अपने बच्चों का रखें ध्यान, पेपर ठीक नहीं होने पर 12वीं के छात्र ने दे दी जान
आपके बच्चे की भी परीक्षा चल रही है तो यह खबर आपके लिए ही है। अपने बच्चे पर इस दौरान पूरा ध्यान रखें व उसे तनाव से दूर रखने की कोशिश करें। थोड़ी सी भी अनदेखी भारी पड़ सकती है।
जेएनएन, मोहाली (चंडीगढ़)। यदि आपके बच्चे की भी परीक्षा चल रही है तो सावधान हो जाएं और उस पर नजर रखें। बच्चा यदि पेपर देने के बाद तनाव में दिख रहा है या मायूस दिख रहा है तो उसे अकेला न छोड़ें। उसे सहज बनाने की कोशिश करें और अवसाद की हालत में नहीं जाने दें। अन्यथा इसके घातक परिणाम हो सकते हैं। इसी तरह की घटना मोहाली में हुई है। यहां फिजिक्स का पेपर ठीक नहीं होने पर 12वीं के एक छात्र ने खुदकुशी कर ली।
घटना मोहाली के फेज-4 क्षेत्र की है। 18 वर्षीय इस छात्र कर्णवीर सिंह का फिजिक्स का पेपर अच्छा नहीं हुआ तो उसने घर आकर खुदकशी कर ली। वह अपनी नानी के पास रहता था और मोहाली के एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाई करता था। घटना बुधवार शाम की है। जांच अधिकारी अमरजीत सिंह ने बताया कि शव परिजनों को सौंप दिया गया है।
जानकारी के अनुसार कर्णवीर सिंह का परीक्षा केंद्र चंडीगढ़ सेक्टर-36 स्थित श्री गुरु नानक पब्लिक स्कूल में था। परीक्षा खत्म होने के बाद से ही वह काफी तनाव में था। उसने परिवारिक सदस्यों को भी बताया था कि उसका पेपर अच्छा नहीं हुआ। पेपर देने के बाद कर्णवीर सिंह घर आया और शाम साढ़े छह बजे के करीब अगले पेपर की तैयारी की बात कहकर अपने कमरे में चला गया।
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घरवाले जब कुछ देर बाद उसके कमरे में गए तो उनके पैरों के नीचे से जमीन खिसक गई। कर्णवीर ने पगड़ी के कपड़े का फंदा बनाकर खुदकशी कर ली थी। उन्होंने तुरंत पुलिस को सूचित किया। पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को नीचे उतारा।
घटनास्थल से मिला सुसाइड नोट
पुलिस को मौके से कर्णवीर का सुसाइड नोट भी मिला। सुसाइड नोट में कर्णवीर सिंह ने लिखा कि उसका फिजिक्स का पेपर बिल्कुल ठीक नहीं हुआ। इस वजह से वह बहुत परेशान है और सुसाइड कर रहा है। जांच अधिकारी अमरजीत ने कहा कि सुसाइड नोट में उसने किसी को मौत के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया है।
तनाव से बच्चों को ऐसे बचाएं और प्रेरित करें
परीक्षा के तनाव से निपटना मुश्किल नहीं है। अभिभावक बच्चों काे समझाएं कि यदि परीक्षा में कोई पेपर अच्छा नहीं हुआ तो इसका मतलब सब कुछ खत्म नहीं हो गया। बच्चोंं को बताएं कि यह तो शुरूआत है आैर वास्तब में असफलता हमें जीवन में कामयाबी की दिशा दिखाती है। अतएव निराश होने की जगह अगले मौके का इंतजार करें और बिना किसी दबाव के अगले पेपर की तैयारी में जुट जाएं।
परीक्षा के तनाव से बचने के लिए तीन कदम आवश्यक होते हैं। सबसे पहले - परीक्षा की तैयारी करना, दूसरा - भरपूर आत्मविश्वास और हर परिणाम के लिए खुद को तैयार रखना और सबसे अहम - नतीजे व जीवन के प्रति सकारात्मकता। अभिभावक सबसे पहले बच्चों के मन से परीक्षा में प्रदर्शन और उसके नतीजों का डर हटाना चाहिए। उनका आत्मविश्वास बढ़ाएं और परीक्षा में बेहतरीन नतीजे लाने के दबाव से उप्हें मुक्त करें।
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विशेषज्ञों का कहना है कि इसके साथ ही माता-पिता परीक्षा और उसकी तैयारियों में सहयोग देकर उनकी मदद कर सकते हैं व उनकी मानसिकता से भी वाकिफ हो सकते हैं। माता-पिता बच्चों के प्रेरणास्रोत होते हैं और ऐसे में भावनात्मक रूप से वे बच्चों को खुद से ज्यादा से ज्यादा जोड़ कर गलत कदम उठाने से उनको राेक सकते हैं। माता-पिता को बच्चों को भी परीक्षा के तनाव से प्रभावी तरीके से निपटने में भी सक्षम बनाना चाहिए।
ये लक्षण देते हैं परीक्षा के तनाव के संकेत-
- सरदर्द और माइग्रेन।
- मांसपेशियों में तनाव और शरीर का दर्द ।
-भूख में बदलाव दिखना, पेट में दर्द।
- कब्ज या दस्त।
- नींद की परेशानी।
- चिड़चिड़ापन बढ़ जाना और मूड में बदलाव।
- ध्यान एकाग्र करने में परेशानी।
- अधिक चुपचाप रहना और सभी से कटा सा रहना।
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