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    चंडीगढ़ में सपनों का आशियाना बनाना हुआ महंगा, पहले सीमेंट अब सरिया के दाम आसमान पर, रेट दोगुने

    By Ankesh ThakurEdited By:
    Updated: Sun, 06 Mar 2022 11:51 AM (IST)

    Saria Steel Price Hike in Chandigarh टीएमटी जिसे आम भाषा में सरिया कहते हैं उसने सबसे अधिक बजट बिगाड़ा है। सरिया पिछले कुछ दिनों में लगभग दोगुना हो चुका है। सरिया दो महीने पहले तक 4500 से 5000 रुपये क्विंटल आता था।

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    लोगों को अब महंगाई का बोझ लगातार बढ़ता जा रहा है।

    जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। Saria Steel Price Hike in Chandigarh: सपनों का आशियाना बनाने की तैयारी कर रहे हैं या बना रहे हैं तो अब यह इतना आसान नहीं रहा। मकान बनाना अब महंगा हो गया है। सीमेंट और सरिया पिछले कुछ दिनों में महंगा हुआ है। स्टील का तो लगभग दोगुना रेट हो चुका है। ऐसे में मकान बनाने का बजट अब बिगड़ गया है। जो अनुमान या बजट आपने मकान के लिए निर्धारित कर रखा है अब उसमें इसे पूरा करना संभव नहीं रहा। आपको नए सिरे से मकान का बजट तय करना होगा। कंस्ट्रक्शन मैटीरियल से लेकर बाकी सभी सामान पिछले कुछ दिनों में महंगा हुआ है। सबसे ज्यादा बजट स्टील ने बिगाड़ा है।

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    टीएमटी जिसे आम भाषा में सरिया कहते हैं उसने सबसे अधिक बजट बिगाड़ा है। सरिया पिछले कुछ दिनों में लगभग दोगुना हो चुका है। जो सरिया दो महीने पहले तक 4500 से 5000 रुपये क्विंटल आता था। अब उसका रेट बढ़कर सात हजार रुपये प्रति क्विंटल तक पहुंच गया है। वहीं पहली मार्च से सीमेंट के भाव भी 10 से 30 रुपये प्रति बोरी तक बढ़े हैं। किसी भी मकान की सरिये और सीमेंट के बिना कल्पना भी नहीं की जा सकती। सरिया मकान को मजबूती देता है तो सीमेंट एक-एक ईंट जोड़कर इमारत का रूप देता है। अब इन दोनों के ही महंगा होने से मकान बनाने का खर्च 30 फीसद तक बढ़ गया है। पहले जो मकान 50 लाख रुपये में तैयार होता था अब वह बढ़कर 65 से 70 लाख रुपये में तैयार होगा।

    इंडस्ट्री पर भी बड़ा असर

    इंडस्ट्री को स्टील के बढ़ते रेट ने बड़ा झटका दिया है। पिछले एक सप्ताह से स्टील के रेट रोजाना बढ़े हैं। एक महीने में ही स्टील के दामों में 9500 रुपये प्रति मिट्रिक टन की बढ़ोतरी हो चुकी है। तार, रॉड, स्टील कोइल्स, राउंड जैसे सभी प्रकार के स्टील रॉ मैटीरियल के दाम 15 फीसद तक बढ़ चुके हैं। चंडीगढ़ में करीब 2500 स्मॉल मीडियम एंटरप्राइजेज हैं। शहर की अधिकतर इंडस्ट्री रेलवे-ट्रैक्टर पार्ट्स, नट बोल्ट, फास्टनर जैसी चीजें बनाती है। यह सभी इंडस्ट्री स्टील पर आधारित हैं। स्टील महंगा होने से इन सभी इंडस्ट्री का प्रोडक्शन वर्क और सप्लाई चेन बुरी तरह से प्रभावित हुई है।

    प्रोडक्शन कोस्ट बढ़ गई

    स्टील के बढ़े रेट ने इंडस्ट्री वर्किंग कैपिटल को 30 हजार रुपये प्रति टन तक बढ़ा दिया है। मान लीजिए कोई इंडस्ट्री एक दिन में अगर 100 टन माल बनाती है। पहले 40 हजार टन था अब 70 हजार टन खर्च है तो 30 हजार रुपये सीधा बढ़ गया है। अब एक टन माल के लिए 30 हजार रुपये अतिरिक्त चाहिए। इस वजह से कोई इंडस्ट्री अपनी पूरी क्षमता के साथ काम भी नहीं कर पा रही। वर्किंग कैपिटल बढ़ाने के लिए बैंक इतनी जल्दी लोन भी नहीं दे पाते।

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    "मांग पहले ही कम हैं। ऐसा भी नहीं है कि मांग बहुत ज्यादा है। मांग पहले ही कम है। इंडस्ट्री के पास 80 फीसद ही ऑर्डर हैं। पूरी क्षमता के साथ काम भी नहीं कर पा रही। सरकारी स्टील मील ही अधिकतर आपूर्ति करती हैं वह मनमाने रेट बढ़ा रही हैं। सरकार का कोई चेक ही नहीं है। जीएसटी कलेक्शन भी मांग बढ़ने की वजह से नहीं बल्कि महंगाई बढ़ने से अधिक हो रहा है।

                                                                    -नवीन मंगलानी, प्रेसिडेंट, चैंबर ऑफ चंडीगढ़ इंडस्ट्रीज।