32 साल पहले किया था फर्जी एनकाउंटर, 3 पुलिसकर्मी पाए गए दोषी; अब कोर्ट सुनाएगा सजा
सीबीआई कोर्ट ने 1992 के एक फर्जी मुठभेड़ मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। कोर्ट ने तत्कालीन एसएचओ गुरबचन सिंह एएसआई रेशम सिंह और पुलिस अधिकारी हंसराज सिंह को दोषी करार दिया है। कोर्ट ने आरोपितों को धारा 302 और 120बी के तहत दोषी पाया है। तीनों को हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया है। अब आज यानी मंगलवार को तीनों को सजा सुनाई जाएगी।
जागरण संवाददाता, मोहाली। 1992 में दो युवकों का अपहरण कर फर्जी मुठभेड़ में हत्या करने और शवों को अज्ञात बताकर अंतिम संस्कार करने के मामले में सीबीआई कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है।
कोर्ट ने तरनतारन थाना सिटी के तत्कालीन एसएचओ गुरबचन सिंह, एएसआई रेशम सिंह और पुलिस अधिकारी हंसराज सिंह को दोषी करार देते हुए धारा 302 और 120बी के तहत दोषी पाया है।
कोर्ट आज सुनाएगा फैसला
कोर्ट ने तीनों को हिरासत में लेकर जेल भेजने का आदेश दिया। अब आज यानी मंगलवार को तीनों को सजा सुनाई जाएगी। मामले की पृष्ठभूमि सीबीआई की चार्जशीट के अनुसार, 18 नवंबर 1992 को पुलिस ने जगदीप सिंह उर्फ मक्खन को पकड़ने के लिए उनके घर पर फायरिंग की। इस फायरिंग में मक्खन की सास सविंदर कौर की गोली लगने से मौत हो गई।
इसके बाद 21 नवंबर 1992 को गुरबचन सिंह के नेतृत्व वाली पुलिस टीम ने मक्खन और उनके दोस्त गुरनाम सिंह उर्फ पाली को उनके घर से अगवा कर लिया। 30 नवंबर 1992 को दोनों युवकों को एक फर्जी मुठभेड़ में मार दिया गया।
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2021 में CBI ने अदालत में दाखिल की थी चार्जशीट
पुलिस ने इसे मुठभेड़ बताते हुए एफआईआर संख्या 130/92 दर्ज की थी। एफआईआर में कहा गया कि गुरबचन सिंह और उनकी टीम ने सुबह गश्त के दौरान एक वाहन में संदिग्ध युवक को पकड़ा, जिसने अपनी पहचान गुरनाम सिंह के रूप में बताई। इसके बाद कथित मुठभेड़ में उनकी हत्या कर दी गई।
सीबीआई ने घटना की जांच के बाद 2021 में अदालत में चार्जशीट दाखिल की। सुनवाई के दौरान, आरोपित पुलिसकर्मी अर्जुन सिंह की दिसंबर 2021 में मौत हो गई, जिसके कारण उनके खिलाफ कार्यवाही बंद कर दी गई।
अदालत ने सुनवाई के बाद 21 दिसंबर 2024 को गुरबचन सिंह, रेशम सिंह और हंसराज सिंह को दोषी ठहराया। कोर्ट ने उन्हें फर्जी मुठभेड़ में हत्या और आपराधिक साजिश का दोषी मानते हुए जेल भेज दिया। अब मंगलवार को सीबीआई कोर्ट तीनों दोषियों को सजा सुनाएगी।
अपहरण मामले में एसएचओ को दस वर्ष की सजा
पंजाब के 32 साल पुराने अपहरण, अवैध हिरासत और गुमशुदगी के मामले में सीबीआई अदालत की विशेष जज मनजोत कौर ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया है। इस फैसले में उस समय के थाना सरहाली, जिला तरनतारन के एसएचओ रहे सुरिंदरपाल सिंह को दोषी करार देते हुए विभिन्न धाराओं के तहत कठोर सजा सुनाई है।
अदालत ने धारा 120-बी (साजिश) के तहत 10 साल की सजा और 2 लाख रुपये जुर्माना, धारा 364 (अपहरण) के तहत 10 साल की सजा और 2 लाख रुपये जुर्माना, धारा 365 (गुमशुदगी) के तहत 7 साल की सजा और 70 हजार रुपये जुर्माना और धारा 342 (अवैध हिरासत) के तहत 3 साल की सजा और 1 लाख रुपये जुर्माना लगाया है।
जुर्माना अदा नहीं करने पर भुगतनी होगी 2 साल की अतिरिक्त सजा
यदि दोषी जुर्माना अदा नहीं करता, तो उसे अतिरिक्त 2 साल की सजा भुगतनी होगी। 31 अक्टूबर 1992 की शाम, पुलिस ने एएसआई अवतार सिंह के नेतृत्व में एक टीम के जरिए सुखदेव सिंह (सरकारी वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय, लोपोके, अमृतसर के वाइस प्रिंसिपल) और उनके 80 वर्षीय ससुर सुलक्षण सिंह (स्वतंत्रता सेनानी) को हिरासत में लिया।
यह हिरासत थाना सरहाली, तरनतारन में तीन दिन तक चली, जहां परिजनों और शिक्षकों ने उनसे मुलाकात की। तीन दिन बाद, दोनों का कोई पता नहीं चला। सुखदेव सिंह की पत्नी सुखवंत कौर ने उच्च अधिकारियों से शिकायत की।
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