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    चंडीगढ़ में बोले आचार्य मनीष, आयुर्वेद सिर्फ चिकित्सा पद्धति नहीं, बल्कि जीवन जीने का तरीका

    By Ankesh KumarEdited By:
    Updated: Fri, 18 Dec 2020 03:47 PM (IST)

    आयुर्वेद विशेषज्ञ आचार्य मनीष एक अभियान की शुरुआत की है। इनके इस अभियान का नाम आयुर्वेद के माध्यम से स्वास्थ्य का अधिकार है। अपने इस अभियान के बारे में जानकारी देने के लिए उन्होंने चंडीगढ़ स्थित प्रेस क्लब में एक प्रेस कांफ्रेंस की।

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    अपने अभियान के बारे में जानकारी देते आयुर्वेद विशेषज्ञ आचार्य मनीष।

    चंडीगढ़, जेएनएन। आयुर्वेद विशेषज्ञ आचार्य मनीष ने  'आयुर्वेद के माध्यम से स्वास्थ्य का अधिकार अभियान ' नामक एक अनूठी पहल शरू की है। आचार्य मनीष 1997 से आयुर्वेद का प्रचार-प्रसार कर रहे  हैं और आयुर्वेदिक कल्याण के लेबल 'शुद्धि आयुर्वेद ' के संस्थापक भी हैं। इसका कारपोरेट कार्यालय चंडीगढ़ के पास मोहाली के जीरकपुर में है।

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    आचार्य मनीष ने चंडीगढ़ स्थित प्रेस क्लब में प्रेस कांफ्रेंस कर 'स्वास्थ्य के अधिकार अभियान ' की आधिकारिक रूप से घोषणा की। इस अभियान की टैगलाइन आयुर्वेद को है अब घर-घर पहुंचाना है। आचार्य मनीष ने कहा कि चरक संहिता के अनुसार आयुर्वेद का उद्देश्य स्वस्थ व्यक्ति के स्वास्थ्य की रक्षा करना और रोगी के विकारों को खत्म करना है। आयुर्वेद का अर्थ ही है आयु को जानने का संपूर्ण विज्ञान। आयुर्वेद  सिर्फ एक चिकित्सा पद्धति नहीं, बल्कि जीवन जीने का एक तरीका है।

    कोरोना महामारी में आयुर्वेद की प्रमुखता सामने आई

    इस दौरान आयुर्वेदिक चिकित्सक डॉ. गीतिका चौधरी और डॉ. सुयश प्रताप सिंह भी मौजूद रहे। आचार्य मनीष का मानना है कि जड़ी-बूटी आधारित भारतीय चिकित्सा प्रणाली आयुर्वेद हर एक भारतीय के स्वास्थ्य के अधिकार  के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए आवश्यक है। कोरोना महामारी के दौरान इस अभियान की शुरुआत इसलिए की क्योंकि कोविड के खिलाफ आयुर्वेद प्रमुखता से सामने आया है। यह अभियान आयुर्वेद के प्रति एक सम्मानजनक कदम है। उल्लेखनीय है कि विश्व स्वास्थ्य  संगठन (डब्ल्यूएचओ) स्वास्थ्य को शारीरिक मानसिक और सामाजिक कल्याण की एक संपूर्ण स्थिति के रूप में  परिभाषित करता है।

    एलोपैथी संक्रमण से बचाने में सक्षम नहीं

    आचार्य मनीष ने कहा कि एलोपैथी रोगग्रस्त शरीर को ठीक करने में ही सक्षम है और संक्रमण से बचाने के लिए यह उतनी कारगर नहीं है। स्पष्ट है कि स्वास्थ्य का अधिकार एलोपैथी के जरिये प्राप्त करना संभव नहीं होगा। दूसरी तरफ, आयुर्वेद शरीर को डिटॉक्स करने का काम करता है, ताकि कोई बीमारी हो ही नहीं। इसमें योग, पंचकर्म आदि जैसे पहलू भी शामिल हैं, जो व्यापक स्वास्थ्य सुनिश्चित करते हैं।

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