
वैभव शर्मा, चंडीगढ़ : भगवान हर किसी मनुष्य का जीवन उसके कर्मो के अनुसार बनाता है। जो लोग अमीर हैं जिनके पास पैसा ज्यादा है, उनमें से ज्यादातर लोग ऐसे होते हैं जो किसी गरीब की मदद नहीं करते, बहुत थोड़े लोग ऐसे होते हैं जो अपना जीवन गरीबों की सेवा में लगाते हैं। यह बात शुक्रवार को शहर के एनजीओ द लास्ट बैंचर की प्रेसिडेंट सुमीता कोहली ने कही। सुमीता ने इस दौरान अपनी एनजीओ की कार्य प्रणाली से लेकर एनजीओ शुरू करने के सफर को साझा किया। उन्होंने कहा कि मेरा और हमारी संस्था का लक्ष्य है कि जितना हो सके गरीब लोगों की मदद करें। उस थोड़ी सी मदद के बाद जो गरीबों के चेहरों पर खुशी आती है उससे बड़ा सुख मेरे और हमारी संस्था के लोगों के लिए कुछ नहीं हो सकता। प्रश्न:- एनजीओ का नाम द लास्ट बैंचर क्यों रखा?
उत्तर:- लास्ट बैंचर शब्द का मतलब होता है अंतिम कतार। यह नाम इसलिए रखा गया क्योंकि आम लोग अपने जीवन में कोई भी परेशानी होती है तो वह डॉक्टर के पास अंत में जाते हैं। ठीक ऐसे ही पहले बैंच पर बैठे हुए लोगों को ज्यादा मिल जाता है और लास्ट बैंच पर बैठे हुए लोगों को कम। हमने एनजीओ का नाम लास्ट बैंचर इसलिए भी रखा क्योंकि लास्ट बैंचर होने के बावजूद हम लोगों को हर सुविधा पहले प्रदान कर रहे हैं। प्रश्न:- एनजीओ बनाने का कोई खास कारण?
उत्तर : शुरू में ही सोचा हुआ था कि गरीब लोगों की मदद करनी है। बस उसके बाद एनजीओ का गठन किया और अपने लक्ष्य को निर्धारित करते हुए हम कार्य कर रहे हैं। एनजीओ द्वारा मेडिकल हेल्थ, महिला सशक्तीकरण, जागरूकता अभियान, पढ़ाई जैसे कई पहलूओं पर कार्य किया जाता है। महिलाओं को सबसे ज्यादा परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कई परेशानियां ऐसी होती हैं जिनके बारे में वह किसी से शेयर नहीं कर सकती हैं। ऐसी महिलाओं में जागरूकता लाना ताकि परेशानी ज्यादा न बढ़ जाए। हमारा ज्यादा फोकस महिलाओं पर होता है क्योंकि कई महिलाएं आज भी समाज की सोच की वजह से खुल कर परेशानी का जिक्र नहीं का सकती हैं। प्रश्न:- मेडिकल कैप आदि कार्यक्रम के लिए कोई स्पेशल ग्रांट या फिर बजट मिलता है?
उत्तर : हमारी एनजीओ रजिस्टर है लेकिन हमने इन चार वर्षो में कभी भी किसी से बजट नहीं मांगा। न ही चंडीगढ़ प्रशासन से, न ही निगम से, न ही समाज कल्याण विभाग से और न ही केंद्र सरकार को कोई लेटर लिखा। एनजीओ के सदस्य स्वयं ही राशि एकत्रित करके इन सभी कार्यक्रमों का आयोजन करवाते हैं। इस कार्य में पीजीआइ और सेक्टर-32 स्थित सरकारी अस्पताल प्रशासन बहुत मदद करता है। उसके अलावा अगर हमें किसी चीज की जरूरत पड़ती है तो हम पूर्व मेयर आशा जयसवाल को उससे अवगत करवाते हैं और वह हमारी हरसंभव मदद करती हैं। प्रश्न : बेस्ट कैंसर को लेकर किस तरह से जागरूक कर रहे हैं?
उत्तर : ब्रेस्ट कैंसर देश में बहुत ज्यादा फैल रहा है। हमारी संस्था रेडक्रॉस अस्पताल के डॉ. पटेल के साथ मिलकर इस ओर कार्य कर रही है। इन कार्यक्रमों में हम महिलाओं को जागरूक करने के लिए वीडियो क्लिपिग दिखाते हैं, उन्हें ब्रेस्ट कैंसर की स्टेज बतानी पड़ती है। ऐसे ही बहुत ही बातें है जो हम महिलाओं को जागरूकता कैंपों में बताते है। इसके साथ ही हमारे साथ इस वर्ष करीब 7 प्रोफेशनल डॉक्टर भी जुड़े हैं जो विभिन्न फील्ड में स्पेशलिस्ट हैं।
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