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    'लौट गई रावी, छोड़ गई तबाही...', पंजाब में बाढ़ का पानी उतरने के बाद बाद कैसा है मंजर?

    Updated: Mon, 29 Sep 2025 03:11 PM (IST)

    रावी नदी का जल प्रलय शांत हो गया है लेकिन तबाही के निशान अभी भी मौजूद हैं। कई गांवों में 25-30 फीट तक पानी भर गया था। लोगों को एनडीआरएफ ने बचाया। रावी नदी का पानी धुस्सी बांध को तोड़कर सक्की नाला पार कर गया। बाढ़ के बाद राहत कार्य जारी हैं लेकिन नुकसान बहुत ज्यादा हुआ है।

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    बाढ़ का पानी उतरा, तबाही के निशां छोड़ गया।

    नितिन धीमान, अमृतसर। रावी दरिया अपना विनाशाकारी रूप दिखाकर शांत हो चुकी है। रावी से उठे जल प्रलय ने यह स्पष्ट कर दिया कि प्रकृति से छेड़छाड़ अथवा खिलवाड़ की सजा तय है। रावी के साथ सटे गांवों में अब जनजीवन सामान्य हो चुका है।

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    पंजाब व देश के कई भागों के लोगों ने दिल खोलकर लोगों का सहयोग किया। गांव डूब रहे थे, लेकिन लोगों के मन में उम्मीदें तैर रही थीं जल्द ही इस संकट से मुक्ति मिल जाएगी। यह बाढ़ कितनी भयावह थी, इसके निशान अब और भी विनाशक दिख रहे हैं।

    दरअसल, बाढ़ के पानी से गांवों के गांव जलमग्न हो गए थे। अब जब गांवों से पानी उतरा है तो जो तस्वीरें सामने आईं वे इस जल प्रलय की भयावहता को उजागर कर रही हैं। यह सोचकर ही रूह कांप उठती है कि कई गांवों में पच्चीस से तीस फुट तक पानी भर गया था। अजनाला के गांव पेड़ेवाला में खड़े बिजली के पोल व विशालकाय पेड़ इस बात की गवाही भरते हैं कि यहां जल स्तर अत्यधिक हो गया था।

    बिजली के तीस फुट ऊंचाई पर लगे पोलों व तारों पर काई व जल में उत्पन्न होने वाली घास जमा है। गांववासी सरदूल सिंह बताते हैं कि जब पानी गांव में आया तो गांववासियों ने छतों का सहारा लिया, लेकिन जब पानी छतों को छूने लगा तो एनडीआरएफ की टीमों ने बोट के माध्यम से हमें घरों से निकालकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया। देखते ही देखते हमारे घर डूब गए।

    हमें यह तो मालूम था कि 10 से 12 फुट तक पानी आ चुका है, लेकिन इस बात का अभास नहीं था कि पच्चीस फुट से अधिक होगा। यहीं बस नहीं कई विशालकाय पेड़ों पर भी काई व पानी में उगने वाली घास फंसी हुई है। यदि रावी का जल स्तर कम न होता तो निसंदेह गांवों में जल स्तर बढ़ता ही चला जाता।

    इससे अत्यधिक तबाही हो सकती थी। गांव घोनेवाला में भी जल ने रौद्र रूप दिखाया था। यह पूरा गांव पानी में डूब गया और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर शरण लेनी पड़ी। पानी का बहाव इतना तीव्र था कि यह किसी को भी बख्शने के मूड में नहीं था। अभी भी गांव के लोग आशंकित हैं कि कहीं फिर से वही तबाही न हो।

    यहां बताना आवश्यक है कि रावी दरिया का पानी धुस्सी बांधकर को तोड़ते हुए सक्की नाला पार कर गया था। सकी नाला एक अवरोध है जो दरिया के पानी को अपने भीतर समा लेता है, लेकिन पहाड़ी क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा के बाद रंजीत सागर डैम का पानी रावी की ओर भेजा गया।

    ऐसे में यह सकी नाला भी अपनी सीमाएं नहीं बचा सका। गांव के बिजली के खंभे, जो कभी गांव की रोशनी थे, अब उनकी ऊंची तारों पर जमा काई और जल घास इस बात के गवाह हैं कि रावी का पानी कहां तक पहुंचा था। गांवों में इंटरनेट कनेक्शन के लिए लगाए गए टावर, वायरिंग, केबल नेटवर्क भी ध्वस्त हो चुका है।

    बाढ़ के बाद पावरकाम ने अजनाला के गांवों की विद्युत आपूर्ति बंद कर दी थी। अब आपूर्ति तो शुरू कर दी गई है, पर कुछ गांवों में तकनीकी खराबी के चलते अंधेरे में हैं। पावरकाम द्वारा मरम्मत का कार्य किया जा रहा है।

    इधर, बाढ़ के बाद राहत का जो सिलसिला शुरू हुआ, वह भी मानवता की मिसाल बन गया लेकिन मदद के इस उजाले के बीच भी रावी के तांडव के निशान हर कोने में छूट गए हैं। खेतों में फैली कीचड़, बहते घरों की टूटी दीवारें, बच्चों की खाली किताबें और पशुओं की सूनी बाड़ियां-सब कुछ बता रही हैं कि यह महज बाढ़ नहीं थी, यह जीवन की सबसे बड़ी परीक्षा थी।