'गंगा से यमुना का लिंक बनाकर आसानी से हल हो सकता है विवाद', प्रो. गुरतेज सिंह ने SYL मुद्दे पर केंद्र पर साधा निशाना
Punjab News नदी जल मामलों के विशेषज्ञ प्रो. गुरतेज सिंह ने एसवाईएल मुद्दे पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। पानी का मामला सुलझाने की बजाए केंद्र सरकार की दिलचस्पी पंजाब और हरियाणा को लड़वाए रखने में है। प्रो. गुरतेज सिंह ने बताया कि हरियाणा पंजाब की रावी नदी से पानी मांग रहा है जिसका वह राइपेरियन ही नहीं है।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पूर्व ब्यूरोक्रेट और नदी जल मामलों के विशेषज्ञ प्रो. गुरतेज सिंह ने एसवाईएल के मुद्दे पर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि रावी के पानी को लिंक बनाकर एसवाईएल के जरिए हरियाणा को देने का विवाद अगर सुलझाना हो तो केंद्र सरकार के लिए यह कोई बड़ी बात नहीं है। लेकिन मुझे ऐसा लग रहा है कि पानी का मामला सुलझाने की बजाए केंद्र सरकार की दिलचस्पी पंजाब और हरियाणा को लड़वाए रखने में है।
गुरतेज सिंह ने बताया कि पंजाब की नदियों का जो पानी संविधान और कानूनों को खूंटे से टांगकर हरियाणा और राजस्थान को दिया है उसकी मिसाल न तो पूरे देश में कहीं मिलती है और न ही पूरे विश्व में। मैं इसे धक्का नहीं कहूंगा, यह पंजाब के लोगों के साथ फरेब है।
हरियाणा पंजाब की रावी नदी से पानी मांग रहा
प्रो. गुरतेज सिंह ने बताया कि हरियाणा पंजाब की रावी नदी से पानी मांग रहा है जिसका वह राइपेरियन ही नहीं है। जबकि हरियाणा को गंगा बेसिन से आसानी से पानी दिया जा सकता है जिसका ज्यादातर हिस्सा बंगाल की खाड़ी में व्यर्थ चला जाता है। उन्होंने बताया कि गंगा नदी में 450 एमएएफ पानी है जिसमें से मात्र 40 एमएएफ ही संबंधित राज्य उपयोग होता है शेष बंगाल की खाड़ी में चला जाता है।
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आसानी से मिल सकता है एक लिंक
उन्होंने बताया कि हरिद्वार, जहां गंगा मैदानी इलाकों में उतरती है यह जगह समुद्र तल 1980 फुट ऊंचा है और यमुना, जो ताजेवाला हैडवर्क्स पर जब आती है तो इसकी ऊंचाई 890 फुट है। यहां पर एक लिंक आसानी से बन सकता है और ग्रेविटी के जरिए ही पानी हरियाणा को देकर उनकी जरूरतों को पूरा किया जा सकता है।
गुरतेज ने कहा कि मैं यह कोई नई मांग नहीं रख रहा हूं बल्कि जब नदी जल विवाद को हल करने के लिए इराडी ट्रिब्यूनल स्थापित किया गया था तो यह मांग हरियाणा ने रखी थी। इसके अलावा उन्होंने शारदा लिंक से भी पानी की मांग रखी थी लेकिन उनकी उन दोनों मांगों को स्वीकार नहीं किया गया।
हथिनी कुंड बैराज तक आसानी से लाया जा सकता है पानी
प्रो. गुरतेज ने बताया कि हरिद्वार से हथिनी कुंड बैराज तक पानी को आसानी से लाया जा सकता है। बैराज को डैम बनाकर पानी का भंडार कर लिया जाए तो सारा साल हरियाणा इस पानी का उन जगहों के लिए उपयोग कर सकता है जहां उसे पानी की जरूरत है। उन्होंने बताया कि राजस्थान को भी जो दो बड़ी नहरें बनाकर पानी दिया जा रहा है वे रेतीले इलाके हैं जहां ज्यादातर पानी बर्बाद हो जाता है। इन दो नहरों की वजह से इस इलाके में सेम आ गई है और 35 फीसदी इलाका बर्बाद हो गया है।
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प्रो. गुरतेज ने कहा कि पानी की हर स्टेट को जरूरत है लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कानूनों को खूंटी से टांगकर उन राज्यों का पानी लिया जाए जिसका 70 फीसदी पानी पहले ही दूसरे राज्यों को गलत तरीके से बांटा जा चुका है।
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