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    नेता प्रतिपक्ष पद के लिए बैंस पर भी दांव खेल सकती है आप

    By Kamlesh BhattEdited By:
    Updated: Mon, 10 Jul 2017 10:46 AM (IST)

    एचएस फूलका के नेता प्रतिपक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद इस पद के लिए आप लोक इंसाफ पार्टी के सिमरजीत बैंस को तैयार कर सकती है।

    नेता प्रतिपक्ष पद के लिए बैंस पर भी दांव खेल सकती है आप

    चंडीगढ़ [मनोज त्रिपाठी]। आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल नेता प्रतिपक्ष पद से एचएस फूलका के इस्तीफा देने के बाद लोक इंसाफ पार्टी के प्रधान सिमरजीत सिंह बैंस पर भी दांव खेल सकते हैं। फूलका के स्थान पर आप सिमरजीत सिंह बैंस व उनके भाई बलविंदर सिंह बैंस को आप में शामिल करवाकर विधायक दल का नेता बना सकती है। पार्टी सूत्रों की मानें तो इस दिशा में भी केजरीवाल विचार कर रहे हैं।

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    बीते एक महीने में इस सिलसिले में कई बार बैंस के साथ केजरीवाल की बातचीत भी हो चुकी हैं। हालांकि लोक इंसाफ पार्टी के सूत्रों का कहना है कि केजरीवाल व बैंस के बीच पंजाब के हालात को लेकर अक्सर बात होती रहती है, लेकिन इसका मतलब नहीं है कि बैंस ब्रदर्स आप ज्वाइन करेंगे। इस बारे में सिमरजीत सिंह बैंस का कहना है कि उनकी बात हुई थी और उन्होंने केजरीवाल को सुखपाल सिंह खैहरा का नाम सुझाया है कि खैहरा नेता विरोधी दल के लिए सही दावेदार हैं।

    फूलका के पद से इस्तीफे की बात करें तो दरअसल आप में विधानसभा चुनाव के बाद से ही घमासान चल रहा है। पार्टी की उम्मीदों के विपरीत हुई करारी हार के बाद पंजाब प्रभारी संजय सिंह व दुर्गेश पाठक के इस्तीफे के बाद केजरीवाल ने भगवंत मान को पार्टी का नया प्रधान बना दिया था। आप में फूट विधानसभा चुनाव से पहले ही पड़ चुकी थी, जब पार्टी ने सुच्चा सिंह छोटेपुर को पार्टी के कनवीनर के पद से हटाया था। उसके बाद ही छोटेपुर ने अपने समर्थकों के साथ नई पार्टी बनाकर विधानसभा चुनाव लड़ा था।

    चुनाव के बाद खराब प्रदर्शन को कारण बताकर केजरीवाल ने कनवीनर बनाए गए गुरप्रीत सिंह वडै़च घुग्गी को कनवीनर के पद से हटा दिया था। पार्टी नेताओं की मांग पर केजरीवाल ने पंजाब में कनवीनर का पद खत्म करके पारंपरिक स्टाइल में पार्टी के संगठन के पदों का सृजन किया था। इसके बाद भगवंत मान को नया प्रधान बनाया गया था।

    मान के प्रधान बनाने के फैसले के खिलाफ पार्टी के प्रवक्ता सुखपाल सिंह खैहरा ने उसी दिन प्रवक्ता व चीफ व्हिप के पद से इस्तीफा दे दिया था, लेकिन केजरीवाल ने उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया। इसके बाद मान व फूलका के साथ खैहरा संयुक्त रूप से किसी भी मंच पर आने से कतराते रहे। मान को प्रधान बनाने के बाद संगठन विस्तार की जिम्मेवारी सौंपी गई थी, लेकिन मान अपने तरीके से संगठन विस्तार का काम करना चाहते थे। नतीजतन अमन अरोड़ा को आगे करके उन्होंने संगठन विस्तार की जिम्मेवारी सौंपी।

    इसके बाद नए सिरे से कांग्रेस सरकार को घेरने का सिलसिला शुरू हुआ, लेकिन सरकार को विभिन्न मुद्दों पर घेरने के मामले में खैहरा अकेले पार्टी पर भारी पड़ते रहे और रेत खनन से लेकर किसानों तक के मामलों में सरकार को घेरा। विधानसभा के बजट सत्र में खैहरा को सदन से निलंबित करवाने की कांग्रेस की कूटनीति में फंसे फूलका पूरे सत्र में कभी कांग्रेस तो कभी अकालियों के हाथों में खेलते नजर आए। विधायकों को एक मंच पर एकत्र न कर पाने के चलते फूलका केजरीवाल के भी निशाने पर थे।

    सहयोगी दल को साथ लेकर नहीं चल पाए थे फूलका

    आप ने विधानसभा चुनाव में पंजाब में केवल लोक इंसाफ पार्टी के साथ गठबंधन किया था। लोक इंसाफ पार्टी के दो विधायक सिमरजीत सिंह बैंस व बलविंदर सिंह बैंस को भी फूलका साथ लेकर नहीं चल पाए। विधानसभा सत्र से लेकर बाकी के कई मौकों पर बैंस ब्रदर्स ने आप से अलग हटकर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई थी। बैंस ब्रदर्स के संपर्क में आप के कई विधायक भी हैं।

    बीते दिनों राष्ट्रपति चुनाव को लेकर भाजपा के प्रधान विजय सांपला ने बैंस ब्रदर्स के साथ मुलाकात की थी। उस मुलाकात की सियासी कूटनीति में भाजपा की कोशिश है कि बैंस ब्रदर्स के सहारे आप में फूट डलवा कर उनके विधायकों को अपने साथ मिलाया जाए। दिल्ली दरबार से इस मामले को लेकर फूलका की खिंचाई भी की गई थी कि सहयोगी दल को साथ लेकर क्यों नहीं चल रहे हैं।

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