चंडीगढ़ में मेयर चुनाव से पहले उठा पटक, दो पार्षद खोने के बाद आप भाजपा पर दोहरी मार का रच रही चक्रव्यूह
चंडीगढ़ मेयर चुनाव से पहले राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है। आम आदमी पार्टी के दो पार्षदों के भाजपा में शामिल होने के बाद आप उन्हें वापस लाने और भाजपा के ...और पढ़ें

चंडीगढ़ मेयर चुनाव की राजनीतिक सरगर्मियां तेज। भाजपा, आप और कांग्रेस ने कसी कमर।
बलवान करिवाल, चंडीगढ़। मेयर चुनाव की उलटी गिनती शुरू हो गई है। गणतंत्र दिवस के तुरंत बाद वर्ष 2026 में शहर को नया मेयर मिल जाएगा, लेकिन तब तक का सफर बहुत उतार-चढ़ाव से भरा है। आम आदमी पार्टी के दो पार्षदों को शामिल कर भाजपा बड़ा झटका दे चुकी है।
अपने पार्षदों का खोया आत्मविश्वास लौटाने के लिए आप भी भाजपा को दोहरी मार मारने का चक्रव्यूह रच रही है। पंजाब और दिल्ली के आप नेता सक्रिय हो गए हैं। यह दावा किया जा रहा है कि दोनों पार्षदों को तो वापस लाएंगे ही, साथ ही भाजपा के भी कई पार्षद उनके संपर्क में हैं जिन्हें लाया जाएगा।
अब यह तो समय ही बताएगा कि आप अपने इस प्लान में कामयाब हो पाती है या नहीं। दूसरी ओर भाजपा अध्यक्ष जितेंद्र पाल मल्होत्रा पहले से दावा कर रहे हैं कि आप के कई पार्षद उनके संपर्क में हैं। समय आने पर कुछ और पार्षद भाजपा की विचारधारा और विकास कार्यों से प्रभावित होकर भाजपा ज्वाॅइन करेंगे।
कांग्रेस इस पूरे घटनाक्रम में अभी स्थिर है। कांग्रेस नेता सतर्क रहते हुए दोनों दलों की गतिविधियों पर बारीकी से नजर रख रहे हैं। देखना यह होगा कि कांग्रेस इस चुनाव में भी आप के साथ गठबंधन में बनी रहती है या फिर पहले की तरह चुनाव का बहिष्कार करेगी।
कांग्रेस अध्यक्ष एचएस लक्की आप के दो पार्षदों के भाजपा में शामिल होने पर सीधा प्रहार कर चुके हैं। वह अब गठबंधन को जारी रखने के पक्ष में नहीं हैं। आप के कमजोर संगठन पर सवाल उठा चुके हैं। हालांकि सांसद मनीष तिवारी गठबंधन बनाए रखने का समर्थन कर सकते हैं।
भाजपा ने प्रत्याशी तलाशना किया शुरू
भाजपा में मेयर प्रत्याशी की तलाश शुरू कर दी है। सौरभ जोशी, महेशइंद्र सिंह सिद्धू, कंवरजीत सिंह राणा और दलीप शर्मा दावेदारी जता रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने मेयर प्रत्याशी के लिए पार्षदों की नब्ज टटोलना शुरू कर दिया है।
रविवार को चंडीगढ़ भाजपा के प्रदेश प्रभारी एवं गाजियाबाद से सांसद अतुल गर्ग ने चंडीगढ़ पहुंचकर एक-एक पार्षद से मेयर पद के प्रत्याशियों पर उनकी राय ली। बंद कमरे में अतुल गर्ग ने सभी पार्षदों से उनकी च्वाॅइस पूछी।
जो नाम बताया उसके प्रत्याशी बनाए जाने का कारण भी पूछा। मेयर हरप्रीत कौर बबला से लेकर सभी पार्षदों ने एक-एक कर बंद कमरे में उन्हें पसंदीदा प्रत्याशी का नाम बताया और उसे प्रत्याशी बनाए जाने का कारण भी बताया।
भाजपा में एक बार नाम फाइनल तो फिर विरोध नहीं
अतुल गर्ग ने मेयर हरप्रीत से उनके कार्यकाल पर भी चर्चा की। मेयर ही राय प्रत्याशी तय करने में बहुत अहम रहने वाली है। प्रभारी अतुल गर्ग ने पार्षदों की राय डायरी में लिखकर उसे गुप्त रख लिया है। वह इस पर भाजपा के दिल्ली में बैठे वरिष्ठ नेताओं से चर्चा करेंगे। भाजपा की खास बात यह रहती है कि जो भी जो नाम फाइनल हो जाए उसका कोई विरोध नहीं करता। बाकी सभी को इस पर राजी कर लिया जाता है। इस बार मामला दिलचस्प रहने वाला है।
यह बिंदू रहेंगे अहम
वरिष्ठ पार्षद सौरभ जोशी दो बार पार्षद रहे लेकिन उन्हें दस वर्षों में कभी कोई पद नहीं मिला। कई पार्षदों ने उन्हें प्रत्याशी बनाए जाने की राय देकर इसे भी एक वजह बताया। जोशी की दावेदारी के लिए यह मजबूत पक्ष हो सकता है।
महेशइंद्र सिंह सिद्धू, दलीप शर्मा और कवंरजीत सिंह राणा तीनों इससे पहले किसी न किसी पद पर रह चुके हैं। महेशइंद्र सिंह सिद्धू और कंवरजीत सिंह राणा के लिए भी कई बड़े नेता लाबिंग में जुटे हैं। वहीं दलीप शर्मा बापूधाम से पार्षद हैं गांव और कालोनियों में पैंठ बनाने के लिए पार्टी उनके नाम का विचार कर सकती है।
निगम सदन में होगा सियासी घमासान
नगर निगम सदन की मंगलवार को होने वाली बैठक में इस बार सियासी घमासान होगा। आप की दो पार्षदों के भाजपा में शामिल होने के बाद कांग्रेस और आम आदमी पार्टी भाजपा पर हमलावर होंगी।
आप अपनी पार्षदों को वापस लाने की खुली चेतावनी तक दे चुकी है। इतना ही नहीं आप वरिष्ठ नेता सन्नी सिंह आहलूवालिया तो अपने पार्षदों को लाने के साथ दो भाजपा पार्षदों के भी आने का दावा कर रहे हैं। अब देखना यह होगा कि इस बैठक में किस तरह से आराेप प्रत्यारोप और पलटवार होगा।

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