'याचिकाकर्ता आरोपी है या नहीं', हाईकोर्ट ने अमृतपाल के खिलाफ दर्ज सभी FIR का मांगा ब्योरा; पंजाब सरकार से मांगा जवाब
हाईकोर्ट ने अमृतपाल सिंह और उनके साथियों द्वारा नेशनल सिक्योरिटी एक्ट लगाने और हिरासत की अवधि बढ़ाने को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए सरकार से जवाब मांगा है। याचिका में कहा गया है कि हिरासत के आधार में जिन एफआईआर का उल्लेख किया गया है उनमें याचिकाकर्ताओं का आरोपी होना स्पष्ट नहीं है। इन एफआईआर से संबंधित जांच या मुकदमे की स्थिति भी अस्पष्ट है।
राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। खडूर साहिब से सांसद अमृतपाल व उसके साथियों के खिलाफ नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (एनएसए) लगाने और उसकी अवधि बढ़ाने को चुनौती देने के मामले में हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब तलब किया है।
याचिका में कहा गया है कि हिरासत के आधार में जिन एफआईआर का उल्लेख किया गया है, उनमें याचिकाकर्ताओं का आरोपी होना स्पष्ट नहीं है। साथ ही, इन एफआईआर से संबंधित जांच या मुकदमे की स्थिति भी अस्पष्ट है।
हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू व जस्टिस सुमित गोयल की बेंच ने अमृतसर व मोगा के जिलाधिकारियों को निर्देश दिया कि वे एक सप्ताह के भीतर हलफनामा दाखिल करें।
इस हलफनामे में सभी एफआईआर का पूरा ब्योरा दिया जाए और यह स्पष्ट किया जाए कि हिरासत के आधार में जिन मामलों का उल्लेख किया गया है, उनमें याचिकाकर्ता आरोपी हैं या नहीं।
कोर्ट ने सभी प्रतिवादी पक्षों को अगली सुनवाई से पहले याचिका का पैरावार जवाब दाखिल करने का भी आदेश दिया है। इस मामले में अगली सुनवाई 17 फरवरी को होगी।
एनएसए के तहत हर दिन का रिकॉर्ड रखा जाना आवश्यक
अमृतपाल और उसके साथियों ने एनएसए लगाने व हिरासत की अवधि बढ़ाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। सुनवाई में हाईकोर्ट को बताया गया कि एनएसए एक बेहद सख्त कानून है।
अमृतसर के डीएम ने 13 मार्च को अमृतपाल व उसके साथियों पर नए सिरे से एनएसए लगाया और इसे पंजाब सरकार को भेजा तथा पंजाब सरकार ने उसे 24 मार्च को मंजूरी दी परंतु यह स्पष्ट नहीं किया गया कि डीएम ने एनएसए लगाने के बाद किस दिन राज्य सरकार को भेजा था, जबकि एनएसए के अंतर्गत हर दिन का रिकॉर्ड रखा जाना आवश्यक है।
असामान्य व क्रूर तरीके से छीना गया स्वतंत्रता
अमृतपाल के साथियों सरबजीत सिंह कलसी, गुरमीत गिल, पपलप्रीत सिंह व अन्य ने अपनी याचिका में कहा कि उनके खिलाफ एनएसए लगाने की कार्रवाई असंवैधानिक, कानून के खिलाफ व राजनीतिक असहमति के कारण दुर्भावना से की गई है।
याचिका में कहा गया कि उनके खिलाफ ऐसा कोई मामला नहीं बनता जिसके आधार पर उन्हें निवारक हिरासत में रखा जाए। याचिकाकर्ताओं ने यह भी तर्क दिया कि न केवल उन्हें एक वर्ष से अधिक समय तक निवारक हिरासत में रखा गया, बल्कि पंजाब से दूर हिरासत में रखकर उनकी स्वतंत्रता को असामान्य व क्रूर तरीके से छीना गया है।
वहीं, पंजाब सरकार ने अपने जवाब में कहा कि अमृतपाल के साथियों की हिरासत राज्य की सुरक्षा के लिए बेहद जरूरी है। सरकार का दावा है कि अमृतपाल के साथी जेल में रहते हुए भी अलगाववादियों से संपर्क में थे इसलिए उनकी हिरासत बढ़ाना आवश्यक है।
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