अमृतसर में वक्फ बोर्ड के पास अरबों की संपत्ति, अधिकांश पर चल रहा है विवाद; कानून बनने के बाद बढ़ी हलचल
अमृतसर में वक्फ बोर्ड (Waqf Board) के पास लगभग 1400 संपत्तियां हैं जिनका मूल्य अरबों रुपये है। इन संपत्तियों में मस्जिदें दुकानें कृषि भूमि और धार्मिक स्थल शामिल हैं। केंद्र सरकार द्वारा पारित वक्फ संशोधन विधेयक का कुछ हिस्सों में विरोध और कई जगह स्वागत हो रहा है। वक्फ बोर्ड संघर्ष मोर्चा ने सरकार के फैसले का समर्थन किया है।

नितिन धीमान, अमृतसर। विभाजन के बाद अस्तित्व में आए वक्फ बोर्ड ने देश के विभिन्न भागों में संपत्तियों पर कब्जा जमाया। विशेष बात यह है कि यदि इन संपत्तियों का सही तरीके से उपयोग होता तो विभाजन के दो दशक बाद ही देश में स्कूलों-कॉलेजों, अस्पतालों व रोजगार प्रदान करने वाली संस्थाओं का निर्माण हो जाता। केंद्र सरकार द्वारा पारित वक्फ संशोधन विधेयक का जहां देश के कई भागों में विरोध हो रहा है, वहीं अनेक ऐसे प्रांत हैं जहां हिंदू-मुस्लिम इसका स्वागत कर रहे हैं।
अमृतसर वक्फ बोर्ड के पास हैं 1400 संपत्तियां
अमृतसर की बात करें तो यहां वक्फ बोर्ड के कथित अधिकार में आने वाली 1400 संपत्तियां हैं। इनका मूल्य अरबों रुपये हैं। इनमें से 30 संपत्तियां जलियांवाला बाग, श्री हरिमंदिर साहिब के आसपास, झब्बाल रोड, राजीव गांधी नगर, हाल बाजार, लोहा मंडी, बटाला रोड एवं अजनाला में हैं। ये संपत्तियां विभाजन से पहले की हैं, जब दीवारों से घिरे इस शहर में मुस्लिम बहुसंख्यक थे।
अमृतसर के अजनाला में वक्फ बोर्ड के अधीन सर्वाधिक 834 संपत्तियां हैं। इनमें अधिकांश भाग कृषि क्षेत्र का है। बोर्ड की ओर से इनका किराया वसूला जाता था। यह किराया मुख्य मस्जिदों में इमामों को वेतन देने के लिए किया जाता है। इस पैसे का उपयोग वक्फ बोर्ड उन संपत्तियों के लिए करता था जिन पर कोर्ट केस थे।
केंद्र सरकार द्वारा विधेयक पारित करने के पश्चात वक्फ बोर्ड संघर्ष मोर्चा ने इसका स्वागत किया है। लोहा मंडी में विभाजन के बाद से बसे दुकानदारों ने भी राहत की सांस ली है। दुकानदारों ने वक्फ बोर्ड संघर्ष मोर्चा के संयोजक डॉ. राकेश शर्मा को सम्मानित किया।
डॉ. राकेश ने कहा कि सरकार का यह फैसला बेहद प्रशंसनीय है। वक्फ बोर्ड की ओर से इन दुकानदारों को परेशान किया जाता रहा है। मोर्चा की ओर से इन दुकानों का किराया बंद करवाया गया। इसके साथ ही जिले में वक्फ बोर्ड का अब कभी दखल नहीं रहने दिया जाएगा।
गुरुनगरी में इन मस्जिदों में है वक्फ बोर्ड की दुकानें
गुरुनगरी में स्थित जामा मस्जिद सबसे पुरानी माना जाता है। शहर में जान मोहम्मद मस्जिद है, जिसे लगभग 165 साल पहले व्यवसायी जान मोहम्मद ने बनवाया था। टाउन हाल के सामने स्थित इस मस्जिद की भूतल में पंद्रह दुकानें हैं।
156 साल पुराना मंदिर मस्जिद खैरुद्दीन शहर में वक्फ के स्वामित्व वाली धार्मिक इमारत है। इसी मार्ग पर मस्जिद सिकंदर खान है, जिसमें पांच दुकानें हैं।
मस्जिद हमजा शरीफ जो 150 साल से अधिक पुरानी है, में भी पांच दुकानें हैं, जिनमें से अधिकांश कानूनी विवाद का सामना कर रही हैं। इसके अतिरिक्त कब्रिस्तान, कब्र और कई धार्मिक स्थल हैं।
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