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    पंजाब की पंचायत को भंग करने का मामला, HC की फटकार के बाद हरकत में आई सरकार; प्रमुख सचिव और डायरेक्टर निलंबित

    By Jagran NewsEdited By: Himani Sharma
    Updated: Thu, 31 Aug 2023 07:26 PM (IST)

    Punjab News पंजाब की पंचायत को भंग करने के मामले में हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई है। इसके बाद सरकार ने फैसला लिया है। पंचायत विभाग के प्रमुख सचिव और डायरेक्‍टर को निलंबित कर दिया गया है। दोनों अधिकारियों का निलंबन के दौरान हेड क्वार्टर चंडीगढ़ में रहेगा। राज्य सरकार के इस फैसले को दो अलग-अलग याचिकाओं के जरिए हाई कोर्ट में चुनौती दी गई।

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    पंजाब की पंचायत को भंग करने का मामला, HC की फटकार के बाद हरकत में आई सरकार

    चंडीगढ़, इंदरप्रीत सिंह: पंजाब की पंचायत को भंग करने के मामले में आज हाईकोर्ट से मुंह की खाने के बाद हरकत में आई सरकार ने विभाग के प्रमुख सचिव डी के तिवारी और डायरेक्टर गुरप्रीत सिंह खैहरा को निलंबित कर दिया है। देर शाम की गई इस कार्रवाई के आदेश मुख्य सचिव अनुराग वर्मा ने जारी कर दिए हैं। डीके तिवारी इस समय डेनमार्क में सरकारी दौरे पर हैं। उन्हें तीन सितंबर को वापस लौटना है।

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    अलग-अलग याचिकाओं के जरिए हाई कोर्ट में चुनौती दी गई

    दोनों अधिकारियों का निलंबन के दौरान हेड क्वार्टर चंडीगढ़ में रहेगा। काबिले गौर है कि पिछले दिनों पंजाब सरकार ने राज्य की सभी पंचायत को भंग करने का आदेश दे दिया था और उनकी जगह प्रशासक लगा दिए गए थे। राज्य सरकार के इस फैसले को दो अलग-अलग याचिकाओं के जरिए हाई कोर्ट में चुनौती दी गई। जिसमें सरकार यह साबित नहीं कर पाई कि आखिर समय पूर्व इन पंचायत को भंग क्यों किया गया है।

    सरकार 6 महीने पूर्व पंचायत को कर सकती है भंग

    राज्य सरकार की ओर से जो दलील दी गई वह भी तर्कसंगत नहीं थी। राज्य की ओर से कहा गया की सरकार 6 महीने पूर्व पंचायत को भंग कर सकती है। यह भी दलील दी गई की चुनाव से पूर्व ग्रांट्स को खर्च करने में बड़ी घपलेबाजी हो सकती है इसलिए पंचायत को भंग किया गया है। लेकिन मुख्य न्यायाधीश इस दलील से सहमत नहीं थे।

    राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में ही संकेत दिए

    दो दिन पूर्व राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में ही संकेत दिए थे कि इन पंचायत को भंग करने संबंधी जो आदेश जारी किए गए हैं वह अधिसूचना वापस ले ली जाएगी। आज राज्य सरकार की ओर से सुबह ही इस संबंधी हाईकोर्ट को अवगत करवा दिया गया कि अधिसूचना वापस ली जा रही है।

    यह जानकारी हाईकोर्ट में देते ही विपक्षी पार्टियों ने सरकार पर हमला बोल दिया और इसे लोकतंत्र की जीत बताते हुए कहा कि यह राज्य सरकार के मुंह पर तमाचा है। विपक्ष के नेता प्रताप सिंह बाजवा ने कहा कि यह लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर करने वाला आदेश था और अदालत में मिली जीत से लोकतांत्रिक व्यवस्था बहाल होगी।