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    'अमृतधारी युवती को किरपाण पहनने पर जज की परीक्षा से रोकना सिखों से भेदभाव', कुलदीप सिंह गड़गज ने की निंदा

    Updated: Sun, 27 Jul 2025 06:09 PM (IST)

    राजस्थान हाईकोर्ट की परीक्षा में अमृतधारी सिख उम्मीदवार को किरपाण के कारण प्रवेश न देने पर श्री अकाल तख्त साहिब ने विरोध जताया है। जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज ने इसे संविधान का उल्लंघन बताया और सरकार से हस्तक्षेप की मांग की। शिरोमणि कमेटी ने भी घटना की निंदा की और कार्रवाई की मांग की।

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    अमृतधारी युवती को सिविल जज भर्ती परीक्षा में शामिल नहीं होने देने पर गड़गज ने की निंदा।

    जागरण संवाददाता, अमृतसर। राजस्थान हाईकोर्ट (जोधपुर) की सिविल जज भर्ती परीक्षा में शामिल होने गई अमृतधारी सिख उम्मीदवार गुरप्रीत कौर निवासी फेलोके जिला तरनतारन को किरपाण पहनने के कारण प्रवेश न देने का श्री अकाल तख्त साहिब ने विरोध किया है।

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    श्री अकाल तख्त साहिब के कार्यकारी जत्थेदार ज्ञानी कुलदीप सिंह गड़गज ने इसे भारतीय संविधान का उल्लंघन और सिखों के विरुद्ध भेदभाव करार दिया।

    उन्होंने कहा कि धारा 25 (1) में स्पष्ट है कि किरपाण सिख धर्म के धार्मिक प्रतीकों में शामिल है, फिर भी न्यायिक प्रणाली से जुड़े भर्ती संस्थान सिख पहचान का अपमान कर रहे हैं।

    जत्थेदार ने शिरोमणि अकाली दल और एसजीपीसी को निर्देश दिया कि वे मिलकर एक संयुक्त उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल बनाएं और भारत सरकार व राजस्थान सरकार के समक्ष यह मामला तत्काल प्रभाव से उठाएं।

    साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के सिख चेयरमैन सरदार इकबाल सिंह लालपुरा से भी मांग की कि वे प्रधानमंत्री और गृहमंत्री से मुलाकात करके इस मुद्दे को हल करवाएं और उसकी संपूर्ण रिपोर्ट श्री अकाल तख्त साहिब को भेजें।

    उन्होंने कहा कि आज जब गुरु तेग बहादुर साहिब जी का 350वां शहादत दिवस मनाया जा रहा है, सरकारें धार्मिक आयोजन करवा रही हैं, लेकिन उन्हीं के सिखों की पहचान को अपमानित किया जा रहा है।

    बार-बार सिखों को उनकी धार्मिक पहचान और आस्था के कारण जानबूझ कर परेशान करना अब बर्दाश्त से बाहर है। सुनिश्चित किया जाए कि भविष्य में भी अमृतधारी सिख उम्मीदवार को प्रवेश से रोका न जाए।यदि देश में सिख पहचान और धार्मिक आस्थाओं को इसी तरह चुनौती दी जाती रही, तो परिणाम बहुत गंभीर हो सकते हैं।

    जत्थेदार ने कहा कि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरमैन सरदार इकबाल सिंह लालपुरा ने भी पुष्टि की कि आयोग पहले ही आदेश जारी कर चुका है कि अमृतधारी सिख उम्मीदवारों को मुकाबला परीक्षाओं में किरपान सहित प्रवेश का अधिकार है, और वे यह ताजा मामला भी राजस्थान हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार के समक्ष उठाएंगे।

    गौरतलब है कि अमृतधारी युवती को परीक्षा में प्रवेश न देने के बाद उसने वीडियो वायरल किया था, जिसमें उसने कहा था कि कड़ा व किरपाण पहने होने के कारण उसे परीक्षा में प्रवेश नहीं करने दिया गया।

    शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि यह देश के संविधान का घोर उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि एक गुरसिख लड़की को कृपाण सहित परीक्षा में शामिल होने से रोकने वाले परीक्षा केंद्र अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए।

    इनकी मनमानी के कारण एक लड़की परीक्षा से वंचित रह गई। एडवोकेट धामी ने बताया कि पिछले साल भी राजस्थान में कुछ छात्रों के साथ ऐसी ही घटना घटी थी, जिस पर शिरोमणि कमेटी के एक प्रतिनिधिमंडल ने वहां के प्रशासन से बात की थी और इस बात का ध्यान रखने को कहा था कि ऐसा दोबारा न हो।

    एडवोकेट धामी ने कहा कि भारत के संविधान के अनुसार सिखों को कृपाण धारण करने का पूरा अधिकार है और सिख आचार संहिता के अनुसार कोई भी अमृतधारी सिख अपने शरीर से पांच कक्कारों को अलग नहीं कर सकता।

    पिछले कुछ समय से देश में सिख अभ्यर्थियों को खास तौर पर निशाना बनाया जा रहा है और अक्सर ऐसी घटनाएं सामने आती रहती हैं, जिनमें अमृतधारी सिखों से धार्मिक प्रतीक कक्कार हटाने को कहा जाता है और विरोध करने पर उन्हें प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने नहीं दिया जाता।

    शिरोमणि कमेटी अध्यक्ष ने इस घटना को अपने ही देश भारत में सिखों के साथ एक बड़ा भेदभाव करार दिया और कहा कि सिख अभ्यर्थियों के साथ इस भेदभाव को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता।

    उन्होंने मुख्यमंत्री से यह भी मांग की कि अधिकारियों की गलत हरकतों के कारण पेपर से बाहर हुए सिख उम्मीदवार को न्याय दिलाने के लिए राज्य सरकार विशेष व्यवस्था करे।

    शिरोमणि कमेटी अध्यक्ष ने कहा कि शिरोमणि कमेटी द्वारा जल्द ही एक प्रतिनिधिमंडल राजस्थान भेजा जाएगा, जो राजस्थान सरकार से इस मामले पर चर्चा करेगा और कार्रवाई सुनिश्चित करने के लिए कहेगा।