व्यापारियों और CHB के मकानों में रहने वालों को राहत देने की तैयारी, मेयर का कार्यकाल बढ़ाने को लेकर भी प्रशासक ने कही बड़ी बात
नगर निगम हाउस की अंतिम बैठक में प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने व्यापारियों और चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सीएचबी) के निवासियों को राहत देने की घोषणा की। व्या ...और पढ़ें

चंडीगढ़ नगर निगम की हाउस बैठक में मौजूद प्रशासक गुलाब चंद कटारिया।
बलवान करिवाल, चंडीगढ़। नगर निगम हाउस की मंगलवार इस वर्ष की अंतिम बैठक हुई, जिसमें प्रशासक गुलाब चंद कटारिया भी पहुंचे। उन्होंने मेयर चुनाव से लेकर व्यापारियों और चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के मकानों में रहने वालों को राहत देने की बात कही। 24 घंटे जलापूर्ति पर भी अपने विचार रखे।
व्यापारियों को राहत के लिए पंजाब हरियाणा की तर्ज पर वन टाइम सेटलमेंट स्कीम लाने की बात भी कही। इससे वैट के पुराने मामले निपटाने में फायदा मिलेगा। प्रशासक ने कहा कि इस पर काम कर रहे हैं कुछ दिक्कत हैं जिन्हें दूर कर रहे हैं।
चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड के निवासियों को बड़ी राहत देने की घोषणा भी प्रशासक ने सदन में की। उन्होंने कहा कि अभी 4200 आवंटियों को वाॅयलेशन के नोटिस दे रखे हैं। इनमें से 2500 नोटिस 15 जनवरी तक निपटा देंगे। बाकी जो बचेंगे वह बहुत ज्यादा वाॅयलेशन के है। कोशिश रहेगी कि उनको आवंटियों के सहयोग से निपटाएंगे। कुछ वह खुद हटा लें।
मेयर के पांच वर्ष के कार्यकाल से नुकसान
प्रशासक ने कहा कि मेयर चुनाव हाथ उठाकर करवाने के पीछे उनका विचार पारदर्शी तरीके से चुनाव कराना है। अभी चुनाव होने वाले हैं। मेयर कार्यकाल बढ़ाने पर बोले कि पांच वर्ष कार्यकाल के नुकसान भी हैं। कई बार जिसे मेयर बना दिया जाए वह पांच साल कमेटी ही गठित नहीं करता।
बोले-ढाई साल मेयर कार्यकाल कराने का आश्वासन
सारी पावर मेयर के पास केंद्रित रहती है। पार्षद कमजोर हो जाते हैं। सीधे मेयर चुनने में भी यही दीकत पार्षद कमजोर होंगे। टीम वर्क भी नहीं रहता। हालांकि, एक वर्ष का कार्यकाल बेहद कम है इसे वह बढ़वाएंगे। फिर चाहे ढाई साल ही क्यों न हो। इसके लिए निजी तौर पर गृह मंत्री से मिलेंगे। एक वर्ष में काम पूरे नहीं होते।
24 घंटे जलापूर्ति पर खूब भाषण ठोका, कमियों को दूर नहीं करना असफलता का कारण
प्रशासक गुलाब चंद कटारिया ने निगम सदन में 24 घंटे जलापूर्ति परियोजना पर कहा कि मेरे शहर में आते ही मणिमाजरा प्रोजेक्ट का उद्घाटन हुआ। गृह मंत्री के साथ मैंने भी खूब भाषण ठोका, लेकिन इसकी कमियों को दूर नहीं किया गया। जब तक नीचे और ऊपर का वाॅटर टैंक भरना बंद नहीं करेंगे, अवैध कनेक्शन बंद नहीं होंगे यह सफल नहीं होगा। 27 प्रतिशत पाइपलाइन बदलनी थी कौनसी बदलनी थी यह तय ही नहीं था। ऐसे बिना समझे काम सौंपा गया।
रही बात पूरे शहर में लागू करने की तो उससे सड़कें खोदनी होंगी। देख लेना आप सब लोग चुनाव हार जाएंगे। मेरे उदयपुर में भी हुआ था सड़क खोदी गई व्यापारियों का काम बंद हो गया। बड़ी परेशानी हुई। मैं हैरान था कि कोई फ्री में डीपीआर कैसे बनाकर दे रहा है। ऐसा कैसे संभव है। पूरी परियोजना के खर्च का 2.5 प्रतिशत यानी 27 करोड़ डीपीआर के लिए दिया जाना है। इस पर बहुत सोचने विचारने कि जरूरत है।

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