राम रहीम के खिलाफ मामला रद करने को कोर्ट में पेश किए थे जाली दस्तावेज
गुरमीत राम रहीम सिंह पर जाम-ए-इंसां को लेकर चले मुकदमे को गलत दस्तावेज देकर खत्म कराने के आरोप लगे हैं। इस मामले में शिकायतकर्ता ने कहा कि कोर्ट में जाली दस्तावेज पेश किए गए।
बठिंडा, [गुरप्रेम लहरी]। यहां डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के खिलाफ वर्ष 2007 में दर्ज धार्मिक भावनाएं आहत करने के मामले को रद करवाने के लिए कोर्ट को 'गुमराह' किए जाने के आरोप लगे हैं। कोर्ट में कैंसिलेशन रिपोर्ट पेश करने से पहले शिकायतकर्ता की सहमति नहीं ली गई थी। कैंसिलेशन रिपोर्ट के लिए कोर्ट में जाली दस्तावेज पेश किए गए थे। यह मामला जाम-ए-इंसा का है। गुरमीत राम रहीम सिंह ने गुरु गोबिंद सिंह जी जैसा लिबास पहनकर और उनके सिद्धातों के साथ मिलते-जुलते ढंग से अमृत तैयार किया। इस पर काफी हंगामा हुआ था।
जाम-ए-इंसां मामला: गुरमीत राम रहीम के खिलाफ मामले में कोर्ट को किया गया था 'गुमराह'
इस रिपोर्ट में कहा गया था कि शिकायतकर्ता राजिंदर सिंह सिद्धू मौके पर मौजूद नहीं था और अखबार में 'विज्ञापन' पढ़कर 'गलतफहमी' हो गई थी। ये स्पष्ट नहीं है कि डेरा मुखी ने गुरु जैसे कपड़े पहने थे या नहीं, क्योंकि वहां लाखों लोग मौजूद थे और अगर ऐसा होता, तो वे भी इसका विरोध करते।
यह भी पढ़ें: जेल में बाबा: कैदी नंबर 8647 हाजिर हो, आवाज आई ... हाजिर हूं
सरकार की ओर से 27 जनवरी 2012 को विधानसभा चुनाव से कुछ दिन पहले कोर्ट में ये रिपोर्ट पेश की गई थी। इस पर सीजेएम ने दोनों पक्षों की बहस सुनी और 21 मई 2014 (लोकसभा चुनाव के नौ दिन बाद) को इसे नामंजूर कर दिया। इसके बाद गुरमीत राम रहीम सिंह की ओर से 4 जून, 2014 को सेशन कोर्ट में रिवीजन पटीशन डाली गई, जिसके बाद 7 अगस्त, 2014 को इस मामले को सेशन कोर्ट ने रद कर दिया।
शिकायतकर्ता ने कहा- केस कैंसिल करवाने के लिए बनाया गया था दबाव, मैंने नहीं दी थी सहमति
शिकायतकर्ता अकाली नेता राजिंदर सिंह सिद्धू का कहना है कि केस की कैंसिलेशन के लिए उसने कभी भी बयान नहीं दिए। चुनाव की वजह से उस पर दबाव बनाया जा रहा था, लेकिन दबाव के बावजूद वह नहीं झुके। अब यदि हाईकोर्ट कहे तो वह पेश होकर बयान दर्ज करवाने को तैयार हैं। सिद्धू ने आरोप लगाते हुए कहा 'लोकसभा चुनाव सिर पर था और हरसिमरत कौर बादल को बठिंडा से चुनाव लडऩा था। इसके चलते बादल परिवार ने केस रद करवा दिया।'
------
यह था मामला
गुरमीत राम रहीम सिंह ने 13 मई, 2007 को बठिंडा के गांव सलाबतपुरा के डेरा में गुरु गोबिंद सिंह जी जैसा लिबास पहनकर और उनके सिद्धातों के साथ मिलते-जुलते ढंग से अमृत तैयार किया। इसे जाम-ए-इंसा का नाम दिया। गुरु गोबिंद सिंह जी ने अमृत तैयार करने से पहले पांच प्यारे साजे थे, जबकि गुरमीत राम रहीम ने सात इंसां साजे। गुरु गोबिंद सिंह जी ने सिखों को पांच ककार दिए और डेरा प्रमुख ने लॉकेट पहनने को दिया।
यह भी पढ़ें: कोर्ट से गुरमीत राम रहीम को भगाने की थी साजिश, पांच कमांडो बर्खास्त
