पंजाब की राजनीति में डेरा की उलटी गिनती शुरू, दो दशक तक रहा सीधा दखल
यौन शोषण मामले में फैसले के बाद जिस प्रकार से डेरा प्रेमियों ने उपद्रव किया उससे तस्वीर स्पष्ट हो गई है कि पंजाब की राजनीति में डेरा के साम्राज्य की उलटी गिनती शुरू हो गई है।
चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। डेरा सिरसा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह को साध्वी के यौन शोषण मामले में दोषी करार दिए जाने के साथ ही पंजाब की राजनीति से डेरा की उलटी गिनती शुरू हो गई है। डेरे का करीब दो दशक तक पंजाब की राजनीति में सीधा दखल रहा है। मालवा क्षेत्र की कई विधानसभा सीटों पर डेरा का समर्थन प्रत्याशियों के जीत-हार को तय करता रहा है।
डेरा समर्थक मालवा की 35 विधानसभा सीटों पर सीधा दखल रखते थे। यही कारण है कि इस साल हुए विधानसभा चुनाव में विभिन्न पार्टियों के 44 प्रत्याशियों ने डेरे का समर्थन मांगा था। सिख समुदाय का होने के कारण श्री अकाल तख्त साहिब ने 44 प्रत्याशियों को दोषी करार दिया था। इनमें से 21 नेताओं को तनखाइया करार दिया गया है। उनमें 20 अकाली दल से संबंधित हैं, जबकि 18 प्रत्याशियों को पतित सिख (जो अपनी दाढ़ी काटते हैं) करार दिया गया था। इनमें अकाली दल, आम आदमी पार्टी और कांग्र्रेस के प्रत्याशी भी शामिल थे।
यह भी पढ़ें: सीबीआइ कोर्ट के बाहर पहले बजी तालियां, फिर जमकर चले पत्थर और गोली
2002 से लेकर 2017 तक राजनीतिक पार्टियों के लिए डेरा सिरसा वाले आंख का तारा बने हुए थे। हालांकि इस दौरान दो ऐसे विधानसभा चुनाव भी आए जिसमें डेरा ने जिस पार्टी को समर्थन दिया वह हार गई। 2007 में डेरा ने कांग्र्रेस को समर्थन दिया था लेकिन सरकार अकाली दल और भाजपा की बनी। इसी प्रकार 2017 में डेरा ने अकाली दल को समर्थन दिया लेकिन सरकार कांग्र्रेस की बनी।
सीबीआई कोर्ट के शुक्रवार को आए फैसले के बाद से जिस प्रकार से डेरा प्रेमियों ने उपद्रव शुरू किया उससे यह तस्वीर स्पष्ट होनी शुरू हो गई है कि पंजाब की राजनीति में डेरा के साम्राज्य की उलटी गिनती शुरू हो गई है। डेरा और सिख संगत के बीच तब से ही छत्तीस का आंकड़ा था जब 2007 में राम रहीम ने सिखों के दशम गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी की नकल की और कलगी लगाकर जाम ए इंसा पिलाया।
यह भी पढ़ें: इस चिट्ठी ने पहुंचाया राम रहीम को सलाखों को पीछे, जाने क्या लिखा था इसमें
2007 में भी मालवा क्षेत्र में कट्टरपंथी सिख संगठनों और डेरा प्रेमियों के बीच हिंसक वारदातें हुई थीं, लेकिन राजनीतिक पहुंच के कारण डेरा के कद में कोई कमी नहीं आई। समय के साथ डेरा का कद बढ़ता ही रहा। यही कारण है कि इस वर्ष संपन्न ने विधानसभा चुनाव में डेरे का समर्थन लेने के लिए 44 प्रत्याशी सीधे रूप से डेरा पहुंचे। वहीं, डेरे ने भी खुले रूप से अकाली दल को समर्थन दिया।
महत्वपूर्ण बात यह थी कि डेरा का समर्थन मांगने वालों में पूर्व मुख्यमंत्री राजिंदर कौर भट्ठल, पूर्व वित्तमंत्री परमिंदर सिंह ढींडसा, मौजूदा कैबिनेट मंत्री साधू सिंह धर्मसोत, आल इंडिया यूथ कांग्र्रेस के प्रधान अमरिंदर सिंह राजा बडिंग आदि शामिल थे।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।