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पंजाब के पहले COVID-19 मरीज के जज्‍बे कहानी, मजबूत हौसले से दी महामारी को मात

पंजाब में कोरोना से जंग में जीते कोविड-19 के पहले मरीज की कहानी दूसरों को भी इस महामारी से लड़ने का हौसला देगी। इस मरीज ने मजबूत हौसले के दम पर कोरोना को मात दी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 28 Mar 2020 12:48 PM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2020 12:48 PM (IST)
पंजाब के पहले COVID-19 मरीज के जज्‍बे कहानी, मजबूत हौसले से दी महामारी को मात
पंजाब के पहले COVID-19 मरीज के जज्‍बे कहानी, मजबूत हौसले से दी महामारी को मात

अमृतसर, [नितिन धीमान]। कोरोना से एहतियात जरूरी है लेकिन अगर संक्रमण हो ही जाए तो इसे हराना मुश्किल भी नहीं। हौसला, धैर्य तो रखना ही होगा, डॉक्टरों की हिदायतों पर पूरी तरह अमल हो तो जल्द ही ठीक हो सकते हैं। कोरोना वायरस संक्रमण को इसी तरह मात देकर मौत के मुंह से निकले होशियारपुर के 43 वर्षीय शख्स ने अस्पताल में 21 दिन बड़े संयम से बिताए। डॉक्टरों के अनुसार मजबूत हौसले व अच्छी डाइट से ही वह कोरोना को मात देने में कामयाब रहे।

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पंजाब के पहले पॉजिटिव शख्स कोरोना मुक्त होकर घर पहुंचे, संयम व धैर्य से किया कोविड-19 का मुकाबला

गुरुनानक देव अस्पताल स्थित आइसोलेशन वार्ड में उपचाराधीन रहे यह शख्‍स इलाज के दौरान अपनी पत्‍नी व बेटे की कमी जरूर महसूस करते थे, लेकिन कोरोना का खौफ उनके चेहरे पर कभी दिखाई नहीं दिया। उनका दिन में तीन से चार बार शारीरिक परीक्षण किया जाता था। जितनी बार भी उनका शारीरिक परीक्षण हुआ, वह डॉक्टर से पूछते कि उसकी पत्‍नी व बेटा कैसे हैं। अस्पताल प्रशासन ने उन्हें मोबाइल ऑपरेट करने की अनुमति दे रखी थी। वह पत्‍नी व बेटे से बात कर उनका हालचाल पूछते थे लेकिन डाक्टरों से  कभी यह नहीं पूछा कि वह कब ठीक होंगे। विश्वास था कि वह ठीक हो जाएंगे।

21 दिन तक आइसोलेशन वार्ड में रहे, कभी परेशान नहीं हुए, तीनों समय खाया खाना

4 मार्च को इटली से लौटे इन शख्स के साथ उनकी पतनी व बेटा भी आए थे। इन्हें अमृतसर एयरपोर्ट से ही गुरुनानक देव अस्पताल लाया गया था। दिल्ली एम्स में हुई जांच में पत्‍नी नेगेटिव पाई गई थी, जबकि बेटा व वह खुद पॉजिटिव थे। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी लैब की रिपोर्ट में बेटे को नेगेटिव बताया गया था।

अस्‍पताल के सूत्रों के अनुसार, पत्‍नी व बेटे के सिवाय इन शख्स को आइसोलेशन वार्ड में और कोई चिंता नहीं थी। अपनी बीमारी की भी नहीं। उसका उपचार करने वाले एक डॉक्टर ने बताया कि वह डॉक्टरों व स्टाफ से खुलकर बात करते थे। दृढ़ इच्छाशक्ति थी कि वह कोरोना को पछाड़ देंगे। सामान्य तौर पर ऐसी स्थिति में मरीज खाना-पीना छोड़ देता है, लेकिन वह नाश्ता, दोपहर का भोजन व रात का खाना इत्मिनान से खाते थे। उन्होंने कभी दवा खाने से इन्कार नहीं किया।

हाल-चाल पूछते पर कहते, 'सब चढ़दी कलां विच है'

डॉक्टर उनसे हाल-चाल पूछते थे, तो कहते, 'सब चढ़दी कलां विच है।' यानी सब ठीक है। उनका पूरा शरीर पर्सनल प्रोटेक्शन किट से कवर किया गया था। चेहरे पर मास्क भी लगा रहता था। पंजाब का पहला कोरोना पॉजिटिव मरीज होने के बावजूद वह कभी निराश अथवा हतोत्साहित नहीं हुए। इसी वार्ड में होशियारपुर का एक अन्य कोरोना पॉजिटिव शख्स भी दाखिल हुआ है, जो कोरोना संक्रमण की वजह से उम्मीद की किरण भी छोड़ चुका है। डाक्टर उस मरीज को भी इनका उदाहरण देकर हौसला बढ़ा रहे हैैं।

ऐसे चला ट्रीटमेंट

21 दिन तक आइसोलेशन वार्ड में रहे इन मरीज का ट्रीटमेंट डब्ल्यूएचओ के दिशा-निर्देशों के मुताबिक किया गया। मरीज को क्लोरोक्विन, एंटी रेट्रोवायरल ड्रग, टेमीफ्लू व एजिथ्रोमाइसिन का कॉम्बीनेशन दिया गया। दवाओं का असर, मरीज की हिम्मत व डॉक्टरों की मेहनत रंग लाई। बीते बुधवार व वीरवार को उनके दो-दो टेस्ट किए गए। दोनों ही बार वह नेगेटिव आए।

डॉक्टरों ने कहा, आप कोरोना मुक्त हो गए

जब इन्फ्लुएंजा लैब की नेगेटिव रिपोर्ट के विषय में उन्हें बताया गया तो उन्होंने परमात्मा का शुक्रिया अदा किया और डॉक्टर को थैंक्स कहा। डॉक्टरों ने कहा, 'आप कोरोना मुक्त हो गए हैं।'  

डॉक्टरों के सिवा किसी को मिलने की इजाजत नहीं

होशियारपुर में इस व्यक्ति को अपने गांव में ही एक अलग कोठी में रखा गया है। यहां डॉक्टरों के अलावा किसी को उससे मिलने की इजाजत नहीं है। परिवार को भी नहीं। दो डॉक्टर उसे दवाइयां व खाना दे रहे हैं। अभी कई दिन वह ऑब्जर्वेशन में रहेगा।

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