इससे खफा गुरुद्वारा सिंह सभा के प्रधान राजिंदर सिंह सिद्धू ने एसएसपी को शिकायत की थी, जिसके बाद मामला दर्ज हुआ। डेरा मुखी के इस कृत्य के बाद पंजाब के कई हिस्सों में हिंसा भड़क गई थी। बठिंडा के जिला प्रबंधकीय कांप्लेक्स के बाहर रोष प्रदर्शन हुए। पुलिस पर पथराव हुआ और कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया। माझा व सिरसा में भी स्थिति बिगड़ गई थी। सिखों व प्रेमियों में हिंसक झड़प हुई थी।
-------
'' अब मुझ पर कोई राजनीतिक दबाव नहीं है। इस मामले को दोबारा खोले जाने के लिए हाईकोर्ट में रिवीजन पटीशन दायर करूंगा, ताकि सिखों के दसवें गुरु की नकल करने वाले गुरमीत राम रहीम को सख्त सजा मिले।
-राजिंदर सिंह सिद्धू, शिकायतकर्ता, प्रधान गुरुद्वारा सिंह सभा, बठिंडा।
------
विद्वानों ने बताया था नकल
'' मामला दर्ज होने के बाद पुलिस ने 7 जून 2007 को विभिन्न विद्वानों के बयान लिए थे, जिसमें सबने इस केस को सही ठहराते हुए कहा था कि यह बिल्कुल गुरु गोबिंद सिंह जी की नकल है।
-----
किसने क्या कहा....
'' गुरमीत राम रहीम सिंह द्वारा गुरु गोबिंद सिंह जी जैसा लिबास पहन कर अमृत का कड़ाहा, जिसका नाम बदल कर जाम-ए-इंसां तैयार करना खालसाई परंपराओं का मजाक उड़ाने के समान है। इससे सिखों की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं। इसलिए अदालत के जरिए सख्त सजा दिलाना बेहद जरूरी है।
-हरपाल सिंह पन्नू, प्रोफेसर व एचओडी धर्म अध्यन विभाग, पंजाबी यूनिवर्सिटी।
----
'' ऐसा लगता है कि गुरमीत राम रहीम की मंशा अपने आप को गुरु गोबिंद सिंह जैसे स्थापित करने की थी। इसलिए दसवें गुरु जैसे वस्त्र पहन कर उनके सिद्धांतों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया। उसने बड़ी चालाकी से परंपराओं में तब्दीली की। जो उसकी मंदभावना को पेश करती है। इसके तहत वह अपने आप को दसवें गुरु के समर्थ समझता है। यह रुचि समूह मानवता के अमन-चैन को बिगाडऩे का सबब बन सकती है।
- जसबीर सिंह साबर, प्रोफेसर व चेयरमैन गुरु रविदास चेयर, अमृतसर।
---
'' मई में डेरा प्रमुख द्वारा सिखों को गुमराह करने के लिए इस तरह का स्वांग रचा, जिससे सिखों की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं। उसने गुरु गोबिंद सिंह की हूबहू नकल की।
-भाई मान सिंह, हेड ग्रंथी, तख्त श्री दमदमा साहिब।
यह भी पढ़ें: अंधभक्ति: गुरमीत राम रहीम का बनाया 100 ग्राम गुड़ बिकता था सवा लाख में
---
'' गुरु गोबिंद सिंह जी हमेशा ही शाही लिबास पहना करते थे। शाही ठाठ-बाठ, जैसे कि घुड़सवारी करना, बाज रखना व रंजीत नगाड़ा बजाना उनका हर रोज का काम था। सिरसा डेरे के प्रमुख की ओर से गुरु जी की तर्ज पर स्वांग रच कर जो जाम-ए-इंसां तैयार किया गया है, इससे सिख कौम की धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।
-ज्ञानी सुखविंदर सिंह, हेड ग्रंथी, तख्त श्री केसगढ़ साहिब।
--------
अकाली दल से कोई संबंध नहीं: जंगवीर
अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल के मीडिया सलाहकार जंगवीर का कहना है कि मामला उनकी जानकारी में नहीं है। वैसे भी यह पुलिस से संबंधित मामला है। पुलिस ने कोर्ट में क्या हलफिया बयान दिया, इससे अकाली दल का कोई लेना देना नहीं है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।