चंडीगढ़ में दूध-पनीर में मिलावटखोरी का धंधा क्यों? 24 घंटे में जवाब दे फूड इंस्पेक्टर, मानवाधिकार का अल्टीमेटम
चंडीगढ़ में दूध और पनीर की गुणवत्ता पर मानवाधिकार आयोग ने कड़ा रुख अपनाया है। विभाग से 24 घंटे के भीतर रिपोर्ट मांगी है। आयोग ने स्पष्ट कहा कि रिपोर्ट ...और पढ़ें

दूध और पनीर में की जा रही मिलावट सीधे तौर पर मानवाधिकारों का उल्लंघन है।
मोहित पांडेय, चंडीगढ़। शहर में दूध और पनीर की गुणवत्ता को लेकर सामने आए हैरान करने वाले आंकड़ों के बाद पंजाब राज्य एवं चंडीगढ़ (यूटी) मानवाधिकार आयोग ने फूड विभाग को कड़ा अल्टीमेटम जारी किया है।
आयोग ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि जिन इलाकों में दूध और पनीर के सैंपल फेल पाए गए हैं, वहां के संबंधित फूड इंस्पेक्टर 24 घंटे के भीतर मिलावटखोरों की पूरी जानकारी आयोग को उपलब्ध कराएं। तय समयसीमा में रिपोर्ट नहीं देने पर यह माना जाएगा कि इंस्पेक्टरों की मिलीभगत से मिलावट का धंधा चल रहा है।
मानवाधिकार आयोग के सदस्य जितेंद्र सिंह शंटी ने एक वीडियो जारी कर कहा कि दूध और पनीर में की जा रही मिलावट सीधे तौर पर मानवाधिकारों का उल्लंघन है। पनीर और दूध से बने उत्पादों में खतरनाक मिलावट कर लोगों की जान से खिलवाड़ किया जा रहा है, जिसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। आयोग ने स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य निदेशक और फूड सेफ्टी कमिश्नर को भी जवाबदेह ठहराते हुए रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।
बता दें कि, फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथाॅरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) की रिपोर्ट के अनुसार बीते तीन वर्षों में लिए गए सैंपलों में लगातार मिलावट सामने आई है। वर्ष 2022-23 में 23 सैंपलों में से 6, 2023-24 में 40 में से 17 और 2024-25 में अब तक 36 में से 19 सैंपल फेल पाए गए हैं। पनीर में स्टार्च और सुक्रोज जैसी मिलावट सबसे अधिक पाई गई है, जिससे स्वास्थ्य जोखिम बढ़ गया है।
मिलावट से किडनी, लिवर फेल होने और कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा
आहार विशेषज्ञों के अनुसार मिलावट वाले खाद्य पदार्थों पर गंभीर असर पड़ सकता है। इसमें यूरिया, डिटर्जेंट, स्टार्च, फार्मेलिन, और सिंथेटिक पदार्थों की मिलावट से किडनी, लिवर और कैंसर जैसी बीमारियां हो सकती हैं। जो आगे चलकर जान लेवा भी हो सकती है।

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