Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Punjab University में बिना नोटिस और सुनवाई के ठेकेदार ब्लैकलिस्ट, हाई कोर्ट ने नोटिस भेज लगाई रोक

    By Jagran NewsEdited By: Shoyeb Ahmed
    Updated: Mon, 23 Oct 2023 12:43 PM (IST)

    पंजाब यूनिवर्सिटी में एक ठेकेदार को आरोप लगने के 9 महीने बाद बिना नोटिस और सुनवाई के ब्लैकलिस्ट कर दिया गया है। जनवरी 2023 मे नौकरी के लिए अवैध लूट का मामला उजागर होने के बाद 23 सितंबर 2023 को हुई सिंडीकेट बैठक में ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट कर था और अब ठेकेदार ने पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी।

    Hero Image
    पंजाब यूनिवर्सिटी में बिना नोटिस और सुनवाई के ठेकेदार ब्लैकलिस्ट

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। पंजाब यूनिवर्सिटी (Punjab University) की लापरवाही कहें या मिलीभगत, आरोप लगने के 9 महीने बाद बिना नोटिस और सुनवाई के ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट कर दिया है। जनवरी 2023 मे नौकरी के लिए अवैध लूट का मामला उजागर होने के बाद 23 सितंबर 2023 को हुई सिंडीकेट बैठक में ठेकेदार को ब्लैक लिस्ट कर दिया गया, जिस ठेकेदार ने पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में चुनौती दी।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    पंजाब यूनिवर्सिटी प्राधिकरण को उस समय बड़ा झटका लगा जब पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने 23 सितंबर, 2023 को आयोजित सिंडीकेट बैठक की कार्यवाही पर रोक लगा दी। हाईकोर्ट की कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रितु बाहरी और न्यायाधीश अमन चौधरी ने यह नोटिस जारी किया है।

    यह है पूरा मामला

    वर्ष 2020 से पंजाब से विश्वविद्यालय में कार्यरत निजी फर्म जे मा इंटरप्राइजेज के मालिक ने उक्त बैठक की कार्यवाही के खिलाफ अपने वकील, अधिवक्ता करमबीर ओबेरॉय के माध्यम से उच्च न्यायालय में एक सिविल रिट याचिका दायर की।

    याचिकाकर्ता ने कोर्ट को बताया कि पी.यू. अगस्त 2022 में उनकी फर्म के अधीन कार्यरत रोशन लाल नामक कच्चे कर्मचारी की संविदा जेई पर पीयू थी। नौकरी दिलाने के लिए रिश्वत लेने का आरोप लगाया गया था इस तथ्य के बावजूद कि उनकी फर्म का उस मामले से कोई लेना-देना नहीं था, सिंडिकेट ने 23 सितंबर 2023 को बैठक की।

    ये भी पढ़ें- SYL पर विरोध के सुर अलग-अलग, CM की चुनौती पर विपक्षी दलों ने सरकार के सामने खींची लकीरें

    बैठक में इस फर्म को काली सूची में डाल दिया गया। इस मामले में, उन्हें विश्वविद्यालय प्राधिकारी द्वारा कभी भी कारण बताओ नोटिस नहीं भेजा गया, न ही उन्हें कभी जांच के लिए बुलाया गया। उधर, इसी मामले से जुड़े जूनियर इंजीनियर ने भी अपने वकील के माध्यम से पंजाब यूनिवर्सिटी अथॉरिटी को 65 पन्नों का पत्र सौंपा है.

    नोटिस भेजकर मांगा गया जवाब

    कानूनी नोटिस भेजकर जवाब मांगा गया है कि उस बैठक के एजेंडे के 14 पन्ने गायब थे और पन्ने गायब होने के कारण सिंडिकेट ने आधे अधूरे एजेंडे पर कार्रवाई की। यह कानूनी नोटिस पी.यू इसे कुलपति, रजिस्ट्रार, डीयूआई, उप रजिस्ट्रार (सामान्य शाखा), मुख्य सतर्कता अधिकारी को भेजा गया है।

    ज्ञात हो कि कुलपति प्रो. रेनू विंग के नेतृत्व में आयोजित उक्त सिंडिकेट बैठक में 15 फरवरी 2023 को आयोजित जांच कमेटी ने उक्त फर्म एवं संबंधित जे.ई. को ब्लैकलिस्ट करने हेतु बैठक की कार्यवाही को मंजूरी दे दी। कोर्ट की ओर से जारी आदेश के बाद अब सिंडिकेट की कुछ कार्यवाही छह फरवरी तक रुक गयी है।

    यह है ब्लैकलिस्ट करने की प्रक्रिया

    किसी भी ठेकेदार पर शिकायत होने के बाद संबंधित विभाग जांच करता है। जांच में यदि ठेकेदार आरोपित पाया जाता है तो दो बार नोटिस देकर उसे जवाब मांगा जाएगा। उचित जवाब नही मिलने पर तीसरी बार निजी सुनवाई करके ठेकेदार को गलती की भरपाई का मौका दिया जाता है। तीन बार मौका देने पर भी यदि ठेकेदार नियम और शर्तों को पूरा नहीं करता तो उसे ब्लैक लिस्ट किया जा सकता है।

    ये भी पढ़ें- पूर्व वित्त मंत्री मनप्रीत बादल की विजिलेंस ऑफिस में पेशी आज, 24 सितंबर को हुआ था मामला दर्ज