चंडीगढ़ में बच्चों को नहीं मिल रही मां की ममता, 11.9% बच्चे अंडरवेट; चौंकाने वाली रिपोर्ट आई सामने
चंडीगढ़ में कामकाजी महिलाओं और गृहिणियों के बीच अपने फिगर पर ध्यान देने का चलन बढ़ रहा है लेकिन बच्चों के पोषण पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। इसके कारण चंडीगढ़ में शून्य से 5 वर्ष के अंडरवेट बच्चों की संख्या पंजाब हरियाणा हिमाचल प्रदेश और जम्मू कश्मीर से भी अधिक है। रिपोर्ट के अनुसार चंडीगढ़ में 11.9 प्रतिशत बच्चे कम वजन के हैं।

मोहित पांडेय, चंडीगढ़। सिटी ब्यूटीफुल में कामकाजी महिलाएं व गृहस्थ महिलाएं अपने फिगर पर ध्यान देने में भले ही कोई कसर नहीं छोड़ रही हो, लेकिन बच्चों पर ठीक ढंग से ध्यान नहीं दे रही है।
इस कारण चंडीगढ़ में शून्य से 5 वर्ष के अंडरवेट बच्चों की संख्या पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश व जम्मू कश्मीर से खराब स्तर पर है।
चंडीगढ़ में 11.9 प्रतिशत बच्चे कम वजन के शिकार
चंडीगढ़ में 11.9 प्रतिशत बच्चे ऐसे है, जो कम वजन से जूझ रहे है। इसके पांच वर्ष तक के 26.3 प्रतिशत बच्चों में बौनेपन का शिकार है। वहीं, 1.8 प्रतिशत बच्चे ऐसे है, जिनका वजन उनकी हाइट के अनुसार नहीं है।
चंडीगढ़ में छह साल तक के बच्चों की संख्या 36,872 है, रिपोर्ट के अनुसार हर 9वें बच्चें को कम वजन की शिकायत है। इन आंकड़ों का खुलासा महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से राज्यसभा में पेश एक रिपोर्ट में हुआ है।
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इस वजह से कम हो रहा वजन
शून्य से लेकर पांच वर्ष तक के कम वजन वाले बच्चों की संख्या पंजाब में 5.9, हरियाणा में 8.7, हिमाचल प्रदेश में 6.3 व जम्मू कश्मीर में 3 प्रतिशत है। बच्चों में वजन कम होने का सबसे बड़ा कारण स्तनपान, सही पोषण, कम शारीरिक गतिविधि, सही मात्रा में आहार, फास्ट फूड का अधिक सेवन करना हैं।
बच्चों को सही पोषण न मिल पाने के चलते बच्चों में कुपोषण का खतरा अधिक रहता है। विशेषज्ञों के अनुसार कामकाजी ऐसी महिलाएं है जो काम में व्यस्त रहने के चलते बच्चों के पोषण पर ठीक ढंग से ध्यान नहीं दे पा रही है। ऐसे बच्चों का पूरा दिन केयरटेकर या फिर प्लेयवेय में बीत रहा है, जहां बच्चों का पालन -पोषण हो रहा है, लेकिन सही ढंग से नहीं हो पा रहा है।
महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की ओर से पांच साल तक के बच्चों की रिपोर्ट
राज्य | कम वजन(प्रतिशत) | बौनापन | उम्र के हिसाब से वजन नहीं |
चंडीगढ़ | 11.9 | 26.3 | 1.8 प्रतिशत |
पंजाब | 5.9 | 18.4 | 3 प्रतिशत |
हरियाणा | 8.7 | 28.2 | 4.1 प्रतिशत |
हिमाचल | 6.3 | 18.4 | 1.7 प्रतिशत |
जम्मू व कश्मीर | 3 | 12.1 | 0.7 प्रतिशत |
विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार
उम्र | लड़के | लड़कियों |
0 से 6 माह | 10 किलो | 10.5 किलो |
6 से 2 साल | 15 किलो | 14 किलो |
2 से 4 साल | 21 किलो | 21.5 किलो |
4 से 5 साल | 24 किलो | 25 किलो |
पहले छह माह में बच्चों को मां का दूध दिया जाना चाहिए। इसके बाद दूध के साथ पौष्टिक आहार को बच्चों की डाइट में शामिल करना चाहिए। बच्चों के पोषण की जानकारी मां को होना चाहिए है।
प्रोफेसर कन्या मुखोपाध्याय, नियोनेटोलाजी, पीजीआई
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