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    खस्ताहाल हो रहा बठिंडा का यह ऐतिहासिक किला, यहीं कैद हुई थी रजिया; रखरखाव के लिए नहीं मिल रहा फंड

    By Gurprem LehriEdited By: Preeti Gupta
    Updated: Sun, 24 Sep 2023 03:15 PM (IST)

    देश और दुनिया का इतिहास अपने अंदर समेटे बठिंडा के किले पर तत्कालीन सरकारों ने ध्यान नहीं दिया। जिससे इसके अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा। हर साल बारिश के दिनों में किले का कुछ हिस्सा गिर रहा है। कई जगहों से गिर चुका है किले का एक बड़ा हिस्सा। रानी महल (सम्मन बुर्ज) के नाम से मशहूर इस बुर्ज में महिला शासक रजिया सुल्तान को कैद किया गया था।

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    धीरे-धीरे खस्ताहाल हो रहा बठिंडा का किला मुबारक

    बठिंडा, जागरण संवाददाता। देश और दुनिया का इतिहास अपने अंदर समेटे बठिंडा के किले पर तत्कालीन सरकारों ने ध्यान नहीं दिया। जिससे इसके अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा। किले का एक बड़ा हिस्सा खंडहर का रूप ले चुका है। हालांकि अब किले के अंदर मरम्मत का काम चल रहा है, लेकिन बाहरी चार दीवारें और बुर्ज जगह-जगह से ढह रहे हैं।

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    किले का एक बड़ा हिस्सा कई जगहों से गिरा

    हर साल वर्षा के दिनों में किले का कुछ हिस्सा गिर रहा है। धोबीघाट की तरफ तो हालत ज्यादा खराब हैं। किले का एक बड़ा हिस्सा कई जगहों से गिर चुका है। किले को बचाने का काम लोगों की उम्मीद के मुताबिक नहीं हो रहा है।

    रानी महल में कैद की गई थी रजिया सुल्तान

    रानी महल (सम्मन बुर्ज) के नाम से मशहूर इस बुर्ज में महिला शासक रजिया सुल्तान को कैद किया गया था। सम्मन बुर्ज के अंदर की बेशकीमती मीनाकारी और छत की पेंटिंग अपना अस्तित्व खो चुकी हैं। बुर्ज की छतों को चार गोलाकार स्तंभ खड़े करके संरक्षित किया गया है।

    किले के अधिकतर बुर्ज गिरे

    करीब 15 एकड़ में बने इस किले के चारों ओर 36 बुर्ज हैं, जबकि इसकी ऊंचाई 118 फीट है। अधिकतर बुर्ज गिर चुके हैं और कई जर्जर हालत में हैं। इतिहासकारों के अनुसार इस किले का निर्माण 279ई. में राजा डाब ने करवाया था।

    इसी किले से पड़ा बठिंडा शहर का नाम

    राजा विनय पाल के कारण ही इस किले का नाम विक्रमगढ़ पड़ा। उसके बाद राजा जयपाल ने किले का नाम बदलकर जयपालगढ़ रख दिया। मध्य काल में भट्टी राव राजपूत ने किले का पुनर्निर्माण कराया और किले का नाम भट्टीविंडा रखा। इसी वजह से शहर का नाम पहले बठिंडा और फिर बठिंडा रखा गया।

    गुरु गोबिंद सिंह जी ने 1706 में किले में रखा था कदम

    22 जून 1706 को गुरु गोबिंद सिंह जी ने इस किले में कदम रखा था। महाराजा करम सिंह पटियाला ने गुरु गोबिंद सिंह जी की याद में गुरुद्वारा साहिब का निर्माण करने के बाद किले का नाम गोबिंदगढ़ रखा। बेगम रजिया सुल्ताना को 1239 से 1240 तक बठिंडा के इस किले के सम्मान बुर्ज में कैद रखा गया था।

