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    चंडीगढ़ नगर निगम के अफसरों ने किया बड़ा खेल, स्टील और पुल बनाने वाली कंपनी को दे दिया कचरे का ठेका

    Updated: Sun, 29 Jun 2025 02:26 PM (IST)

    चंडीगढ़ नगर निगम के इंजीनियरिंग विंग ने कचरा उठाने का टेंडर स्टील और पुल बनाने वाली कंपनियों को देकर भ्रष्टाचार का खेल खेला है। बायो माइनिंग के 15 करोड़ के टेंडर में चहेतों को फायदा पहुंचाने के लिए ओपन टेंडर नहीं किया गया। हिंदुस्तान स्टील और बीबीजे को काम देकर उनसे प्राइवेट कंपनियों को सबलेट कराया गया।

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    चंडीगढ़ नगर निगम के अधिकारियों ने स्टील कंपनियों को दे दिया कचरे का टेंडर। फाइल फोटो

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। नगर निगम के इंजीनियरिंग विंग के अफसरों का कमाल का खेल किया है। स्टील और पुल बनाने वाली कंपनियों कचरा उठाने का टेंडर अलॉट कर दिया है। नगर निगम में करोड़ों के भ्रष्टाचार का खेल बहुत ही सुनियोजित तरीके से खेल गया है।

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    इस खेल में निगम के कई बड़े अधिकारी और दो पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग के अफसर भी शामिल थे। बायो माइनिंग के 15 करोड़ के टेंडर में कंपीटिशन न हो और चहेतों की बैक डोर एंट्री का पूरा ध्यान रखा गया।

    ऐसे खेल गया खेल

    ओपन टेंडर की बजाय दी पीएसयू को बायो माइनिंग जय काम के लिए बुलाया गया। हिंदुस्तान स्टील और बीबीजे को डेढ़ लाख टन कचरे को उठाने का काम 15 करोड़ में अलॉट किया गया। दोनों पीएसयू को सर्विस चार्ज भी दिया गया। काम तीन माह में समाप्त करना था।

    इन दोनों पीएसयू को काम अलॉट करने के बाद आगे काम दो प्राइवेट कंपनियों को सबलेट कर दिया गया। यह दोनों पीएसयू ऐसे है, जिन्होंने खुद बायो माइनिंग का कभी काम ही नहीं किया। न ही उनके पास बायो माइनिंग के लिए कोई टेक्निकल एक्सपर्ट है।

    होना क्या चाहिए था?

    नियमों के अनुसार हर काम के लिए ओपन टेंडर होना चाहिए। ओपन टेंडर में कंपीटिशन अधिक होने से निगम को ठीक रेट मिलता। यदि काम पीएसयू को देना है तो भी शहरी विकास मंत्रालय से कंपनियों की सूची की जाती है। सूची में शामिल कंपनियों की टेंडर में शामिल किया जाता है। टेंडर में काम समय पर करने ओर आगे सबलेट न करने की शर्त होती है। काम समय पर न होने पर पेनल्टी लगाई जाती है।

    अब हुआ क्या?

    बायो माइनिंग के लिए निर्धारित समय सीमा भी लगभग समाप्त है। डंपिंग ग्राउंड से 15 से 20 प्रतिशत कचरा भी नहीं उठा है। बरसात शुरू हो गई है। आगामी दो माह में भी काम पूरा नहीं होगा। बरसात में गीला होने के कारण कचरे का वजन भी बढ़ जाएगा। निगम कंपनियों को कचरे का रेट तोल कर दे रहा है। ऐसे में निगम को मोटी चपत लगेगी। निगम अफसरों ने पीएसयू से न तो काम सबलेट करने पर सवाल पूछा ओर न ही काम लेट होने पर जौ पेनल्टी लगाई।

    कंपनियों के पास नहीं है कोई जवाब

    दैनिक जागरण ने हिंदुस्तान स्टील और बीबीजे के अधिकारियों से इस काम की जानकारी मांगी लेकिन कंपनियों ने बार करने से इनकार कर दिया। यहां तक कि जिन कंपनियों को काम आगे सबलेट किया गया है वह भी काम की प्रोग्रेस बताने से बचती रही। हिंदुस्तान स्टील के अधिकारी भारत भंडारी ने इस बारे में निगम कमिश्नर से ही बात करने को कहा।