चंडीगढ़ PGI में करोड़ों का घोटाला, आयुष्मान-हिमकेयर योजनाओं में खेल, CBI जांच की मांग
पीजीआई चंडीगढ़ की ज्वाॅइंट एक्शन कमेटी ने यूटी प्रशासक गुलाब चंद कटारिया से आयुष्मान और हिमकेयर योजनाओं में हुए घोटाले की जांच सीबीआई को सौंपने की मां ...और पढ़ें

पीजीआई की ज्वाॅइंट एक्शन कमेटी ने यूटी प्रशासक गुलाब चंद कटारिया को पत्र लिखा है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। आयुष्मान और हिमकेयर जैसी सरकारी योजनाओं में हुए करोड़ों के घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की जा रही है। इस संबंध में पीजीआई की ज्वाॅइंट एक्शन कमेटी ने यूटी प्रशासक गुलाब चंद कटारिया को पत्र लिखा है।
कमेटी का कहना है कि आयुष्मान और हिमकेयर योजनाओं से जुड़े घोटाले में चंडीगढ़ पुलिस ने केस दर्ज किया था जबकि प्राइवेट ग्रांट सेल में हुए 1.14 करोड़ के घोटाले की जांच सीबीआई कर रही है। यह दोनों मामले एक जैसे हैं और आरोपितों ने एक ही तरीके से इन योजनाओं में गड़बड़ियां की हैं।
यहां तक कि इन दोनों घोटालों का मास्टरमाइंड भी एक ही है। ऐसे में अगर दोनों मामले सीबीआई को ट्रांसफर कर दिए जाएं तो इसमें बेहतर ढंग से जांच हो सकती है। ज्वाॅइंट एक्शन कमेटी का कहना है कि उन्होंने ही यह मुद्दे उठाए थे जिसके बाद घोटालों का पर्दाफाश हुआ था।
फोटोकाॅपी की दुकान चलाने वाला मास्टरमाइंड
पीजीआई में इन दोनों घोटालों का मास्टरमाइंड एक ही है। पीजीआइ की गोल मार्केट में फोटोकाॅपी की दुकान चलाने वाले दुर्लभ कुमार जाटव ने ही पीजीआई के कुछ कर्मचारियों के साथ मिलकर इन घोटालों को अंजाम दिया। प्राइवेट ग्रांट सेल में गरीब और जरूरतमंद मरीजों को मिलने वाली आर्थिक सहायता को अपने खातों में ट्रांसफर किया जा रहा था।
दूसरे घोटाले में आरोपित आयुष्मान और हिमकेयर योजनाओं के तहत गरीब मरीजों को मिलने वाली दवाओं को अवैध तरीके से हासिल करते थे और फिर उन्हें मार्केट में बेच देते थे। यह काम पीजीआइ में अमृत फार्मेसी के कुछ कर्मचारियों के साथ मिलकर किया जा रहा था। इसके लिए डाक्टरों और पीजीआइ के विभागाध्यक्षों के नाम की फर्जी मुहरें बनाई जाती थीं ताकि अमृत फार्मेसी में निश्शुल्क दवाएं ली जाएं।

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