पंजाब में आम आदमी क्लीनिक ने खत्म की लोगों की परेशानियां, बच रहा मरीजों का समय और पैसा
पंजाब के आम आदमी क्लीनिक को लेकर मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की प्रयास ही यही था कि लोगों को छोटी-मोटी बीमारियों व रूटीन के टैस्ट करवाने के लिए अस्पताल ...और पढ़ें

डिजिटल डेस्क, चंडीगढ़। पंजाब सरकार की ओर से राज्य में खोले गए 872 आम आदमी क्लीनिक न सिर्फ लोगों का समय बचा रही है। बल्कि मरीजों का पैसा भी बच रहा है। मुख्यमंत्री भगवंत मान की अगुवाई वाली पंजाब सरकार का अनुमान है कि आम आदमी क्लीनिक से लोगों का करीब 1,050 करोड़ रुपये बचा हैं। जबकि जमीनी स्तर पर बचत कहीं ज्यादा हैं।
आम आदमी क्लीनिक से इलाज करवा चुकी जालंधर बायपास निवासी गीता रानी की माने तो पहले उन्हें 40 रुपये खर्च करके जालंधर सिविल अस्पताल जाना पड़ता था। आने जाने का खर्चा जोड़ ले तो 100 रुपये के करीब पड़ ही जाता था। इसके अलावा आने जाने में ही दो घंटे का समय लग जाता था। डाक्टर के पास पहुंचने से लेकर पर्ची बनवाने का समय अलग। आम आदमी क्लीनिक जाने से दोनों की ही बचत हुई है।

आम आदमी क्लीनिक को लेकर मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान की प्रयास ही यही था कि लोगों को छोटी-मोटी बीमारियों व रूटीन के टैस्ट करवाने के लिए अस्पतालों की लंबी लाइनों में न लगना पड़े। उन्होंने आने-जाने में समय खराब न करना पड़े। इसी उद्देश्य के तहत 872 आम आदमी क्लीनिक खोले जा चुके हैं। अभी यह क्रम जारी है। मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने कहा कि एक बीमार व्यक्ति की दो चिंताएं अहम होती है।
एक तो उसे जल्द से जल्द इलाज मिल जाए और दूसरा समय की भी बचत हो। आम आदमी को अगर छोटी-मोटी बीमारी के लिए अस्पताल जाना पड़ता है तो उसकी पूरी दिहाड़ी खत्म हो जाती है। उसे आने-जाने में जो परेशानी होती है वह अलग। इससे उसका आर्थिक रूप से नुकसान तो होता ही है, मानसिक रूप से भी परेशानी उठानी पड़ती है।
सीएम मान ने कहा कि आम आदमी क्लीनिक ने लोगों की यह परेशानी खत्म की है। क्योंकि जब आपके पास में एक ऐसा क्लीनिक हो जहां पर डाक्टर भी हो और फार्मासिस्ट भी। जहां 38 प्रकार के टैस्ट भी फ्री में होते हों और 80 प्रकार की दवाएं भी आपको मुफ्त में मिले तो न तो आपको दिहाड़ी तोड़ने की जरूरत पड़ती है और न ही परेशानी उठानी पड़ती है।
सीएम भगवंत मान ने कहा कि अभी 872 आम आदमी क्लीनिक खोले गए हैं। यह क्रम अभी जारी हैं। पंजाब सरकार का लक्ष्य हरेक क्षेत्र में पहुंचने का है। क्योंकि इससे न सिर्फ मरीज को समय पर अच्छा इलाज मिल जाता है। वहीं, बड़े अस्पतालों पर रुटीन की बीमारियों के लिए इलाज करवाने आने वाले मरीजों की संख्या भी कम होती है। जिससे बड़े अस्पतालों के डाक्टरों पर दबाव भी कम होता है। अगर सही मायने में कहें तो आम आदमी क्लीनिक से आम के आम गुठलियों के दाम वाली कहावत सही साबित होती है।

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