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फूट गया रेफरेंडम 2020 का गुब्बारा, खूनी खेल की तैयारी यूं खुद पर पड़ी भारी

सिख अलगाववादियों कि रेफरेंडम 2020 गुब्‍बारे की हवा निकाल गई। इसके लिए लंदन में अायोजित रैली का पंजाब व ब्रिटेन में जिस तरह से विराेध हुआ उससे देश विरोधी तत्‍वों की मंशा हवा हो गई।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Updated: Wed, 15 Aug 2018 09:47 AM (IST)
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फूट गया रेफरेंडम 2020 का गुब्बारा, खूनी खेल की तैयारी यूं खुद पर पड़ी भारी

जेएनएन, चंडीगढ़। आ‍खिरकार रेंफरेंडम 2020 का गुब्‍बारा फूट गया। पाकिस्‍तानी खुफिया एजेंसी आइएसअाइ के इशारे पर शुरू इस खेल में अलगाववादियों की गिल्‍ली उड़ गई। अराजकता फैलाने का मंसूबा रखने वालाें का ब्रिटेन और पंजाब दोनों जगह विरोध हुआ। लंदन के ट्रैफलगर स्‍क्वायर में खालिस्तान समर्थकों की ओर से रेफरेंडम-2020 को लेकर निकाली रैली के समर्थन में कम और विरोध में ज्‍यादा आवाज उठने से उनके मंसूबे टूट गए। इसके साथ ही सवाल उठा कि आखिर इस तरह रेफरेंडम क्‍याें, जवाब है पंजाब में फिर खून-खराबा की नापाक मंशा। सबसे बड़ी ताे है कि रेफरेंडम 2020 का कुछ अलगाववादी संगठनों ने ही विरोध किया है।

पंजाब को फिर रक्‍त रंजित करने की साजिश करने वालों को मिला मुंहतोड़ जवाब

सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) नाम की अलगाववादी संस्था की अगुवाई में लंदन के ट्रैफलगर स्‍क्वायर में रविवार को रैली का आयोजन किया गया था। इसके माध्‍यम से एक बार फिर से खालिस्तान के मुद्दे को उभारने की तैयारी थी। इसे लेकर पंजाब 1978 से लेकर 1994 तक पंजाब आतंक की आग में झुलसता रहा है। इस रैली के दौरान कथित लंदन एलाननामा में रेफरेंडम करवाने के कारणों बल्कि उसकी रणनीति के बारे में भी एलान किया गया। रैली में ब्रिटेन में रह रहे सिख समुदाय के लोग तो नहीं आए, लेकिन अन्‍य देशों जर्मनी, कनाडा सहित कुछ अन्‍य देशों से अलगाववादी भी शामिल हुए। यह भी खुलासा हुआ है कि इसमें पगड़ी पहन र आइएसआइ द्वारा लाए गए लोग भी शामिल हुए।

लंदन की रैली बुरी तरह फ्लाप, ब्रिटेन व पंजाब दाेनों जगह हुआ पुरजाेर विराेध

इस तरह रैली बुरी तरह फ्लॉप होने से आइएसअाइ और अलगाववादियों को करारा झटका लगा। न सिर्फ पंजाब में बल्कि लंदन में भी रेफरेंडम के समर्थकों को विरोध का सामना करना पड़ा। लंदन में लहराते तिरंगे और 'वी स्टैंड फॉर इंडिया' के बैनरों ने साबित कर दिया कि देश-विदेश में बसे सिखों ने अलग राज्य की मांग को पूरी तरह नकार दिया है।

पंजाब में रेफरेंडम 2020 के विरोध में प्रदर्शन करते लोग।

सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) के नेतृत्व में की गई इस रैली में कश्मीरी अलगाववादियों और पाकिस्तानी नेताओं की मौजूदगी ने साबित कर दिया कि रेफरेंडम सिखों की मांग नहीं बल्कि पाक की खुफिया एजेंसी आइएआइ की साजिश है। पंजाब में सभी राजनेताओं ने दलगत राजनीति से ऊपर उठकर हर मंच से रेफरेंडम का विरोध किया। चंद संगठनों व राजनीतिक रूप से खत्म हो चुकी पार्टियां ही इसके समर्थन में दिखीं।

