Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Punjab News: टाडा के 33 साल पुराने मामले में आरोपी को नहीं मिली जमानत, हाई कोर्ट ने समर्पण का दिया आदेश

    पंजाब के रोपड़ में टाड़ा के आरोपी को 33 साल पुराने मामले में जमानत नहीं मिली है। हाई कोर्ट ने समर्पण करने को कहा है। आरोपी ने 2022 में स्वेच्छा से हाईकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने कहा कि याची पर आरोप है कि पुलिस पर गोलियां चलाने में उसकी भूमिका है और ऐसे में जमानत का कोई मतलब नहीं बनता।

    By Inderpreet Singh Edited By: Himani Sharma Updated: Sun, 04 Aug 2024 09:47 AM (IST)
    Hero Image
    रोपड़ में टाडा, हत्या व अन्य धाराओं में याची के खिलाफ दर्ज हुई थी FIR (फाइल फोटो)

    राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने 1991 में रोपड़ में टाडा, हत्या व अन्य धाराओं में दर्ज एफआईआर में 33 साल बाद 57 वर्षीय आरोपी की अग्रिम जमानत को रद्द करते हुए 7 अगस्त को सत्र न्यायाधीश के सामने समर्पण करने का आदेश जारी किया है। हाईकोर्ट ने कहा कि याची पर आरोप है कि पुलिस पर गोलियां चलाने में उसकी भूमिका है और ऐसे में जमानत का कोई मतलब नहीं बनता।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    हाईकोर्ट से की थी जमानत की मांग

    परमजीत सिंह उर्फ पम्मा ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए जमानत देने की मांग की थी। केस के अनुसार एफआईआर में याची को आरोपी बनाया गया था लेकिन उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सका था। 17 अगस्त, 1992 को आनंदपुर साहिब की एक अदालत ने भगोड़ा घोषित कर दिया था। पम्मा ने 2022 में स्वेच्छा से हाईकोर्ट में जमानत याचिका दाखिल की थी।

    कोर्ट ने आरोपी को ट्रायल कोर्ट में शामिल होने का दिया था आदेश

    याची ने हाईकोर्ट से मांग की थी कि उसे ट्रायल कोर्ट के समक्ष समर्पण का आदेश दिया जाए और साथ ही उसकी इस जमानत याचिका पर अंतिम फैसला आने तक अंतरिम तौर पर जमानत दी जाए। अक्टूबर 2022 में हाईकोर्ट ने आरोपी को ट्रायल कोर्ट के समक्ष कार्यवाही में शामिल होने का निर्देश देते हुए आदेश दिया था कि तब तक याचिकाकर्ता-आरोपी की गिरफ्तारी पर रोक लगाई जाए।

    यह भी पढ़ें: Punjab News: CM मान ने भारतीय हॉकी टीम के कप्तान से फोन पर की बात, बढ़ाया हौसला, बोले- केंद्र ने पेरिस जाने की नहीं दी अनुमति

    हाईकोर्ट में नियमित जमानत की पुष्टि के लिए बहस करते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने तर्क दिया कि वह श्री आनंदपुर साहिब में संबंधित अदालत के समक्ष उपस्थित था और उसने उसी दिन आत्मसमर्पण कर दिया था। ट्रायल कोर्ट को याचिकाकर्ता को उसी दिन अंतरिम जमानत पर रिहा करने के लिए कहा गया था, शर्तों के अनुपालन के अधीन अंतरिम जमानत आदेश आज तक जारी है।