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दूध की मांग घटी, प्राइवेट डेयरियों के इन्‍कार से उत्पादकों की मुश्किलें बढ़ीं, वेरका पर बढ़ा दबाव

पंजाब में काेरोना के कारण दूूध उत्‍पादक किसान मुश्किल में हैं। राज्‍य में दूध की मांग घट गई है और निजी डेयरियां दूध लेेने से मना कर रही हैं। इससे वेरका पर दबाव बढ़ गया है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 28 Mar 2020 12:12 PM (IST)Updated: Sat, 28 Mar 2020 12:12 PM (IST)
दूध की मांग घटी, प्राइवेट डेयरियों के इन्‍कार से उत्पादकों की मुश्किलें बढ़ीं, वेरका पर बढ़ा दबाव

चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। कोरोना वायरस के खिलाफ जंग और पंजाब में इस कारण लगाए गए कर्फ्यू का असर अब दूध उत्‍पादक किसानों पर पड रहा है। राज्‍य में कर्फ्यू के कारण सभी बाजार, होटल, मिठाई की दुकानें बंद हैैं। इससे प्रदेश में दूध की मांग काफी गिर गई है। प्राइवेट डेयरी मालिकों ने दूध उत्पादकों से दूध लेना बंद कर दिया है जिससे उनके सामने चुनौती बढ़ गई है। इस हालत में दूध उत्‍पादक किसान बेहद परेशान हैं और उनको कुछ समझ में नहीं आ रहे दूध का क्‍या करें। ऐसे में सारा दबाव वेरका पर आ गया है।

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कर्फ्यू के कारण बाजार, होटल व मिठाई की दुकानें बंद होने का दिखने लगा असर

मोरिंडा की डेयरी में दूध ले जाने वाले रिंकू ने बताया कि पूरी मंडी में अब कोई दुकानदार दूध लेने को राजी नहीं है। जिन घरों से वह दूध उठा रहे थे उनको मना करना पड़ रहा है। चंडीगढ़ से 25 किलोमीटर दूर गांव बड़वाली के राणा बड़वाली ने बताया कि उनका रोज करीब 40 किलो दूध खराब हो रहा है क्योंकि वेरका भी अब पूरा दूध नहीं उठा रहा है। उनके पास हर रोज करीब 80 किलो दूध होता है, लेकिन वेरका सिर्फ 40 किलो ले रहा है। शेष दूध वह अपने रिश्तेदारों में बांट रहे हैं या फिर पशुओं को ही पिला रहे हैं। रोजाना 1500 पये तक नुकसान हो रहा है।

कैबिनेट मंत्री रंधावा बोले, अभी सिर्फ सहकारी सोसायटी के सदस्यों का दूध उठाएंगे

वेरका कोऑपरेटिव सोसायटी के प्रधान गांव बड़वाली के पंच सौदागर सिंह ने बताया कि वेरका के सभी सदस्यों का दूध लिया जा रहा है। अब प्राइवेट डेयरियां किसानों से दूध नहीं ले रही हैं, इसलिए कुछ किसानों को काफी दिक्कतें आ रही हैैं। किसान वेरका सेंटर पर दूध डालने का दबाव बना रहे हैं। हमने अपनी सोसाइटी में बात रखी है। सोसाइटी इस शर्त पर तैयार हो सकती है कि किसान कर्फ्यू हटने के बाद भी सहकारी सेंटर पर ही दूध सप्लाई करें।

पेमेंट व चारे की भी दिक्कत

एक और दिक्कत आने वाली है कि किसानों को अभी उठाए जा रहे दूध की पेमेंट कैसे की जाएगी? बैंकों का काम बंद है और गांव-गांव में पेमेंट पहुंचाना बड़ी समस्या है। यही नहीं, पशुओं के लिए चारा लाना भी एक बड़ी समस्या है। गांव डडीयाना के अवतार सिंह ने बताया कि जिन डेयरी वालों के पास चारे के लिए साइलोस बनाए हुए हैं उनका काम तो फिलहाल ठीक चल रहा है। जो किसान फीड खरीद कर काम चलाते हैं, उनकी दिक्कत बढ़ रही है।

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समाधान

दोधियों को चार घंटे मिले कर्फ्यू में छूट मिले

पंजाब डेयरी डेवलपमेंट के डायरेक्टर इंदरजीत सिंह ने बताया कि अभी तीन-चार दिन दिक्कत और रह सकती है। राज्य सरकार ने दूध की सप्लाई के लिए मात्र दो घंटे का समय ही दिया है। दोधी गांव से दूध एकत्रित करके उसे शहरों में दो घंटे के अंदर नहीं बेच सकते। हमने राज्य सरकार को कहा है कि इसके लिए कर्फ्यू में ढील चार घंटे की दी जाए। इसके अलावा दो-तीन दिन बाद प्राइवेट प्लांट दूध उठाना शुरू कर देंगे। सभी संबंधित को पास जारी कर दिए गए हैं। इससे 50 लाख लीटर दूध की खपत होने लग जाएगी।

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सहकारी सदस्यों का ही दूध उठाएगा वेरका : रंधावा

सहकारिता विभाग के मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने कहा कि सहकारी सदस्यों का पूरा दूध उठाने के लिए वेरका वचनबद्ध है। फिलहाल प्राइवेट दोधियों का दूध वह नहीं उठा पाएंगे। आखिर किसानों को भी यह समझना होगा कि वेरका अपनी क्षमता से ज्यादा दूध नहीं ले सकता।

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पूरा दूध न उठाने की बात गलत : एमडी

मिल्कफेड के एमडी कमलदीप सिंह संघा ने कहा कि वेरका द्वारा पूरा दूध न उठाने की बात गलत है। उन्होंने ये तर्क पेश किए-

-वेरका की खरीद क्षमता पीक सीजन में भी 26 लाख लीटर की है।

-कफ्र्यू व लॉक डाउन के कारण मांग में कमी आने के बावजूद हमने 25.13 लाख लीटर दूध उठाया है जो टारगेट के आसपास ही है।

-पहले एक-दो दिन को छोड़कर अब मांग 10.30 लाख लीटर के आसपास पहुंच चुकी है, जबकि पीक सीजन के दौरान यह 11 लाख लीटर थी।

-15 लाख लीटर से सूखा दूध पाउडर बनाया जा रहा है ताकि गर्मियों के सीजन के दौरान जब दूध की कमी हो जाती है तो इससे उसे पूरा किया जा सके।

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पंजाब में दूध का उत्पादन की स्थिति

- रोजाना 360 लाख लीटर।

-  गांवों में खपत 180 लाख लीटर।

- वेरका के 9 प्लांट और 26 प्राइवेट प्लांट लेते हैं 80 लाख लीटर।

-दोधी लेते हैं 80 लाख लीटर।

- 20 लाख लीटर की बनती हैं मिठाइयां और अन्य डेयरी उत्पाद।

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