जानकारों का कहना है कि इस बात में कोई शक नहीं है कि रेफरेंडम-2020 ने देश-विदेश में लोगों का ध्यान अपनी ओर खींचने की कोशिश की, लेकिन इसके हस्र का अंदाजा नहीं से लगाय जा सकता है कि अलग राज्‍य की मांग को लेकर बने दल खालसा ने ही इस रेफरेंडम को नकार दिया।

क्या है रेफरेंडम-2020

अलगाववादी लंबे समय से अलग राज्‍य की मांग करते रहे हैं। विदेश में बैठे अलगाववादी सिख संगठन इस मांग का समर्थन करते रहे हैं। इनका मुख्य उद्देश्य खालिस्‍तान समर्थकों द्वारा विदेशी ताकतों की मदद से पंजाब में अशांति फैलाना हैं। सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) ने इसकी रूप रेखा तय की। रेफरेंडम 2020 का लक्ष्य यह जानना है कि देश-विदेश में बैठे सिख अलग पंजाब के बारे में क्या सोचते हैं।

लंदन में रेफरेंडम 2020 के विरोध में प्रदर्शन करते लोग।

एसएफजे का दावा है कि इस रैली की बदौलत अलग सिख राज्य की मांग को बल मिला है, हालांकि असलियत इसके ठीक उलट है और पहली बार इस तरह की अलगाववादी हरकत के खिलाफ ब्रिटेन आैर पंजाब में लाेग खुलकर समाने आए।  रेफरेंडम के पीछे सिख्स फॉर जस्टिस के कानूनी सलाहकार पतवंत सिंह पन्नू का दिमाग माना जाता है। पन्नू का कहना है कि सरकार पंजाब में रेफरेंडम करवा कर देखे, दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा।

लंदन में रेफरेंडम 2020 के विरोध में प्रदर्शन करते लोग।

दो तरह का होता है रेफरेंडम

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के पूर्व मेंबर अमरिंदर सिंह का कहना है कि दुनिया भर में दो तरह के रेफरेंडम होते हैं। पहला, जो सरकारें लोगों के हाथों मजबूर होकर किसी तीसरे पक्ष की निगरानी में खुद करवाती हैं और उसका परिणाम मानने के लिए वे बाध्य होती हैं। दूसरी तरह का रेफरेंडम लोग खुद अपने स्तर पर करते हैं। इनके परिणाम को मानने के लिए सरकारों को बाध्य नहीं किया जा सकता और न ही इसे संबंधित देशों की सरकारें बाध्य होती हैं।

उन्‍होंने कहा कि रेफरेंडम 2020 भी दूसरी श्रेणी में आने वाला रेफरेंडम है, जिसके परिणाम का मानने के लिए किसी को मजबूर नहीं किया जा सकता। यह केवल इस बात को उभारने के लिए किया जाता है कि वास्तव में एक संप्रदाय के लोग क्या चाहते हैं? लेकिन इसका कोई आधार नहीं है और नतीजा भी ऐसा ही हुआ है।

रेफरेंडम के समर्थकों का कुतर्क

सिख्स फॉर जस्टिस ने जिस वकीलों के ग्रुप की मदद से इस मुहिम को चलाया है, उसके वकील रॉबर्ट रॉजर ने एक टीवी इंटरव्यू में रेफरेंडम 2020 करवाने के बारे में कहा कि 1799 से लेकर 1849 तक सिखों का अपना प्रभुत्ता संपन्न राज था, लेकिन 1947 के विभाजन में भारत सरकार सिखों के साथ वादे करके मुकर गई। संविधान में भी सिखों की पहचान आर्टिकल 25 बी के तहत हिंदू दिखाई गई है, जिस कारण विरासत और अभिभावक के पद के मामलों में सिखों को हिंदू कानूनों का पालन करना पड़ता है।

रॉजर ने का कहना है कि पंजाबी इलाकों, आर्थिक साधनों और राजनीतिक स्वायत्तता को तहस नहस कर दिया गया है। जानबूझकर उनके आर्थिक संसाधनों को खराब किया है। इनके पानी को अन्य राज्यों को दे दिया है। इसलिए उनके आस्तित्व को भारत में भारी खतरा है।

