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    पाकिस्तान का बुरा हाल, डेढ़ साल से कर रहा भारत की समझौता एक्सप्रेस व मालगाड़ी का इस्‍तेमाल

    By Sunil kumar jhaEdited By:
    Updated: Fri, 12 Feb 2021 08:22 AM (IST)

    पाकिस्तान पूरी तरह बदहाली में है। उसकी हालत ऐसी हो गई है कि उसके पास ट्रेनों में चलाने के लिए बोगियां भी ठीक से नहीं हैं। यही कारण है कि वह डेढ़ साल से भारत की समझौता एक्सप्रेस व मालगाड़ी के 21 कोचों का इस्तेमाल कर रहा है।

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    पाकिस्‍तान अपने यहां भारत से गई समझौता एक्‍सप्रेस की बोगियों का इस्‍तेमाल कर रहा है। (फाइल फोटो)

    अमृतसर, [हरीश शर्मा]। पाकिस्‍तान की बदहाली के बारे में तो पूरी दुनिया में चर्चाएं रही हैं, लेकिन उसकी हालत अब बदतर हो गई है। पाकिस्तान की कंगाली की हालत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उसके पास ट्रेनों में लगाने के लिए बाेगियां तक नहीं है। यही कारण है कि भारत की ट्रेन समझौता एक्सप्रेस और मालगाड़ी के 21 कोच पिछले डेढ़ साल से पाकिस्तन रेलवे उपयोग कर रहा है। भारतीय रेल मंत्रालय की ओर से रिमाइंडर दिए जाने के बावजूद वह इन कोचों की लौटा नहीं रहा है।

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    8 अगस्त, 2019 को समझौता एक्सप्रेस हो गई थी बंद

    बता दें कि भारत और पाक के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस 7 अगस्त, 2019 को आखिरी बार पाकिस्तान गई थी। 8 अगस्त, 2019 को समझौता एक्सप्रेस को पाकिस्तान ने बंद कर दिया था। इस कारण इस ट्रेन के 11 कोच पाकिस्तान में फंस गए। इसके साथ ही भारत कि‍ एक मालगाड़ी के 10 डिब्बे भी पाकिस्‍तान में फंस गए थे।

    डेढ़ साल से भारत की समझौता एक्सप्रेस व मालगाड़ी के 21 कोचों का इस्तेमाल रहा है प‍ाकिस्‍तान

    मालगाड़ी10 बोगियां में सामान लेकर पाकिस्तान गई थी। वह भी पाकिस्तान ने वापस नहीं भेजी हैं।पाकिस्तान से अपने कोच वापस लाने के लिए अटारी रेलवे स्टेशन के अधिकारियों की ओर से फिरोजपुर रेल डिवीजन को सूचित किया जा चुका हैं। डिवीजन स्तर पर रेलवे विभाग और मंलाालय को भी इस संबंधी लिखकर भेजा जा चुका हैं।

    ट्रेन वापस करने के लिए दो बार पाकिस्तान को भेजे जा चुके हैं रिमाइंडर

    भारतीय रेलवे की ओर से इन कोच को वापस लाने के लिए डेढ साल में दो बार पाकिस्‍तान रेलवे को रिमाइंडर भी दिए गए है, लेकिन उसके बाद भी इन कोचां की वापसी नहीं हो सकी। अटारी स्टेशन के सुपरिटेंडेंट अरविंद गुप्ता ने बताया कि ट्रेन रद होने के बाद से ही कोच पाकिस्तान में पड़े हुए हैं और वहीं पर प्रयोग हो रहे हैं।  उनकी तरफ विभाग को लिखकर भेजा जा चुका हैं।

    इस कारण बंद हुई ट्रेन

    भारत सरकार की ओर से जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाने और राज्य के पुनर्गठन के बाद पाकिस्तान ने समझौता एक्सप्रेस बंद करने का निर्णय लिया था। 8 अगस्त 2019 को पाकिस्तान के रेल मंत्री शेख रशीद अहमद ने समझौता एक्सप्रेस को हमेशा के लिए बंद करने का फैसला लिया था। तब कश्मीर मसले पर पाकिस्तान ने भारत के साथ तमाम राजनयिक और व्यापारिक संबंध खत्‍म कर दिए थे।

     सप्ताह में दो दिन चलती थी समझौता एक्‍सप्रेस ट्रेन

    समझौता एक्सप्रेस भारत और पाकिस्तान के बीच सप्‍ताह में दो दिन विभाजन से पहले से अटारी से लाहौर तक बिछी पटरी पर दौड़ती थी। शिमला समझौते के बाद 22 जुलाई 1976 को लाहौर से अमृतसर के बीच इसे शुरू किया गया। 1994 से इसे अटारी और लाहौर के बीच चलाया जाने लगा।

    यह ट्रेन भारत और पाकिस्तान के बीच पैदा होने वाले तनाव की भेंट चढ़ती रही है। जब भी दोनों देशों के बीच तनातनी होती है, यह सेवा रोक दी जाती है। पुलवामा में हुए हमले के बाद भी इस ट्रेन सेवा को बंद कर दिया गया था। फरवरी, 2019 में पुलवामा हमले में 40 सीआरपीएफ जवानों की मौत के बाद भी यह ट्रेन सेवा कुछ समय के लिए बंद थी।

    पाकिस्तान ने ही सेवा बंद की थी

    उसके बाद परिचालन शुरू हुआ तो अगस्त, 2019 में ही इसे फिर बंद कर दिया गया। पहले तो कुछ समय तक इसके डिब्बे वाघा स्टेशन पर खड़े रहे। भारत ने इन्हें लौटाने की मांग की लेकिन उसने इस मांग पर गौर करने के विपरीत अपनी बदनीयती दिखा दी और इनका इस्तेमाल भी करने लग गया।

     

    अटारी के स्टेशन सुपरिटेंडेंट अरविंद गुप्ता कहते हैं कि समझौता एक्सप्रेस बंद होने के बाद से ही उसके डिब्बे पाकिस्तान में हैं और वहीं पर इस्तेमाल हो रहे हैं। हम विभाग को इसकी लिखित सूचना पहले ही दे चुके हैं। गौरतलब है कि जनवरी, 2020 में भी भारत सरकार ने पाकिस्तान सरकार को इस बारे में पत्र लिखा था। एक माह पहले पहले फिर रेलवे अधिकारियों ने मंत्रालय को इस बाबत रिमांइड करवाया है।

     

    बहरहाल, भारतीय डिब्बों में पाकिस्तान की 'कंगाली' का सफर जारी है। भारतीय रेलवे रविवार को दिल्ली से अटारी और अटारी से दिल्ली के बीच इस ट्रेन का परिचालन करता था, जबकि पाकिस्तान में यह ट्रेन लाहौर से अटारी के बीच चलाई जाती थी। यात्री अटारी स्टेशन पर ट्रेन बदलते थे। छह माह यानी जनवरी से जून तक पाकिस्तान की ट्रेन चलती थी और जुलाई से दिसंबर के छह माह पाकिस्तान की। जब भी दोनों देशों के बीच तनातनी होती है, यह सेवा रोक दी जाती है।

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