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    बठिंडा में CBI अधिकारी बनकर ‘हाउस अरेस्ट’ का डर दिखाया, लोको पायलट से ठगे 24 लाख रुपये

    Updated: Sun, 28 Dec 2025 01:57 PM (IST)

    बठिंडा में एक लोको पायलट को साइबर ठगों ने सीबीआई और क्राइम ब्रांच अधिकारी बनकर 24 लाख रुपये ठग लिए। ठगों ने आधार कार्ड के दुरुपयोग और 'हाउस अरेस्ट' का ...और पढ़ें

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    जागरण संवाददाता,बठिंडा। साइबर ठगों ने एक बार फिर कानून प्रवर्तन एजेंसी का नाम इस्तेमाल कर आम नागरिक को निशाना बनाया है। इस बार ठगों ने खुद को सीबीआई का अधिकारी बताकर रेलवे विभाग में लोको पायलट के पद पर कार्यरत एक व्यक्ति को ‘हाउस अरेस्ट’ में रखने का डर दिखाया और उससे करीब 24 लाख रुपये की ठगी कर ली।

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    पीड़ित की शिकायत पर साइबर क्राइम थाने में मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है। पुलिस को शिकायत देकर रेलवे विभाग में लोको पायलट के पद पर कार्यरत पीड़ित राकेश कुमार मेरिया ने बताया कि अज्ञात साइबर ठगों ने खुद को दूरसंचार विभाग, दिल्ली क्राइम ब्रांच, सीबीआई और सुप्रीम कोर्ट का अधिकारी बताकर 24 लाख रुपये की आनलाइन ठगी कर ली।

    'आधार कार्ड आपरााधिक गतिविधियों में हो रहा इस्तेमाल'

    पीड़ित राकेश कुमार मेरिया निवासी गांव रसूलपुर उर्फ काली पट्टी, जिला जौनपुर (उत्तर प्रदेश) एवं वर्तमान में रेलवे कॉलोनी बठिंडा के निवासी हैं। पुलिस को दी गई शिकायत में उन्होंने बताया कि 16 अक्टूबर 2025 को उन्हें एक अज्ञात नंबर से कॉल आया, जिसमें एक महिला ने खुद को दूरसंचार मंत्रालय से बताते हुए कहा कि उनके आधार कार्ड से जुड़ा एक मोबाइल नंबर आपराधिक गतिविधियों में इस्तेमाल हो रहा है।

    इसके बाद कॉल को एक अन्य व्यक्ति से जोड़ा गया, जिसने खुद को क्राइम ब्रांच दिल्ली का अधिकारी विजय कुमार बताया। आरोपित ने पुलिस वर्दी में वीडियो कॉल कर डराया और बताया कि पीड़ित के आधार कार्ड से जुड़े नंबर पर 24 एफआईआर दर्ज हैं। बाद में उसे बताया गया कि मुंबई में करोड़ों का लेन-देन हुआ है और एक मानव तस्करी के आरोपित ने उसके खिलाफ बयान दिया है।

    'सुप्रीम कोर्ट से जारी हुआ वारंट'

    कुछ दिन बाद एक महिला ने खुद को सीबीआई अधिकारी कीर्ति सान्याल बताते हुए वीडियो कॉल किया और कहा कि मामले की जांच अब सीबीआई कर रही है तथा पीड़ित के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट से गिरफ्तारी वारंट जारी हो चुका है। गिरफ्तारी रोकने के नाम पर उसे “सुप्रीम कोर्ट के खाते” में 24 लाख रुपये सुरक्षा राशि के तौर पर जमा कराने को कहा गया।

    डर के कारण पीड़ित ने 27 अक्टूबर 2025 को स्टेट बैंक आफ इंडिया बठिंडा से लोन लेकर चेक/आरटीजीएस के माध्यम से बताए गए खाते में 24 लाख रुपये ट्रांसफर कर दिए। इसके बाद भी ठगों ने और पैसों की मांग की, जिससे पीड़ित को ठगी का शक हुआ।

    जांच के दौरान यह सामने आया कि आरोपितों द्वारा भेजे गए एफआईआर, सुप्रीम कोर्ट और आरबीआई के दस्तावेज पूरी तरह फर्जी थे। पीड़ित ने व्हाट्सएप चैट, कॉल रिकॉर्डिंग, बैंक स्टेटमेंट और फर्जी दस्तावेज पुलिस को सौंपे हैं।

    साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन बठिंडा ने जांच के बाद इसे साइबर फ्राड का गंभीर मामला मानते हुए अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है। पुलिस द्वारा आरोपियों की पहचान और राशि की रिकवरी के प्रयास किए जा रहे हैं।

    फिलहाल पुलिस बैंक खातों की ट्रेल खंगाल रही है और आरोपितों की पहचान के प्रयास किए जा रहे हैं। इस घटना ने एक बार फिर सतर्कता की जरूरत को रेखांकित किया है कि डिजिटल युग में ठग नए-नए तरीके अपनाकर लोगों को निशाना बना रहे हैं।

    पुलिस ने नागरिकों से की अपील

    पुलिस ने आम जनता से अपील की है कि इस तरह के किसी भी कॉल पर घबराएं नहीं। अगर कोई खुद को अधिकारी बताकर धमकी दे या पैसे मांगे, तो तुरंत कॉल काटें और साइबर हेल्पलाइन 1930 या नजदीकी पुलिस थाने में शिकायत दर्ज कराएं। साथ ही अपनी निजी जानकारी, ओटीपी और बैंक विवरण किसी के साथ साझा न करें।