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    प्रकाश सिंह बादल का 95 वर्ष की उम्र में निधन, लगातार 25 सालों तक संभाली थी पंजाब की सत्ता; राष्ट्रीय शोक घोषित

    By Jagran NewsEdited By: Devshanker Chovdhary
    Updated: Tue, 25 Apr 2023 11:24 PM (IST)

    Parkash Singh Badal Passed Away पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का मंगलवार को निधन हो गया। वह काफी लंबे समय से बीमार चल रहे थे। मोहाली में उनका इलाज चल रहा था। प्रकाश सिंह बाद ने मंगलवार को अंतिम सांस ली। File Photo

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    पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल का निधन।

    चंडीगढ़, ऑनलाइन डेस्क। Parkash Singh Badal Passed Away: शिरोमणि अकाली दल के संरक्षक और पंजाब के पांच बार मुख्यमंत्री रहे प्रकाश सिंह बादल का मंगलवार को निधन हो गया। 95 वर्षीय बादल को सांस लेने में तकलीफ की शिकायत के बाद एक सप्ताह पहले मोहाली के फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। बादल का जन्म 8 दिसंबर 1927 को श्री मुक्तसर साहिब के गांव बादल में हुआ था। गांव के सरपंच से उन्होंने अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत की थी।

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    पिछले साल से चल रहे थे बीमार

    बीते साल जून 2022 में भी बादल को सीने में दर्द के बाद अस्पताल में दाखिल करवाया गया था। कुछ समय बाद उन्हें छुट्‌टी तो मिल गई, लेकिन सितंबर 2022 को उन्हें फिर उनका स्वास्थ्य खराब होने के बाद पीजीआई में दाखिल किया गया। लगभग छह माह बाद उन्हें दोबारा अस्पताल लाया गया।

    बादल ने 2022 में लड़ा था आखिरी चुनाव

    प्रकाश सिंह बादल ने अपना आखिरी चुनाव 2022 में लड़ा था। यह इतिहास में पहली बार था कि उन्हें हार का सामना करना पड़ा। यह चुनाव लड़ने के बाद वह सबसे अधिक उम्र के चुनाव लड़ने वाले नेता बन गए थे। प्रकाश सिंह बादल ने 1947 में राजनीति में कदम रखा। शुरुआत में उन्होंने सरपंच का चुनाव लड़ा और जीत हासिल की। तब उन्हें सबसे कम उम्र के सरपंच बनने का खिताब मिला था। बता दें कि प्रकाश सिंह बादल को 30 मार्च 2015 को पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया था।

    मुख्यमंत्री से केंद्रीय मंत्री तक रह चुके थे बादल

    प्रकाश सिंह बादल ने 1957 में सबसे पहला विधानसभा चुनाव लड़ा। 1969 में उन्होंने दोबारा जीत हासिल की। 1969-70 तक वह पंचायत राज, पशुपालन, डेयरी आदि विभागों के मंत्री रहे। इसके अलावा वह 1970-71, 1977-80, 1997-2002 में पंजाब के मुख्यमंत्री बने। इसके अलावा 1972, 1980 और 2002 में विरोधी दल के नेता भी बने। इतना ही नहीं, मोरारजी देसाई के प्रधानमंत्री रहते वह सांसद भी चुने गए।