Farmers Protest: डल्लेवाल खनौरी में, संयुक्त किसान मोर्चा का साथ नहीं, दिल्ली कूच कर रहे किसानों का प्रदर्शन पड़ा कमजोर
किसान आंदोलन में शामिल किसान संगठनों के बीच आपसी खींचतान के कारण आंदोलन कमजोर होता जा रहा है। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर के समर्थक दिल्ली कूच के लिए दो बार प्रयास कर चुके हैं लेकिन हरियाणा पुलिस ने उन्हें रोक दिया। वहीं किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल संगरूर जिले के खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे हैं। इस कारण किसान दो हिस्सों में बंट चुके हैं।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। संयुक्त किसान मोर्चा (गैर राजनीतिक) से जुड़े किसान संगठनों के नेताओं की आपसी खींचतान के कारण किसान आंदोलन कमजोर होता जा रहा है। किसान नेता सरवन सिंह पंधेर के समर्थक तीन दिन में दिल्ली कूच के लिए दो बार प्रयास किए, लेकिन आगे नहीं बढ़ सके। हरियाणा पुलिस के आगे इनकी एक नहीं चली।
वहीं, किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल संगरूर जिले के खनौरी बॉर्डर पर आमरण अनशन पर बैठे हैं। इस कारण किसान दो हिस्सों में बंट चुके हैं। इस प्रदर्शन से संयुक्त किसान मोर्चा ने भी अपने आप को दूर रखा है। इस बार किसान आंदोलन में वह उत्साह भी नहीं दिख रहा हैं जोकि 13 फरवरी 2024 को देखने को मिला था।
केंद्र सरकार भी किसान को नहीं दे रही अहमियत
शंभू बॉर्डर पर सभी 23 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर शंभू बॉर्डर पर शुरू हुए किसान आंदोलन के रविवार को 300 दिन पूर हो चुके हैं। इस बार दिल्ली कूच के लिए अड़े किसानों को केंद्र सरकार भी वह अहमियत नहीं दे रही जोकि फरवरी में दिया था।
फरवरी में केंद्र सरकार ने किसानों की आंशिक मांगों को मानते हुए 5 वर्ष के लिए 5 फसलों पर कानूनी गारंटी देने की घोषणा कर दी थी, लेकिन किसान संगठन नहीं माने। इसका मूल कारण पंजाब में किसान संगठनों की आपसी खींचतान रही।
पंजाब में कुल करीब 34 किसान संगठन प्रभावी हैं। 2020 में जब तीन कृषि कानून को लेकर आंदोलन शुरू हुआ तब वह एकमात्र ऐसा मौका था जब सभी किसान संगठन एक छत के नीचे आए थे।
23 फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग
हालांकि तीन कृषि कानूनों के वापस होने के बाद सभी संगठनों की अपनी-अपनी ढपली है और अपना ही राग है। किसान मजदूर संघर्ष कमेटी के प्रधान सरवन सिंह पंधेर व भारतीय किसान यूनियन सिद्धू के प्रधान जगजीत सिंह डल्लेवाल ने गत फरवरी में 23 फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग को लेकर संघर्ष शुरू किया तो उन्हें बाकी के किसान संगठनों का समर्थन नहीं मिला था।
इसी प्रकार गत 2 सितंबर को भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां ने चंडीगढ़ में प्रदर्शन किया तो बाकी के किसान संगठनों का उन्हें समर्थन नहीं मिला था। हालांकि संयुक्त किसान मोर्चा ने इस दिन चंडीगढ़ में कांफ्रेंस जरूर की, लेकिन जोगिंदर सिंह उपराहां के प्रदर्शन में वह शामिल नहीं हुआ।
अब जब किसान संगठन दिल्ली कूच का प्रयास कर रहे हैं तो बाकी के संगठनों का समर्थन पंधेर को नहीं मिल रहा है। इस बार भी किसान संगठनों में आपसी खींचतान दिख रही है और संघर्ष कमजोर होता जा रहा है।
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