    पर्यटन विभाग ने किले का नाम बदलकर रखा रजिया किला

    पंजाब के पर्यटन विभाग ने अब इस किले का नाम बदलकर रजिया किला रख दिया है। केंद्रीय पुरातत्व विभाग द्वारा किले के जीर्णोद्धार के बावजूद किले का पुराना रंग फीका पड़ने लगा है। पंजाब के लगभग 1800 साल पुराने इस किले पर समय के उतार-चढ़ाव को उकेरा हुआ देखा जा सकता है।

    किले के रखरखाव के लिए 2 करोड़ से ज्यादा खर्च

    केंद्रीय पुरातत्व विभाग द्वारा किले का आधुनिकीकरण किया जा रहा है। लेकिन इस किले के विरासत स्वरूप को भी कमजोर किया जा रहा है। किले का मुख्य द्वार खंभों पर टिका हुआ है।

    केंद्रीय पुरातत्व विभाग के मुताबिक, 2002 से अब तक किला मुबारक के रखरखाव पर दो करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च किए जा चुके हैं। वर्तमान सरकार के लिए यह चुनौती है कि किले को कैसे बचाया जाए और नई पीढ़ी के लिए किले के पुराने स्वरूप को कैसे बरकरार रखा जाए।

    निगरानी के लिए बनाए गए चार बुर्ज गायब हो गए

    किले के चार बुर्ज पूरी तरह से गायब हो गए हैं। इन बुर्ज पर हमेशा पहरेदार तैनात रहते थे, जो किले के बाहर की गतिविधियों पर नज़र रखते थे।

    चूंकि किला बहुत ऊंचा था, इसलिए बाहर का हल सबसे पहले बुर्ज पर बैठे चौकीदारों को पता चलता था। इन बुर्ज का निर्माण विदेशी राजाओं के हमलों का सामना करने के लिए किया गया था। लेकिन समय बीतने के साथ इन बुर्ज की पूरी तरह से खोज नहीं हो पाई है।

    किला अब बन चुका है रजिया किला

    बेगम रजिया सुल्ताना को 1239 से 1240 तक बठिंडा के इस किले के सम्मान बुर्ज में कैद रखा गया था। दिल्ली की गद्दी पर बैठने वाली पहली महिला रजिया सुल्तान का बठिंडा में रानी महल एकमात्र स्मारक है।

    रजिया सुल्तान गवर्नर अल्तूनिया के विद्रोह को दबाने के लिए बठिंडा आई, तो उसे अल्तूनिया ने बठिंडा के किले में कैद कर लिया। वह यहां किले के रानी महल में करीब दो महीने तक कैद रहीं।

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    महल की खिड़की पर बैठकर मीना बाजार निहारती थी रजिया सुल्तान

    इतिहासकारों के अनुसार, रजिया सुल्ताना रानी शाम के समय महल की खिड़की पर बैठकर मीना बाजार का नजारा देखा करती थीं। आजकल यह किला मुबारक के नाम से प्रसिद्ध है। लेकिन रजिया सुल्तान का एकमात्र स्मारक होने के कारण पर्यटन विभाग द्वारा इस किले का नाम बदलकर रजिया किला कर दिया गया है। हालांकि पर्यटन विभाग ने कागजों में किले का नाम रजिया किला बताया है, लेकिन लोग आज भी इसे किला मुबारक के नाम से ही संबोधित करते हैं।

    वीकेंड में हजारों लोग आते हैं घूमने

    पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने बताया कि किला मुबारक के रखरखाव के लिए अभी भी करोड़ों रुपये की जरूरत है। उन्होंने कहा कि फिलहाल किले के अंदर मरम्मत का काम चल रहा है। दक्षिणी हिस्से की दीवार और दरवाजों का नवीनीकरण और पुराने गुरु घर की तरफ का नवीनीकरण किया गया है। जिस पर अब तक करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि रानी महल का जीर्णोद्धार लगभग पूरा हो चुका है। जबकि शनिवार और रविवार को लगभग तीन हजार लोग किला देखने आते हैं।

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