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    'किस आधार पर लगाया गया NSA', अमृतपाल और उसके साथियों के मामले में हाई कोर्ट का सरकार से सवाल

    Updated: Tue, 05 Nov 2024 08:06 PM (IST)

    पंजाब हाई कोर्ट ने खडूर साहिब से सांसद अमृतपाल सिंह और उनके साथियों पर दूसरी बार एनएसए लगाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब सरकार से रिकॉर्ड तलब किया है। हाई कोर्ट ने पूछा है कि किस आधार पर इन सभी पर नए सिरे से एनएसए लगाया गया है। सरकार ने आज यह रिकॉर्ड पेश किए जाने के लिए समय मांगा है।

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    सासंद अमृतपाल और उसके साथियों पर एनएसए लगाने के मामले में सुनवाई

    राज्य ब्यूरो,चंडीगढ़। नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) लगाने और इसे विस्तार देकर हिरासत अवधि बढ़ाने को चुनौती देने वाली खडूर साहिब से सांसद अमृतपाल व उसके साथियों की याचिका पर हाई कोर्ट ने अमृतपाल व उसके साथियों पर दूसरी बार एनएसए लगाने का रिकॉर्ड पंजाब सरकार से तलब कर लिया है। इसके साथ ही इसे कन्फर्म करने से जुड़ा रिकॉर्ड केंद्र को सौंपने का आदेश दिया है। 

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    आज जब इन सभी केसों पर सुनवाई शुरू हुई तो हाई कोर्ट ने पंजाब सरकार से पूछा कि किस आधार पर इन सभी पर नए सिरे से एनएसए लगाया गया है। यह रिकॉर्ड आज पंजाब सरकार के पास था ही नहीं, जिसके चलते अगली सुनवाई पर यह रिकॉर्ड पेश किए जाने के आदेश दे दिए हैं।

    एनएसए बेहद सख्त कानून: हाई कोर्ट

    मंगलवार को हाई कोर्ट को बताया गया कि एनएसए बेहद ही सख्त कानून है। अमृतसर के डीएम ने इसी साल 13 मार्च को इन सभी पर नए सिरे से एनएसए लगा दिया था और उसे पंजाब सरकार को भेज दिया गया था। लेकिन पंजाब सरकार ने उसे 24 मार्च को मंजूरी दी थी।

    लेकिन कहीं भी यह नहीं बताया गया कि डीएम ने एनएसए लगाने के बाद किस दिन उसे राज्य सरकार को भेजा, एनएसए के तहत हर दिन का रिकॉर्ड रखा जाता है। इस लिहाज से 13 मार्च से लेकर 24 मार्च तक के बीच की देरी का रिकॉर्ड अब हाई कोर्ट ने मांग लिया है।

    सरकार ने आज यह रिकॉर्ड पेश किए जाने के लिए समय मांगा तो हाई कोर्ट ने सरकार को चार दिसंबर को अगली सुनवाई पर यह रिकॉर्ड पेश करने के आदेश देते हुए सुनवाई स्थगित कर दी है।

    अमृतपाल के इन साथियों पर भी लगा एनएसए

    अमृतपाल के साथियों सरबजीत सिंह कलसी, गुरमीत गिल, पपलप्रीत सिंह व अन्य ने अपनी याचिका में कहा है कि उसके खिलाफ एनएसए लगाने समेत अन्य कार्रवाई असंवैधानिक, कानून के खिलाफ और राजनीतिक असहमति के कारण की गई हैं जो दुर्भावनापूर्ण हैं। याची के खिलाफ ऐसा कोई मामला बनता ही नहीं है जिसके चलते उसे निवारक हिरासत में रखने का आदेश दिया जा सके।

    याचिका में कहा गया है कि न केवल एक साल से अधिक समय तक निवारक हिरासत अधिनियम को लागू किया गया, बल्कि उन्हें पंजाब से दूर हिरासत में रखकर असामान्य और क्रूर तरीके से स्वतंत्रता छीन ली गई है।

    पंजाब सरकार ने अपने जवाब में कहा कि अमृतपाल के साथियों की हिरासत राज्य की सुरक्षा के लिए बेहद अहम है। इतना ही नहीं अमृतपाल के साथी जेल में रहते हुए भी अलगाववादियों से जुड़े हुए थे। ऐसे में उनकी हिरासत बढ़ाना सही है। 

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