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    Amritsar News: एक्सप्रेस-वे की जद में आईं छह दुकानें, टूटने से बचाने को निकाली तरकीब, हो रहीं शिफ्ट

    By Nitin DhimanEdited By: Sunil kumar jha
    Updated: Mon, 10 Oct 2022 06:23 PM (IST)

    Amritsar News पंजाब के अमृतसर जिले के छापा गांव में छह दुकानें दिल्‍ली - अमृतसर - कटड़ा एक्‍सप्रेस वे की जद में आ गया। इसे हटाने के लिए दुकान मालिक को नोटिस मिला। अब वह अपनी दुकानोंं को टूटने से बचाने के लिए इन्‍हें शिफ्ट करवा रहे हैं।

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    Amritsar News: अमृतसर के छापा गांव में छह दुकानों को जैक के सहारे शिफ्ट किया जा रहा है। (जागरण)

    नितिन धीमान, अमृतसर। Amritsar News: आवश्यकता आविष्कार की जननी है। संकट आने पर पर इंसान इसका समाधान ढूंढ लेता है। अमृतसर के गांव छापा में छह दुकानें दिल्‍ली-अमृतसर- कटड़ा एक्‍सप्रेस वे की जद में आ गईं। खून-पसीने की गाढ़ी कमाई से बनाई अपनी 'तिजारत' को टूटता देखना दुकान मालिक मनप्रीत बाजवा के लिए मुश्किल था। उन्होंने दुकानें तोड़ने की बजाय इन्हें शिफ्ट करने की युक्ति लगाई। ये छह  दुकानें पिछले बीस दिनों से एक जगह से दूसरी जगह पर स्थानांतरित की जा रही हैं। इसके लिए 160 जैकों का इस्‍तेमाल किया गया है। 

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    दिल्ली-अमृतसर-कटड़ा एक्सप्रेस वे की जद में आईं ये दुकानें की जाएंगी 80 फीट पीछे शिफ्ट 

    यह ठीक वैसे ही है जैसे संगरूर जिले में एक मकान को खिसकाकर 500 फीट दूर स्थानांतरित किया गया था। ये दुकानेंं 80 फीट पीछे स्‍थानांंतर‍ित की जा रही हैं। पूरे क्षेत्र में इन दुकानों को स्‍थानांतरित करने की प्रक्रिया लोगों के लिए उत्‍सुकता का केंद्र बन गई है।  

    अमृतसर के गांव छापा में 20 दिनों से काम जारी

    दरअसल, दिल्ली-अमृतसर-कटरा एक्सप्रेस-वे की जद में गांव छापा में स्थित ये छह दुकानें आ रही थीं। सरकार ने भूमि अधिग्रहण एक्ट के तहत इन्हें हटाने का नोटिस जारी कर दिया था। इस नोटिस से दुकान मालिक मनप्रीत बाजवा के होश उड़ गए, लेकिन उन्‍होंने मेहनत की कमाई से बनाई अपनी दुकानों को बचाने का फैसला कर लिया। 

    दुकान मालिक को संगरूर में कोठी को शिफ्ट करने की घटना से आया आइडिया

    मनप्रीत ने मकान को स्‍थानांतरित करने के बारे में सुना था और हाल में ही संगरूर में एक कोठी को स्‍थानांतरित करने का मामला चर्चित हुआ था। ऐसे में उन्‍होंने अपनी इन छह दुकानोंं को स्थानांतरित कराने का फैसला किया।  इसके लिए मनप्रीत बाजवा ने बरनाला के कांट्रेक्टर से संपर्क किया था। इसके बाद दुकानाें को एक्सप्रेस वे की जद से हटाकर 80 फीट पीछे करने का काम शुरू हुआ।  

    इस तरह जैक व लोहे के रोलर लगाकर दुकानोंं को किया जा रहा है शिफ्ट। (जागरण)  

    पिछले 20 दिनों से इन दुकानों को समानांतर तरीके से खिसकाया जा रहा है। दुकानोंं की नींव में जैक लगाकर उनको कड़ी मशक्कत से एक-एक इंच पीछे खिसकाया जा रहा है। खास बात यह है कि इस काम में किसी भी स्वचालित मशीन या उपकरण का प्रयोग नहीं हो रहा है। हाथों से जैक घुमाकर इमारत खिसकाई जा रही है। अब तक दुकानें करीब 50 फीट पीछे खिसकाई जा चुकी हैं। अभी ये दुकानें हवा में हैं। आने जाने वाले इन्हें देखकर कौतूहल से भर जाते हैं।

    यह देसी जुगाड़ हो रहा है कारगर साबित

    यह देसी जुगाड़ बेहद कारगर साबित हो रही है। बिल्डिंग खिसकाने के लिए सबसे पहले फर्श तोड़ा गया। जैसे-जैसे फर्श टूटता गया इसके नीचे लोहे के गार्डर लगाए गए। ठीक वैसे ही जैसे रेल की पटरी बिछाई जाती है। इन गार्डर के मध्य भाग में लोहे के घुमावदार छड़ें डाली गईं। लोहे के चैनल लगाए जाते हैं। इसके बाद जैक लगाए।

    इसके बाद जैक को घुमाकर धीरेे-धीरे दुकानों को खिसकाया गया। दुकानों के नीचे 160 जैक लगाए गए हैं। अभी ये दुकानें हवा में हैं। पांच या छह दिन में ये दुकानें 80 फीट दूर तक खिसका दी जाएंगी। दूसरी ओर जहां दुकानों को ले जाना है वहां नींव तैयार की जा चुकी है, जिसके ऊपर दुकानें स्थानांतरित होंगी। दुकान मालिक के अनुसार इस काम में छह लाख का खर्च आएगा। यदि इन्हें तोड़ना पड़ता और नई दुकानें बनाते तो बीस से पच्चीस लाख रुपये खर्च होते।

    ऐसे जैक लगाकर दुकानों को शिफ्ट किया जा रहा है। (जागरण) 

    दुकानों शिफ्टिंग में लगी है 20 लोगोंं की टीम  

    32 वर्षीय टिंकू इस देसी कला से दस वर्षों से इमारतों को इधर से उधर करने में पारंगत है। टिंकू ने कहा,  हमारी 20 लोगों की टीम है। मेरे बड़ा भाई निर्मल सिंह भी इस काम में निपुण हैं। भाई ने ही इस जुगाड़ू सिस्टम को शुरू किया था। हमने किसी से सीखा नहीं। दस साल पहले गांव में एक शख्स की जमीन अधिग्रहण की जद में आ गई थी। वह बहुत परेशान था कि आखिर अब वह नया आशियाना कहां से बनाएगा। तब मेरे भाई के दिमाग में यह विचार कौंधा कि क्यों न इस घर को स्थानांतरित किया जाए।

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    मकान को स्‍थानांतरण में दरार न आने व नुकसान न होने की गारंटी देते हैं टिंकू व उनकी टीम

    टिंकू कहते हैं, खुद को तकनीकी तौर पर सुदृढ़ कर निर्मल सिंह ने घर स्थानांतरित किया। बड़े भाई से ही मैंने यह काम सीखा। हम तीन सौ रुपये स्क्वेर फीट के हिसाब से पैसे लेते हैं। इस बात की भी पूर्ण गारंटी देते हैं कि यदि मकान में एक दरार भी आई तो उसके जिम्मेवार होंगे। इसके लिए बाकायदा कोर्ट से एफिडेविड तैयार करवाया जाता है। आज तक कभी ऐसा नहीं हुआ कि स्थानांतरित करने के दौरान इमारत गिरी हो या दरार आई हो।