सारी साजिश के पीछे पाक

 

यह अब कोई छिपी बात नहीं है कि लंदन में रेफरेंडम के लिए करवा गई रैली के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ का हाथ है। ले. कर्नल शाहिद मोहम्मद मल्ही सभी गर्मख्याली संगठनों को इकट्ठा करने में लगा है। पाकिस्‍तानी सेना की इस हरकत पर पंजाब पुलिस की भी पूरी नजर है। पंजाब के डीजीपी सुरेश अरोड़ा का कहना है कि पंजाब के लोग शांति चाहते हैं। वे इस प्रकार की किसी भी गतिविधियों में फंसकर पंजाब को दोबारा पीछे नहीं लगाएंगे। यही वजह रही कि इंग्लैंड में भी रेफरेंडम को लेकर जो माहौल बनाया गया था उसके हिसाब से लोग इकट्ठे नहीं हुए। पंजाब में भी इसका कोई असर नहीं रहा।


क्या कहते हैं राजनेता....

फ्लॉप रहा रेफरेंडम, इसकी बात करना बेतुका: कैप्टन

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि पंजाब में जनमत-संग्रह 2020 की बेतुकी बात करने वाला कोई भी नहीं है। यह पूरी तरह फ्लाप रहा। 12 अगस्त को लंदन के ट्रैफलगर स्क्वायर में हुई रैली को नकारते हुए उन्‍होंने कहा कि यह विदेशों में बसे आइएसआइ का समर्थन प्राप्त मुट्ठीभर बौखलाए हुए अलगाववादी तत्‍वों की पंजाब और भारत में गड़बड़ी पैदा करने की कोशिश है।

उन्होंने कहा कि रैली से कोई भी चिंता नहीं है। कैप्टन ने कहा कि ये लोग आइएसआइ के हाथों में खेल रहे हैं, और इसका खुला एजेंडा पंजाब और भारत में हिंसा को भड़काना है। उन्होंने कहा कि वह राज्य में शांति को भंग करने की किसी को भी इजाजत नहीं देंगे। अगर ये तत्व यह सोचते हैं कि वह हमारे देश और राज्य की शांति भंग कर सकते हैं तो बहुत गलतफहमी में हैं।

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युवाओं को गुमराह कर रहा एसएफजे: हरसिमरत

केंद्रीय खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल का कहना है कि रेफरेंडम 2020 के पीछे पाकिस्तान का हाथ है। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आइएसआइ फंडिंग कर रही है। उन्होंने युवाओं से अपील की है कि वे आइएसआइ प्रायोजित सिख्स फॉर जस्टिस (एसएफजे) के झासे में न आएं। युवाओं को गुमराह किया जा रहा है। पाकिस्तान गुप्त मिशन ऑपरेशन एक्सप्रेस के तहत फंडिंग कर रहा है। जो रेफरेंडम 2020 को फंडिंग कर रहे हैं, वे कांग्रेस समर्थित जत्थेदारों को भी फंडिंग दे रहे हैं।

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रेफरेंडम 2020 को आप का समर्थन नहीं : मान

आम आदमी पार्टी के सांसद भगवंत मान का कहना है कि आप एक निष्पक्ष पार्टी है। रेफरेंडम 2020 का उनकी पार्टी समर्थन नहीं करती। पंजाब के लोगों के अन्य बेहद बुनियादी मुद्दे हैं, जिससे पंजाब के लोग जूझ रहे हैं।

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राष्ट्र विरोधी ताकतों का समर्थन नहीं: मलिक

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष श्वेत मलिक ने कहा है कि भाजपा शुरू  से ही रेफरेंडम-2020 का विरोध कर रही है। भाजपा किसी भी राष्ट्र विरोधी ताकतों का समर्थन नहीं करती।
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मुट्ठी भर खालिस्तान समर्थकों को पंजाब केलोग मुंह नहीं लगा रहे: बिट्टू

