बादल पिता-पुत्र पर शिकंजा, दोनों के हलकों में बंटी ग्रांट की मांगी रिपोर्ट
पंजाब की अमरिंदर सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश्ा सिंह बादल और उनके पुत्र सुखबीर सिंह बादल पर निशाना कसना शुरू कर दिया है। सरकार के निशाने पर दो करीबी मंत्री भी हैं।
चंडीगढ़, [दर्शन सिंह खोखर]। कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल, पूर्व उपमुख्यमंत्री सुखबीर बादल और उनके करीबी मंत्रियों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। राज्य सरकार ने बादल पिता-पुत्र आैर पूर्व मंत्रियों सिंकदर सिंह मलूका व बिक्रम सिंह मजीठिया के हलकों में पिछले 10 साल में बांटी गई ग्रांट की रिपोर्ट तलब की है। इसके बाद सरकार इसकी जांच कराएगी।
बादल का विधानसभा हलका लंबी, मुक्तसर जिला, मलूका का हलका रामपुरा फूल और मजीठिया का हलका मजीठा खास तौर पर सरकार के निशाने पर हैं। पंचायत और ग्रामीण विकास मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने पंचायत विभाग के डायरेक्टर से रिपोर्ट मांगी है कि पिछले 10 वर्षो में इन हलकों के कौन से गांव को कितनी ग्रांट जारी की गई है, ताकि इन गावों में किए गए विकास कार्यो की पड़ताल की जा सके।
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पंचायत व ग्रामीण विकास मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा ने डायरेक्टर को दिए आदेश
पहले मंत्री ने यह आदेश दिए थे कि उन गांवों की जानकारी दी जाए, जिनमें पिछले 10 वर्षो में एक करोड़ रुपये से ज्यादा का फंड जारी किया गया है। विभाग यह जानकारी नहीं जुटा पाया। अब पंचायत मंत्री ने यह आदेश दिया है कि प्रकाश सिंह बादल, सुखबीर सिंह बादल, बिक्रम सिंह मजीठिया और सिकंदर सिंह मलूका के विधानसभा हलकों के गांवों को जारी फंड के आंकड़े जारी किए जाएं।
मजीठिया व मलूका के हलके भी निशाने पर, दस साल की ग्रांट का मांगा ब्यौरा
बाजवा ने बताया कि सिकंदर सिंह मलूका के हलके रामपुरा फूल को पंचायत विभाग की मोहाली एयरपोर्ट को बेची गई जमीन के पांच करोड़ रुपये जारी किए गए थे, इसकी की जाएगी। कई गांवों में पंचायतों ने सरकारी फंड से टेंट खरीद लिए थे और बिना जरूरत के करोड़ों रुपये खर्च कर दिए। कुछ विधानसभा हलकों में 700 करोड़ रुपये तक जारी किए गए थे। इनकी भी की जाएगी।
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गौरतलब है कि बादल सरकार पर उनके कार्यकाल के दौरान अपने हलके की चहेती पंचायतों को नियमों के विरुद्ध ज्यादा ग्रांट देने के आरोप लगे थे। विपक्ष ने इसे विधानसभा चुनाव में बड़ा मुद्दा बनाया था।
थर्ड पार्टी ऑडिट को कैप्टन की मंजूरी
स्थानीय निकाय विभाग में पिछले तीन वर्षो के दौरान दस करोड़ से अधिक लागत वाले विकास कार्यो का थर्ड पार्टी ऑडिट होगा। इस फैसले पर मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अपनी मुहर लगा दी है। थर्ड पार्टी ऑडिट करवाने की प्रक्रिया स्थानीय सरकार तीन दिन में पूरी कर लेगी। ऑडिट का काम मई के पहले हफ्ते में शुरू होगा। अहम बात यह है कि केवल थर्ड पार्टी ऑडिट ही नहीं बल्कि सोशल ऑडिट भी करवाया जाएगा। भ्रष्टाचार रोकने के लिए कामकाज की प्रक्रिया ऑनलाइन की जाएगी।