लुधियाना से सांसद रवनीत सिंह बिट्टू का कहना है कि विदेशों में बैठे मुट्ठी भर खालसा समर्थक पाकिस्तान की आइएसआइ के इशारे पर भारत विरोधी गतिविधियां चला रहे हैं, लेकिन पंजाब के बुद्धिमान लोग उनको मुंह नहीं लगा रहे और न ही इस रेफरेंडम 2020 का समर्थन करते हैं। यह बहुत ही सराहनीय है कि पंजाब के सभी राजनीतिक दलों जिसमें कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल, आम आदमी और अन्य पार्टियों के अलावा खालिस्तान समर्थक सिमरनजीत सिंह मान ने भी रेफरेंडम 2020 का विरोध किया है।  सभी राजनीतिक पार्टियां पंजाब में फिर काला दौर नहीं देखना चाहतीं। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान रेफरेंडम का कोई स्थान नहीं है।
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अलग राज्‍य की मांग करने वाला दल खालसा भी विरोध में

कट्टरवादी सिख संगठन दल खालसा ने कहा है कि किसी एनजीओ को रेफरेंडम 2020 जैसा कार्यक्रम आयोजित करने का कोई अधिकार नहीं है। दल खालसा ने इसके आयोजन का विरोध करते हुए कहा है कि इस आयोजन से सिख समुदाय में दुविधा का माहौल पैदा हो गया है। दल खालसा के 40वें स्थापना दिवस पर इसके प्रमुख प्रवक्ता कंवर पाल सिंह ने कहा कि यह कोई रेफरेंडम नहीं, बल्कि इसे मात्र ओपीनियन पोल कहा जा सकता है, जिसका मुख्य मकसद केवल यह पता लगाना है कि 'सिख होमलैंड' के बारे में सिख समुदाय की क्या सोच है?

कंवर पाल सिंह ने आगे कहा कि यदि यह मान भी लिया जाए कि ज्यादातर वोट 'सिख होमलैंड' के पक्ष में पाए गए हैं, तो भी इसके आयोजक पतवंत सिंह पन्नू जैसे नेताओं को यह अधिकार नहीं है कि वह अलग से सिख राज लेकर दे सकें। उनका यह कहना कि वह इस रेफरेंडम को संयुक्त राष्ट्र में लेकर जाएंगे, इससे भी सिख समुदाय को कुछ हासिल होने वाला नहीं है, क्योंकि सिख समुदाय में इसी बात को लेकर दुविधा बढ़ती जा रही है कि क्या एक एनजीओ के पास इस तरह का कोई अधिकार है कि वह किसी समुदाय को अलग राज्य लेकर दे सके।

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विदेशों में रची जाती हैं साजिशें

कनाडा में कई बार खालिस्तान के समर्थन में आयोजित किए गए कार्यक्रमों में पाकिस्तान के काउंसलर जनरल असगर अली और कई पाकिस्तानी लोगों के साथ देखा जा चुका है। शिरोमणि अकाली दल (अमृतसर) खालिस्तान का खुला समर्थन करने वाले राजनीतिक दल के नेता हंसारा पर आरोप है कि वो कनाडा में बैठकर आइएसआइ एजेंटों की मदद से भारत विरोधी गतिविधियों में लगा रहता है।  6 जून, 2014 को हंसारा और उसके साथियों ने खालिस्तान का नक्शा भी जारी करने की कोशिश की थी।

2017 में पकड़े गए थे 14 आतंकी

21 मई 2017 से 3 जून 2017 के बीच खालिस्तान समर्थक 14 आतंकी पकड़े गए थे। पंजाब पुलिस ने 3 जून को गुरदयाल सिंह, सतविंदर सिंह और जगरुप सिंह को नवांशहर से गिरफ्तार किया था। इन तीनों के तार सरहद पार बैठे खालिस्तानी आतंकवादी लखबीर सिंह रोडे और उसके आतंकी संगठन इंटरनेशनल सिख यूथ फेडेरेशन से जुड़े थे।

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 रेफरेंडम के पीछे इस शख्स का दिमाग

रेफरेंडम के पीछे सिख्स फॉर जस्टिस के कानूनी सलाहकार पतवंत सिंह पन्नू का दिमाग माना जाता है। पन्नू का कहना है कि सरकार पंजाब में रेफरेंडम करवा कर देखे, दूध का दूध पानी का पानी हो जाएगा। सिखों के हक मारे जा रहे हैं। हम चुप रहने वाले नहीं हैं।

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